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किचन के लिये वास्तु टिप्स (Vastu Tips for Kitchen)

वास्तु शास्त्र को लेकर लोगों के दिमाग में बहुत से विचार आते हैं क्योंकि वास्तु के संबंध में लोगों में काफी भ्रम एंव असमंजस की स्थिति बनी रहती है, जबकि ऐसा नहीं है, वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एंव प्रकाश है, यह जीवन के लिये अति आवश्यक है, अगर इनमें असंतुलन होगा तो नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है, इस उदाहरण के द्वारा इसे हम और स्पष्ट रूप से समझ पाएंगे- कभी ये सोचा है कि सड़क पर बायीं ओर ही क्यों चला जाता है क्योंकि सड़क की बायीं ओर चलना आवागमन का एक सरल नियम है, अगर नियम का उल्लंघन होने लगे तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे ही वास्तु के नियमों का सही प्रकार से पालन न करने पर उस व्यक्ति का स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि उसके शरीर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, रसोईघर से संबंधित वास्तु में कुछ निर्धारित स्थान दिये गये हैं, इसलिये हमें अपना रसोईघर वहीं बनाना चाहिये।

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रसोईघर की गलत दिशा से बढ़ सकती हैं मुश्किलेंः-

1. यदि रसोईघर नैऋत्य कोण में हो तो यहाँ रहने वाले हमेशा बीमार रहते हैं।
2. यदि घर में अग्नि वायव्य कोण में हो तो यहाँ रहने वालों का अक्सर झगड़ा होता रहता है, मन हमेशा अशांत रहता है और जीवन में कई प्रकार की परेशानियाँ बढ़ जाती हैं।
3. यदि अग्नि उत्तर दिशा में हो तो यहाँ रहने वालों को धन हानि होती है।
4. यदि अग्नि ईशान कोण में हो तो बीमारी और झगड़े अधिक होते हैं, साथ ही धन हानि और वंश वृद्धि में भी कमी आती है।
5. यदि घर में अग्नि मध्य भाग में हो तो यहाँ रहने वालों को हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि रसोईघर से कुआं सटा हुआ हो तो गृहस्वामिनी चंचल स्वभाव की होगी, अत्यधिक कार्य के बोझ से वह हमेशा थकी मांदी रहेगी।​

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रसोई कहां हो ?

1. हमारा रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण में ही होना चाहिये।
2. नया रसोईघर बनाने के लिये या घर की रसोई बनाने के लिये दक्षिण-पूर्व क्षेत्र सर्वोत्तम रहता है, वैसे यह उत्तर पश्चिम में भी बनाया जा सकता है।
3. यदि घर में अग्नि आग्नेय कोण में हो तो यहां रहने वाले कभी भी बीमार नहीं होते, ऐसे लोग हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
4. यदि भवन में अग्नि पूर्व दिशा में हो तो यहाँ रहने वालों का ज्यादा नुकसान नहीं होता है।
5. हमारा रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण, पूर्व दिशा में होना चाहिये या फिर इन दोनों के मध्य में होना चाहिये, वैसे तो रसोईघर के लिये उत्तम दिशा आग्नेय ही है।

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क्या करें, क्या न करें ?

1. उत्तर पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं।
2. रसोईघर के दक्षिण पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें।
3. कभी भी अपनी रसोईघर के बीचोंबीच गैस, चूल्हा आदि नहीं जलाएं और न ही रखें।
4. उत्तर दिशा की ओर मुख करके कभी भी खाना नहीं पकाना चाहिये, यह सोचकर कि थोड़े दिनों की ही तो बात है कभी भी किसी भी हालत में चूल्हा उत्तर दिशा में रखकर खाना न पकाएं।
5. भोजन कक्ष (डाइनिंग रूम) हमेशा पूर्व या पश्चिम में हो, भोजन कक्ष दक्षिण दिशा में बनाने से बचना चाहिये।

स्मार्ट टिप्सः-

1. कभी भी रसोईघर में 3 चकले न रखें, इससे घर में कलेश होता है।
2. रसोईघर में हमेशा गुड़ रखना चाहिये इसे सुख शांति का संकेत माना जाता है।
3. घर में टूटे फूटे बर्तन इस्तेमाल न करें इससे घर में अशांति का माहौल बना रहता है।
4. चूल्हे को अंधेरे में न जलायें ऐसा करने से संतान पक्ष से कष्ट मिल सकता है।
5. हल्दी को नमक के साथ या पास में न रखें ऐसा करने से मतिभ्रम की संभावना हो सकती है।
6. रसोईघर में कभी भी नहीं रोना चाहिये ऐसा करने से अस्वस्थता बढ़ती है।
7. रसोईघर पूर्व मुखी अर्थात् खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिये, उत्तर मुखी रसोई खर्च ज्यादा करवाती है।
8. आपकी रसोई यदि आग्नेय या वायव्य कोण को छोड़कर किसी भी अन्य क्षेत्र में हो तो कम से कम वहां पर बर्नर की स्थिति आग्नेय अथवा वायव्य कोण की तरफ ही हो।
9. अपने रसोईघर की स्वच्छता और पवित्रता को किसी मंदिर से कम नहीं रखना चाहिये, ऐसा करने से माँ अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
10. रसोईघर के लिये दक्षिण-पूर्व क्षेत्र का प्रयोग उत्तम है, परन्तु जहाँ सुविधा न हो वहाँ विकल्प के रूप में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु उत्तर-पूर्व मध्य व दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का सदैव त्याग करना चाहिये।

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