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भाई दूज: इस प्रकार नहीं होती घर में किसी की अकाल मृत्यु!

भाई दूज मुहूर्त:-
29 अक्टूबर 2019 (मंगलवार)
भाई दूज टीका मुहूर्त = 01:11 से 03:23
अवधी = 2 घंटा 12 मिनट 
द्वितीय तिथि प्रारम्भ  = 06:13 (29 अक्टूबर 2019)
द्वितीय तिथि समाप्त = 03:48 (30 अक्टूबर 2019)
तिथि: 17, कार्तिक, शुक्ल पक्ष, द्वितीया, विक्रम सम्वत

भारतीय हिन्दू धर्म में वर्ष में दो ऐसे पर्व हैं जो भाई और बहन के प्रेम को समर्पित हैं। एक है रक्षाबंधन और दूसरा है भाई दूज। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह दिवाली के दो दिन बाद आता है तथा इस दिन बहनें अपने भाई की खुशहाली की कामना करतीं हैं।

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भैया दूज की कथा:-

भगवान सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा था, जिनसे उन्हें यमराज और यमुना नाम की संताने प्राप्त हुई थीं। यमुना अपने भ्राता यमराज से बहुत स्नेह करतीं थीं। यमुना के विवाह के पश्चात् वे अपने भाई से मिल नहीं पाती थीं और यमराज स्वयं उनसे मिलने नहीं जाते थे, क्योकि यमराज का आना मृत्यु का सूचक बन चुका था इसलिए यमराज समझते थे की उनके जाने से कहीं उनकी बहन दुखी न हो जाये।

यमुना यमराज से निवेदन करती रहती थी की वे कभी उनके घर आएं और भोजन ग्रहण करें इसलिए एक दिन यमराज ने सोचा की उनकी बहन के विनम्र और प्रेम भरे निवेदन को ठुकराना सही नहीं है। एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज अपनी बहन से मिलने पहुंच गए। चूँकि उस दिन वे अपनी बहन से मिलने जा रहे थे इस कारण वे बहुत अधिक प्रसन्न थे और इसलिए उन्होंने उस दिन नरक में रहकर अपने कर्मों का भोग करने वाले जीवों को एक दिन के लिए मुक्त कर दिया था।

यमराज को अपने घर आया हुआ देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई और उनका आदर सत्कार कर उन्हें तरह तरह का स्वादिष्ट भोजन कराया।

अपनी बहन की ऐसी भक्ति और प्रेम देखकर यमराज द्रवित हो गए और उन्होंने यमुना से पूछा की उसे क्या वरदान चाहिए। यमुना ने कुछ देर सोचा और कहा, आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया है इसलिए आप मुझे वचन दीजिये की प्रत्येक वर्ष इस दिन आप मुझसे मिलने आयंगे और जो कोई भी मनुष्य इस दिन आपका पूजन करेगा आप उसे दीर्घायु देंगे और उनके घर पर किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होगी। यमराज अपनी बहन की बात सुनकर बहुत खुश हुए और उन्होंने अपनी बहन को उसकी इच्छा का वरदान दे दिया।

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इसी कारण भैया दूज के दिन सभी बहिने अपने भाई की पूजा करती हैं और उसकी दीर्घायु की कामना करतीं हैं और सभी भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देते हैं। भाई दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।

किस प्रकार मनाएं भाई दूज? :-

मान्यता और परंपरा के अनुसार किसी भी व्यक्ति को इस दिन अपने घर मुख्य भोजन नहीं करना चाहिए (यदि बहन साथ नहीं रहती तो), उन्हें अपनी बहन के घर पर ही उसके हाथों के बने पकवान खाने चाहिए। जितनी भी बहने हों या तो सभी अपने भाई के घर जाएँ या फिर भाई उन सभी के घर जाये। यदि सगी बहन नहीं है तो आप ममेरी, मौसेरी कोई भी बहन जो आपके रिश्ते में आती है उसके घर जाएँ और भोजन ग्रहण करके उन्हें उपहार दें। उपहार में वस्त्र या आभूषण उत्तम रहते हैं किन्तु यदि संभव न हो तो कुछ पैसे ही उपहार में दे दें। बहन को चाहिए की वो अपने भाई के पैर धुलाकर उसे आसान में बैठाएं उसके बाद तिलक आदि करके उसकी आरती उतारें और फिर अपने हाथ के बने व्यंजन जैसे- पूरी, दाल-भात, फुल्के, कढ़ी, सीरा, लड्डू, जलेबी आदि यथासंभव भोजन कराएं और फिर उसकी लम्बी उम्र की कामना करें। कई स्थानों में इस भाई को चूड़ा (पोहा) पूजने की भी परंपरा है, इसमें बहने छुड़ा लेकर भगवन से अपने भाई के कुशल मंगल की कामना करती हैं और उन्हें अपने भाई के शीश पर रख देती हैं।  

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