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गुरु पूर्णिमा: क्यों हैं गुरु के श्री चरणों में शीश झुकाना उत्तम? (Guru Purnima)

गुरु पूर्णिमा तिथि :-

05 जुलाई 2020 (रविवार)

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ = 11:33 (04 जुलाई 2020)

पूर्णिमा तिथि समाप्त = 10:13 (05 जुलाई 2020)

गुरु को समर्पित गुरु पूर्णिमा :-

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही शंकर है; गुरु स्वयं साक्षात् परब्रह्म है तथा ऐसे सद्गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ। गुरु शिष्य परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है। गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान मिला है, क्योकि गुरु ही है जो हमे  ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। इसलिए कबीर जी ने कहा है -

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।

बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

अर्थात- गुरू और गोविन्द (भगवान) यदि एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करें – गुरू को अथवा गोबिन्द को? ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है क्योकि उन्ही की कृपा से हमें गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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गुरु पूर्णिमा ऐसे ही गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने सदैव बिना किसी लोभ के अपने शिष्यों को ज्ञान द्वारा भक्ति तथा मुक्ति का मार्ग दिखाया है। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कहा जाता है, जो इस वर्ष 16 जुलाई  को पड़ेगी। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतू के आरम्भ में आती है तथा मौसम के दृष्टि से आने वाले चार मास विद्या ग्रहण के लिए उपयुक्त होते हैं। इस ऋतू में मध्यम गर्मी तथा मध्यम सर्दी होती है, तथा गुरुजन एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा प्रवाहित करते हैं।

वेद व्यास की जन्म तिथि:-

पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को हुआ था, इसलिए यह दिन गुरुओं को समर्पित है। महर्षि व्यास जी ने ही जनसामान्य को चारों वेदों का अर्थ समझाया था इसी कारण उन्हें ‘वेद’ व्यास भी कहा जाता है। वेद व्यास जी ने 18 पुराणों तथा 18 उपपुराणों की रचना की थी।

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गुरु पूर्णिमा का दार्शनिक अर्थ :-

आषाढ़ मास में आसमान अक्सर बादलों से घिरा रहता है और उन बादलों के बीच से चन्द्रमा की किरणे निकल कर जग को प्रकाशित करती है। आषाढ़ मास में गुरु पूर्णिमा मानाने का आध्यात्मिक तथा दार्शनिक अर्थ है- जिस प्रकार पूर्णिमा के चंद्र की किरणे बादलों को चीरते हुए पृथ्वी को प्रकाशित करती है और शीतलता प्रदान करती है उसी प्रकार गुरु भी अपने ज्ञान से शिष्यों के मन की आशंका तथा अज्ञान को मिटा कर उसे ज्ञान रूपी प्रकाश से भर देता है। और उसके जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है, उसके जीवन में एक लक्ष्य को निर्धारित करता है।  इसीलिए कहा गया है,

गुकारस्त्वन्धकारस्तु रुकार स्तेज उच्यते ।

अन्धकार निरोधत्वात् गुरुरित्यभिधीयते ॥

अर्थात- 'गु'कार मतलब अंधकार, और 'रु'कार यानि तेज; जो अज्ञान रूपी अंधकार का निरोध करता है, वही गुरु कहलाता है।

गुरु पूर्णिमा का दिन है अपने गुरु को धन्यवाद करने का दिन, उनको पूजने का दिन तथा दिल से खुद को उनके चरणों में समर्पित करने का दिन। आप भी अपने गुरु के समक्ष अपना आभार प्रकार करें। इस दिन आप अपने माता पिता को भी धन्यवाद कर सकते हैं क्योकि वो भी हमारी प्राथमिक शिक्षा के गुरु हैं।