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श्री विद्याधर त्रिपाठी मधुप जी महाराज का जीवन परिचय।

जीवन परिचय :-
                                                                                                                                                                          


भगवान श्री कृष्ण चंद्र युगल सरकार राधा माधव की लीलास्थली क्रीड़ास्थली एवं ब्रजभूमि कालिंदी के सुंदर तट पर स्थित श्रीधाम वृंदावन में परमपूज्य श्रीनाथ शास्त्री जी एवं शिवकरण पांडे गुरुजी के परम शिष्य "श्री विद्याधर त्रिपाठी मधुप जी महाराज" जी का जन्म प्रयागराज की पावन भूमि के अंतर्गत इमली गांव (छोटीकाशी) कौशांबी ने संवत् - २०३६ माघ वदी अष्टमी बुधवार को 09 जनवरी 1980 में हुआ। मां सरस्वती सिद्धोपासक श्री श्री श्याम पंडित जी ने स्वयं भविष्यवाणी किया था कि यह बालक दैवात अगर जीवित रहा तो बड़ा ही सद्गुण संपन्न एवं मां सरस्वती जी की कृपा से युक्त रहेगा तथा सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार तथा देश-विदेश में ख्याति प्राप्त करेगा।


अपने माता श्रीमती "मालती देवी" एवं पिताश्री "उमापति त्रिपाठी" जी से आशीर्वाद प्राप्त कर बाल्यकाल से ही प्रयाग की पावन भूमि में स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर ब्रज की यात्रा "श्री रवि त्रिपाठी जी" कनाडा के प्रेरणा से की एवं पावन भूमि वृंदावन में भजन स्थली तथा निवास बनाया। वह श्रीमद्भागवत, शिव महापुराण, श्री राम कथा एवं श्रीमद्देवीभागवत के सरस कथा प्रवक्ता हैं। उनकी एक भजन पुस्तिका भी है जिसका नाम- "मधुप मंजरी" है। श्री विद्याधर त्रिपाठी मधुप जी महाराज ने अपने संतों एवं गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त कर 108 श्रीमद्भागवत का परायण तथा देश के अनेकों नगरों एवं ग्रामों में श्रीमद्भागवत की कथा संपन्न की। उसके बाद अयोध्या धाम जाकर "श्री रामहर्षण दास जी महाराज" से वैष्णव दीक्षा प्राप्त किया। यजमाना एवं भक्तों के निवेदन एवं बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने "श्रीमद्भागवत भक्ति रस विश्व कल्याण समिति" रजिस्टर्ड ट्रस्ट की स्थापना की।