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जानिए क्यों और कैसे मनाया जाता है ! दशहरा (विजयदशमी)

विजयदशमी मुहूर्त :-

25 अक्टूबर 2020 (रविवार)

विजय मुहूर्त = 01:57 से 02:42

तिथि 24, आश्विन, शुक्ल पक्ष, नवमी, विक्रम सम्वत

बुराई पर अच्छाई की विजयी का प्रतीक है विजयादशमी, इसे दशहरे के नाम से जाना जाता है क्योकि यह दशमी तिथि पर पड़ता है ! विजयादशमी को जीत के उत्सव के रूप में हर साल मनाया जाता है ! इसे मानाने के तरीके भिन्न हो सकते हैं ! इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं ! पुराने समय में राजा महाराजा भी अपने शस्त्रों की पूजा करवाते थे, जो उनकी जीत और खुशहाली का प्रतीक होती थी !

दशहरा पर्व कैसे मनाया जाता है और पौराणिक कथा :- 

नवरात्री के नौ दिनों के बाद विजय पर्व के रूप मैं दशहरा या विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है ! दशहरा एक प्रसिद्ध हिन्दू त्यौहार है ! जो अच्छाई की बुराई पर जीत की ख़ुशी के रूप में मनाया जाता है ! इसे विजयदशमी के नाम से भी जानते है ! दशहरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द (दशहर) से हुई है ! इसका शाब्दिक अर्थ दस बुराइयों से छुटकारा पाना है ! दशहरा उत्सव भगवान् श्री राम का अपनी पत्नी को रावण पर जीत प्राप्त कर छुड़ाने के उपलक्ष में तथा अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीकात्मक रूप में मनाया जाता है ! यह देशभर में लाखों लोगो द्वारा मनाया जाता है ! जो अलग - अलग स्थानों पर दशहरा और विजयदशमी के नामो से जाना जाता है ! खुले स्थानों पर मेले भी लगाए जाते है और रावण का पुतला भी लगाया जाता है और बाद में इन पुतलों को बड़ी उत्साह के साथ जलाया जाता है ! दशहरा के साथ नवरात्री उत्सव भी सम्पन हो जाता है ! दशहरा के दिन प्रथम नवरात्री में प्रस्थापित की गई देवियों की मूर्तियों का विसर्जन पानी में करके उपवास में लीन श्रद्धालु एक दूसरे को जाकर मिठाईया भेट करते है और हर वर्ष देश में रामलीला का आयोजन किया जाता है ! जिसमे भगवान श्री राम और दस सर वाले देत्ये के साथ युद्ध का मंचन होता है !

रामलीला भारत का सबसे प्राचीन और लोकप्रिय नाटक है ! नई दिल्ली में रामलीला के मैदान में लव कुश रामलीला कमेटी दवारा इसका मंचन किया जाता है ! हज़ारो लोगो की तादात में महाकाव्य रामायण पर आधारित इस नाटक को देखने आते है ! भारत के पास के कुछ छोटे अतिरिक्त देशों में दशहरा अपने अलग - अलग रूप में जैसे श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल में भी मनाया जाता है ! दशहरा पुरे भारत देश में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है ! जिसे हिन्दू धर्म के अनुसार माँ दुर्गा और भगवान श्री राम से जोड़कर देखा जाता है ! इस त्यौहार मानाने के सन्दर्भ में आस्था यह है कि माँ दुर्गा ने महिषासुर से लगातार 9 दिनों तक युद्ध करके दशहरा के दिन ही महिषासुर का वध किया था ! इसलिए नवरात्री के बाद इसे माँ दुर्गा के 9 शक्ति के रूप में विजयदशमी के नाम से मनाया जाता है ! जबकि भगवान् श्री राम ने 9 दिनों तक रावण के साथ युद्ध करके 10 वे दिन ही वध किया था ! इसलिए इस दिन को भगवान् श्री राम के संदर्भ में भी विजयदशमी के रूप में मानते है और इस दिन रावण का भी वध हुआ था ! जिसके दस सिर थे इसलिए इस दिन को (दस + हरा) इसका मतलब दस सर वाले के प्राण हरने वाले के रूप में मनाया जाता है !

हिन्दू धर्म में दशहरा यानि विजयदशमी एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन क्षत्रिये शस्त्र पूजा करते है और ब्राम्हण उस दिन शस्त्र पूजा करते है ! पुराने समय में राजा महाराजा जब किसी दूसरे राज्य पर आक्रमण कर उसपर कब्ज़ा करना चाहते थे ! तो वह अपने आक्रमण के लिए इस दिन को ही चुनते थे ! जबकि ब्राम्हण विद्या जल के लिए प्रस्थान करते या इसी दिन का चुनाव करते थे ! क्युकी हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमे विजय यानि सफलता प्राप्त होती है और इसी मान्यता के कारण ही व्यापारी लोग किसी नए व्यापार या उद्घाटन के लिए इसी दिन को मान्यता देते है ! जैसे दीपावली के बाद लाभ पंचम को महत्व देते है ! विजयदशमी के इस दिन सामान्य बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में रावण के पुतले का दहन किया जाता है ! जब रावण दहन के बाद जब लोग घर लौटते है तो सामान्य शमी के पत्तो को भी अपने घर लेकर आते है ! जो की इस आस्था का प्रतिक है कि शमी के पत्तो को घर लाने से घर में स्वर्ण का आगमन होता है ! भारत मैं दशहरा के सन्दर्भ में विभिन प्रकार की मान्यताओं के साथ ही इसे मनाने के तरीके भी अलग - अलग राज्यों में है !

विजयदशमी की महत्वता :-

शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए ! इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग और भी अधिक शुभ माना गया है ! युद्ध करने का प्रसंग ना होने पर भी इस काल में राजाओं को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए ! दुर्योधन ने पाण्डवों को पराजित करके 12 साल के वनवास के साथ 13 वे वर्ष में अज्ञात वास की शर्त दी थी ! 13 वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः 12 वर्ष का वनवास भोगना पड़ता ! इसी अज्ञात वर्ष में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वनलहे वेश में राजा विराट के पास नौकरी करली थी ! जब गौ रक्षा के लिए विराट के पुत्र ने कुमार अर्जुन को अपने साथ लिया तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हतियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी ! विजयदशमी के दिन भगवान रामचन्द्र जी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय भगवान् श्री राम की विजय का उद्घोष किया था ! विजय काल में शमी पूजन इसलिए होता है !