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हरतालिका तीज: जानिए क्या हैं इस व्रत को करने के ख़ास नियम!

हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त:-

हरतालिका तीज = 21 अगस्त 2020 (शुक्रवार)

पूजन समय =​ प्रातःकाल 05:54 से 08:30 (2 घंटे 36 मिनट)

हरतालिका तीज व्रत सुहागनों के लिए एक उत्साहवर्धक व्रत है। हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, और इस वर्ष यह 12 सितम्बर को मनाई जायगी। तीज पर माता पार्वती और शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है, यह व्रत कुमारी कन्याओं और सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा किया जाता है। वैसे तो यह व्रत सुहाग के लिए किया जाता है, किन्तु पुराणों के अनुसार विधवा स्त्रियां भी इसे कर सकती हैं। यह व्रत निराहार तथा निर्जला रह कर किया जाता है, इसलिए यह बहुत कठिन व्रत माना जाता है। इसका व्रत माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए निराहार तथा निर्जला रहकर किया था।

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तीज व्रत रखने के नियम  :-

  • यह व्रत करवा चौथ की ही तरह निराहार रहकर किया जाता है।
  • तीज व्रत में निर्जला रहा जाता है। व्रत के दूसरे दिन जल ग्रहण करने का नियम है।
  • अगर एक बार हरतालिका तीज का व्रत कर लिया है तो इसे छोड़ा नहीं जाता, इसे प्रत्येक वर्ष करना होता है।
  • हरतालिका तीज में व्रत के समय सोना निषेध है, इस दिन रात्रि जागरण किया जाता है और रात भर भजन कीर्तन किये जाते है।​

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हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि:-

हरतालिका में सायं काल की पूजा का महत्व होता है, इसे प्रदोषकाल भी कहा जाता है। इसके पूजन में माता पार्वती, शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके लिए मिटटी की प्रतिमाएं घर पर ही तैयार की जाती हैं। तीनों ही प्रतिमाओं को फूलों से सजी चौकी पर पान के अथवा केले के पत्ते पर रखना चाहिए। इन सब के बाद सभी देवताओं और पितरों का आह्वान करते हुए माता पार्वती, शंकर तथा गणेश का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। पूजन में माता को सुहाग पिटारी अवश्य चढ़ाएं तथा शिव और गणेश को भी वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद हरतालिका तीज की कथा सुने और कीर्तन कर रात्रि जागरण करें, अंत में माता को चढ़ाई हुई सुहाग पिटारी ब्राह्मणी को दान कर देनी चाहिए। अगले दिन प्रातःकाल माता की विधिविधान से आरती करें और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें और प्रसाद वितरित करें।

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