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वरलक्ष्मी व्रत करने से माँ लक्ष्मी होती है प्रसन्न !

वरलक्ष्मी व्रत महत्व :-

वेदों, पुराणों एवम शास्त्रों के अनुसार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को वरलक्ष्मी जयंती मनाई जाती है ! यह व्रत कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्य में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है ! वरलक्ष्मी माँ को माँ लक्ष्मी का दूसरा अवतार माना गया है ! जिसे धन की देवी कहा जाता है ! नारीत्व का व्रत होने के कारण यह व्रत सुहागन औरतें अति उत्साह से मनाती है ! इस व्रत के करने से व्रती को सुख, सम्पति, वैभव की प्राप्ति होती है ! ये व्रत श्रावण माह की पूर्णिमा से एक सप्ताह पूर्व शुक्रवार को मनाया जाता है !

वरलक्ष्मी व्रत कथा :-

कथा के अनुसार एक बार मगध राज्य में कुण्डी नाम का नगर था ! कुण्डी का निर्माण स्वर्ग से हुआ था ! कुण्डी नगर में एक ब्राह्मणी नारी चारुमति अपने परिवार के साथ रहती थी ! चारुमति एक बहुत अछि नारी थी ! जो अपने पति , अपनी सास और ससुर  की बहुत सेवा करती थी ! चारुमति बहुत ही साधरण जीवन जीने वाली नारी थी और माँ लक्ष्मी की पूजा करके अपना जीवन व्यतीत करती थी ! माँ लक्ष्मी एक बार चारुमति के सपने में आ कर बोली की हर शुक्रवार को मेरा व्रत किया करो ! इस व्रत के करने से तुम्हे मनोवांछित फल प्राप्त होगा ! अगली सुबह चारुमति ने माँ लक्ष्मी द्वारा बताये गए वर लक्ष्मी व्रत को समाज के अन्य नारियों के साथ विधिवत किया ! पूजन के सम्पन्न होने पर सभी नारियां कलश की परिक्रमा करने लगी, परिक्रमा करते समय समस्त नारियों के शरीर विभिन्न स्वर्ण आभूषणों से सज गए ! सभी नारी खुश हो गई और चारुमति की प्रशंसा करने लगी ! ये कथा भगवान शिव जी ने माँ पारवती को सुनाई थी ये व्रत कथा सुनने से भी माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है ! इस तरह ये कथा यही समाप्त होती है !

वरलक्ष्मी व्रत पूजा की विधि :-

व्रती को इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर घर की साफ़ सफाई करनी चाहिए और स्नान करना चाहिए ! इसके बाद पूजा स्थान को गंगा जल से पवित्र करना चाहिए ! पूजा स्थान पर थोड़ा सा तंदुल फैलाए फिर एक कलश में पानी भर कर उस तंदुल के ऊपर रखदे ! कलश के उप्पर चन्दन लगाए और कलश के अंदर सुपारी सिक्का और पंङ्के पते डालदे फिर एक नारियल ले उसके उप्पर भी चन्दन लगाए कुमकुम लगाए और कलश के ऊपर रखदे ! फिर एक थाली लेकर उसके ऊपर फूल माला, कुमकुम, हल्दी, चंदन चूर्ण पाउडर, विभूति, शीशा, कंघी, फूल, पान के पत्तों, पंचामृत, दही, केला, दूध, पानी, अगरबत्ती, मोली, धूप, कर्पुर, प्रसाद, तेल दीपक, अक्षत से माँ वर लक्ष्मी की पूजा करे और इस दिन आहार नहीं खाना तथा रात को आरती के पश्चात फल आहार कर सकते है !