Article

जानिए क्या है ! कजरी तीज का महत्व, व्रत कथा और पूजा विधि !

कजरी तीज

06 अगस्त 2020, रविवार

तृतीया तिथि प्रारम्भ - 10:50 बजे, रात्रि, (05 अगस्त 2020)

तृतीया तिथि समाप्त - 12:14 बजे, प्रात: काल, (07 अगस्त 2020)

तिथि 03 , भाद्रपद , कृष्ण पक्ष , तृतीया , विक्रम सम्वत

 

कजरी तीज का क्या महत्व है :-

हिन्दू कलेंडर के मुताबिक कजरी तीज कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को भाद्रपद के महीने में मनाई जाती है ! साल में चार तीज मनाई जाती है ! अखा तीज, हरियाली तीज, कजरी तीज, हरितालिका तीज ! कजरी तीज भी सुहाग की रक्षा और वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि बनाये रखने के लिए मनाई जाती है ! जहा सुहागने अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती है वहीं अविवाहित लड़किया अच्छा वर प्राप्त करने के लिए रखती है ! इस दिन महिलाएं अच्छे - अच्छे वस्त्र पहनती है ! हाथो में मेहंदी लगाती है और इस दिन महिलाएँ माँ पार्वती की पूजा करती है और अपने पति की लम्बी आयु और अपने पति के साथ सम्मानित जीवन व्यतीत करने के लिए व्रत करती है !

कजरी तीज व्रत कथा :-

एक किसान के चार बेटे और चार बहुएं थी ! तीन बहुए तो अच्छे पैसे वाले परिवार से थी लेकिन उनमे से सबसे छोटी वाली बहु गरीब परिवार से थी ! उसके मायके में कोई भी नहीं था जिसे वो अपना कह सके ! एक दिन तीज का त्यौहार आया परम्परा के अनुसार तीनो बड़ी बहुओ के मायके से सत्तू आया परन्तु छोटी बहु के यहाँ से कुछ नहीं आया ! ये देख कर छोटी बहु बहुत दुखी हुई और अपने कमरे में चली गई जब उसका पति घर आया तो पति ने पत्नी से उदासी का कारण  पूछा की क्यों दुखी हो तो उसने सब कुछ अपने पति को बता दिया और अपने पति को वो सब कुछ लाने को कहा जो तीज के लिए जरुरी था ! उसका पति पूरा दिन बाजार में भटकता रहा परन्तु उसे कुछ नहीं मिला ! वह थक हार कर शाम को वापिस घर लोट आया ! उसकी पत्नी को जब यह पता चला की उसका पति कुछ नहीं लाया तो वह बहुत उदास हुई ! अपनी पत्नी का चेहरा देख कर वह रात भर सोना सका दूसरे दिन तीज थी ! वो आधी रात को अँधेरे में घर से निकल गया और एक बनिए की दुकान में घुस गया और वहा चने की दाल लेकर चाकी में पीसना शुरू कर दिया चाकी की आवाज़ सुनकर बनिए के घर वाले जाग गए और उन्होंने उसे पकड़ कर पूछा की ये क्या कर रहे हो ! इस पर उसने जवाब दिया की कल कजरी तीज है और मेरी पत्नी के मायके में कोई भी नहीं है ! इसलिए मैं सत्तू चोरी करने आया हूँ ! आप की दुकान पर दाल चीनी और घी सब कुछ था ! इसलिए आपके यहाँ से सत्तू बना के ले जा रहा था ! तभी बनिए ने बोला की तुम घर जाओ आज से तुम्हारी पत्नी हमारी धर्म बेटी हुई ये बात सुनकर वो अपने घर वापस चला गया और अगले दिन बनिए ने अपने नोकरो के साथ चार तरह के सत्तू अनेक सादिया और पूजा का सामान उसके घर भिजवा दिया ! ये सब देख कर जेठानिया बोली की तुम्हारे पीहर में तो कोई है नहीं तो ये सब कहा से आये तब छोटी बहु ने बोला की ये सब मेरे धर्म पिता जी ने भिजवाया है ! भगवान ने उसकी सुनी और उसकी पूजा सफल हो पाई !

कजरी तीज की पूजा विधि :-

1. सबसे पहले पूजा का सामान एकत्रित कर ले ! उसके बाद कुछ रेत जामा कर ले और उससे एक तालाब बनाए याद रखें की तालाब सही से बना हो उसमें से पानी लिक ना हो!

2. तालाब के किनारे एक नीम की एक डाल लगा दे और इसके ऊपर लाल रंग का वस्त्र बांध दे !

3. अब इसके पास गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति विराजमान कीजिये सब जानते है की इनके बिना पूजा नहीं की जा सकती है !

4. अब कलश के ऊपर एक स्वास्तिक बना लीजिये ! कलश के अंदर थोड़े से चावल, कुमकुम, गुड़ और एक सिक्का भी डालदे ! इस तरह गणेश जी और लक्ष्मी जी के साथ भी करे उन्हें भी कुमकुम, चावल, गुड़ और एक सिक्का चड़ा दे !

5. व्रत कथा शुरू करने से पहले दीपक और अगरबत्ती जला लीजिये ! व्रत कथा पूरी होने के बाद तालाब में सत्तू, फल, सिक्के और ओढ़नी की परछाई देखें ! याद रखें कि परछाई बस चढ़ाई गई चीजों की ही देखनी है !

6. तीज खत्म होने के बाद तीज माता के चारो और तीन बार परिक्रमा करे !