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इस हरियाली तीज पर करे भगवान शिव को खुश !

हरियाली तीज :-

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं ! परन्तु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं ! इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं ! इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन - जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं ! इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है ! इस दिन जगह-जगह झूले लगते हैं ! इस त्योहार में स्त्रियां गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं !

                    

हरियाली तीज व्रत कथा :-

शिव जी कहते है हे पार्वती बहुत समय पहले हिमालये पर तुमने मुझे वर के रूप में माँगा था और उसके लिए तुमने घोर तपस्या की थी ! इस दौरान तुमने अन जल त्याग कर सूखे पत्ते चबा कर दिन व्यतीत किया था ! मौसम की परवा करे बिना तुमने निरन्तर तपस्या की थी ! तुम्हारी इस स्थिति को देख कर तुम्हारे पिता जी बहुत दुःखी और नाराज़ थे ! ऐसी स्थिति में नारद जी तुम्हारे घर पधारे जब तुम्हारे पिता जी ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारद जी बोले में भगवान विष्णु के बेझने पर यहाँ आया हूँ ! आपकी कन्या के घोर तपस्या करने से प्रसन्न हो कर वो उससे विवाह करना चाहते है ! मैं इस बारे में आप की राय जानना चाहता हूँ ! नारद जी की बात सुनकर तुम्हारे पिता जी बहुत प्रसन्न हुए और बोले हे नारद जी यदि स्वयं भगवान विष्णु जी मेरी कन्या से विवाह करना चाहते है तो इसे बड़ी बात तो कोई हो ही नहीं सकती मैं इस विवाह के लिए तैयार हूँ !

शिव जी पार्वती से कहते है की तुम्हारे पिता जी की स्वीकृति पा कर नारद जी विष्णु जी के पास गए और शुभ समाचार सुना दिया लेकिन जब तुम्हे इस विवाह के बारे में पता चला तुम्हे बहुत दुख हुआ तुम मुझे पाने के लिए अपना सब कुछ तपस्या में लगा चुकी थी ! तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई तब तुम्हारी सहेली ने सुझाव दिया की तुम्हे किसी घनघोर वन मे छुपा देगी और तुम वह रह कर शिव की आराधना कर सकती हो इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हे घर में ना पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए और वो सोचने लगे कि विष्णु भगवन अगर बारात लेकर आगए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती और पाताल एक कर दिए. लेकिन तुम न मिली तुम वन में गुफा के भीतर में मेरी आराधना में लीन थी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण करके तुमने मेरी आराधना की थी ! जिससे प्रसन्न हो कर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूरी की इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा की पिता जी मैंने अपने जीवन का लम्बा समय शिव की तपस्या में बिताया है और भगवन शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार कर लिया है ! अब मैं आप के साथ एक शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे. पर्वत राजा ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार की और तुम्हे घर वापस ले गए और कुछ समय बाद तुम्हारा विवाह पूरे विधि विधान के साथ मेरे साथ हुआ भगवान् ने इसके बाद बताया हे पार्वती श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को तुमने आराध्ना करके जो व्रत किया था उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह हुआ ! इस व्रत का महत्व है की में इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फ़ल देता हूँ ! भगवन शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को कोई भी स्त्री पूर्ण निष्ठा से करेगी तो उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा ! मान्यता है जो भी स्त्री इस व्रत को पूर्ण निष्ठा के साथ करती है ! तो उसे उसकी इच्छा के अनुसार वर प्राप्त होता है !

हरियाली तीज पूजन विधि :-

भारत में श्रावण माह के शुक्ल पक्ष तृतीया को तीज व्रत मनाया जाता है ! श्रावण में आने के कारण इस पर्व का महत्व बहुत  अधिक माना जाता है ! राजस्थान राज्य में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है ! इसे श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज भी कहते हैं ! हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्री अपने पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखती है ! इस दिन स्त्रीयों के मायके से मिठाई और श्रृंगार का सामान उसके ससुराल भेजा जाता है ! हरियाली तीज के दिन महिलाएं घर का काम खत्म करके नहा कर सोलह सृंगार करती है और माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है ! पूजा खत्म होने के बाद महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिए माँ गोरी से प्राथना करती है और घर में जश्न मनाया जाता है ! इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहने जाते है हरी चुन्नी, हरी मेहंदी लगाने का भी रिवाज़ है !