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गुरु नानक जयंती: क्यों की गुरु नानक ने सिख धर्म की स्थापना?

गुरु नानक सिखों के पहले गुरु हैं, उन्होंने ने ही इस धर्म की नींव रखी। वैसे सिख एक धर्म न होकर एक विचारधारा है, जिसका पालन करने वाले लोगों को ही सिख कहा जाता है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है, यद्यपि गुरु नानक सिखों के गुरु हैं फिर भी उनके धर्मनिरपेक्ष विचारधाराओं के कारण अन्य धर्म के लोग भी इस उत्सव को मनाते हैं।

प्रकाश पर्व भारत के पंजाब राज्य में विशेषतया मनाया जाता है क्योकि सिखों की ज़्यादातर जनसंख्या वहीं निवास करती है। गुरु नानक का जन्मदिन प्रकाश उत्सव के रूप में कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया  जाता है।

गुरु नानक का परिचय :-

गुरु नानक जी के जन्म का उत्सव इतना विशेष क्यों है इसे समझने के लिए हमे उनके जीवन को समझना होगा। गुरु नानक ने अपने कार्यों द्वारा भारत के इतिहास को एक आकार दिया था। नानक जी के जन्म से पूर्व भारत में यह प्रथा थी की लोग एक जाती विशेष से जुड़े हुए थे, अर्थात गरीब केवल गरीब ही रहता था और अमीर अपनी शक्तियां बढ़ाता रहता था। नानक जी को यह प्रथा अनुचित लगी और उन्होंने जीवन भर इसके लिए संघर्ष किया। उन्होंने ध्यान और आत्म-चिंतन में समय बिताया और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्होंने यह जाना की ईश्वर से जुड़ने के लिए किसी पुजारी अथवा किसी संस्थान की आवश्यकता नहीं है। इसलिए उन्होंने जाती प्रथा और पुजारियों को अस्वीकार किया और इस विचारधारा का प्रचार किया की ईश्वर सबका है और वह सबके अंदर ही है।

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शुरू में लोगों को वे विरोधी और नास्तिक लगे, जिन्होंने ईश्वर को अस्वीकार किया हो, किन्तु धीरे धीरे लोग समझने लगे की उनका विरोध ईश्वर से नहीं है बल्कि उनके नाम पर फैली कुरीतियों से है। निम्न वर्ग के लोग उनका अनुसरण करने लगे क्योकि उनके कारण उनका जीवन बेहतर हो रहा था। जल्द ही उनके कई अनुयायी और शिष्य बन गए। गुरु नानक की शिक्षा थी की ईश्वर को प्राप्त करने के लिए किसी भी उपवास या तीर्थ की आवश्यकता नहीं होती बल्कि नैतिक जीवन का आनंद लेते हुए भी प्रार्थना के माध्यम से परमात्मा से जुड़ा जा सकता है।

जाती प्रथा को चुनौती देने के कारण वे पुजारियों और मुग़ल शासकों के राजनैतिक शत्रु बन गए। उन्हें उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण मुग़ल राजा बाबर द्वारा बंदी भी बनाया गया। गुरु नानक ने सिख धर्म की स्थापना की व उनकी इस विचारधारा को सिखों के अन्य नौ गुरुओं ने आगे बढ़ाया।

किस प्रकार मनाया जाता है प्रकाश उत्सव?:-

गुरु नानक के जीवन व उनकी शिक्षाओं को याद करने के लिए सिख कई गतिविधियों में भाग लेते हैं -

अखंड पाठ :

गुरु नानक जयंती से पूर्व ही केंद्रीय स्थानों में लगातार पाठ किया जाता है जिसे अखंड पाठ कहते हैं। यह कार्यक्रम 48 घंटे तक चलता है और इस दौरान सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रन्थ साहिब की सबसे महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया जाता है। 

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नगर कीर्तन :

उत्सव के एक दिन पहले नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमे कई सिख भाग लेते हैं। यह एक जुलुस की तरह निकाला जाता है जो दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जुलुस का मुख्य आकर्षण होते हैं पांच लोग और एक सिख झंडा। ऐसे जुलुस में गीतकार, कोरिओग्राफर और मार्शल आर्टिस्ट भी शामिल होते हैं। जिन मार्गों में यह कार्यक्रम होता है उन्हें फूलों और विभिन्न बैनरों से सजाया जाता है।

लंगर :

कार्तिक पूर्णिमा के दिन अर्थात नानक जयंती के दिन गुरुद्वारों में तथा कई सिख समुदायों द्वारा लंगर का आयोजन किया जाता है, जिसमे कोई भी व्यक्ति निःशुल्क सामुदायिक भोजन का आनंद उठा सकता है। 

इस प्रकार यह पर्व एक शांति पर्व की भांति मनाया जाता है और यह लोगों को गुरु नानक की जाती प्रथा को समाप्त करने की इच्छा की याद दिलाता है। उनकी एक सबसे प्रसिद्द प्रार्थना इस प्रकार है -

“इक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ।

निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि!!

जप आद सचु जुगादि सच।

है भी सचु नानक होसी भी सच।।

सोचे सोचि न होवई जे सोची लख बार।

चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिवतार।

भुखिया भुख न उतरी जे बंना पुरीआं भार।

सहस सियाणपा लख होहि, त इक न चले नाल।

किव सचियारा होइए, किव कूड़ै तुटै पाल।

हुकमि रजाई चलणा ‘नानक’ लिखिआ नाल। “

‘वह एक है, ओंकार स्वरूप है, सत नाम है, कर्ता पुरुष है, भय से रहित है, वैर से रहित है, कालातीत- मूर्ति है, अयोनि है, स्वयंभू है, गुरु की कृपा से प्राप्त होता है।’

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