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हरियाली तीज: बिहारी जी बैठेंगे हिंडोले में!

वृन्दावन की कुञ्ज गलियाँ, जहाँ राधा कृष्ण ने कई लीलाएं की, आज भी उतना ही मनोहारी प्रतीत होतीं हैं जितनी की उस समय होती होंगी। उनके मंदिर तथा उनके नाम पर प्रतिदिन होने वाले उत्सव आज भी उनके होने का अनुभव कराते हैं। वृन्दावन में कई मंदिर हैं जहाँ बिहारी जी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। और इन्ही मंदिरों में से एक ख़ास मंदिर है बांके बिहारी मंदिर। यहां पर बिहारी जी के बड़े ही अद्भुत दर्शन होते हैं, जैसे- अक्षय तृतीया पर चरण दर्शन, शरद पूर्णिमा पर बांसुरी के साथ दर्शन और तीज के दिन झूले पर बिहारी जी के दर्शन। 


हरियाली तीज पर बैठते हैं झूले पर :- 
हरियाली तीज पर वृन्दावन की छटा देखते ही बनती है, एक तो सावन का महीना और उस पर बिहारी जी की सुंदरता। भक्तों का जीवन सफल हो जाता है बिहारी जी के दर्शन से। हरियाली तीज के अवसर पर बांके बिहारी जी को श्रृंगार करा कर वर्ष में केवल एक दिन के लिए झूले पर बिठाया जाता है। जहाँ रजत से बनी चार गोपियाँ उन्हें झूला झुलाती हैं। बिहारी जी को झूले पर देखने के लिए भक्त बड़ी दूर दूर से आते हैं। हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, इस वर्ष द्वादशी दो दिन होने के कारण कुछ जगह 13 अगस्त को और कुछ जगह 14 अगस्त को तीज मनाई जायगी। बांके बिहारी में झूला महोत्सव 14 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। 

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सोने और चाँदी का है हिंडोला :-
यह झूला अद्भुत है, इसकी सुंदरता विश्व विख्यात है क्योकि यह अपनी तरह का एक मात्र ही है। यह स्वर्ण तथा रजत का बना हुआ है। इस झूले को बनाने का कार्य 1942 में शुरू हुआ था और यह 5 साल में अर्थात 1947 में बनकर तैयार हुआ था। इसे बनाने के लिए 25 किलो सोना और 1000 किलो चाँदी का उपयोग हुआ था। एक रोचक बात यह भी है की यह हिंडोला भारत छोड़ो आंदोलन के समय बनना शुरू हुआ था, और 15 अगस्त 1947 में बनकर तैयार हो गया। तथा 19 अगस्त 1947 को आज़ाद भारत में पहली बार बांके बिहारी जी ने हिंडोले में बैठकर दर्शन दिए। 
 

सबसे अधिक समय तक होते हैं दर्शन :-
इस झूले को बनाने के लिए एक जंगल लीज़ पर लिया गया, वहां 2 साल तक शीशम की लकड़ी सुखाई गयी तथा उसके बाद उस लकड़ी पर नक्काशी का कार्य प्रारम्भ हुआ। जिसके ऊपर सोने की 8 परत चढ़ाई गयीं हैं। केवल हरियाली तीज पर ही बिहारी जी गर्भगृह से उठकर यहां झूले पर विराज कर भक्तों को दर्शन देते हैं। इसी दिन बिहारी जी का दर्शन सबसे देर तक होता है, अर्थात सांय 4 बजे से अर्धरात्रि में12 बजे तक तथा इसके बाद शयन आरती के पश्चात् बिहारी जी सोने चले जाते हैं। बिहारी जी इस दिन सुख सेज पर आते हैं, पुजारी जी बताते हैं की जब माधव भक्तो को दर्शन देकर थक जाते हैं तब वे सुख सेज पर विश्राम करते हैं। जहाँ पर फूलों से सज्ज शय्या पर पान, रजत कलश में जल, रजत कंघी, आइने एवं लड्डू आदि रखे जाते हैं।  

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हरे रंग का होता है श्रृंगार :-
बिहारी जी को एक झीने परदे के भीतर ही रखा जाता है, क्योकि भक्तों को बिहारी जी के सीधे दर्शन कराने से वह सम्मोहित हो जाते हैं और सुध बुध खो देते हैं। इस दिन ठाकुर जी का श्रृंगार भी विशेष होता है, क्योकि इस दिन उन्हें केवल हरे रंग का श्रृंगार कराया जाता है। बिहारी जी की सुंदरता इस दिन और भी बढ़ जाती है। जहाँ हिंडोला रखा जाता है उसे फूलबंगला कहते हैं, और संपूर्ण फूलबंगला तीज के दिन लाखों सुन्दर फूलों से सजाया जाता है। वृन्दावन में झूलनोत्सव तीज के कुछ दिन पूर्व से ही शुरू हो जाता है, जिसमे विभिन्न गुरुओं द्वारा भागवत कथा, भजन तथा रासलीला आदि सम्मिलित होती है।  
इसके आलावा वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर, राधारमण, शाहबिहारी जी, तथा रंगनाथ जी सहित आदि मंदिरों में भी झूलनोत्सव मनाया जाता है।  

 

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