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क्या आप जानते हैं भगवान शिव से जुड़े वो तथ्य जो हम सब के लिए महत्वपूर्ण है ?

देवाधिदेव, भोलेबाबा, शिव शंकर या त्रिपुरारी, ऐसे अनेकों नाम से भक्त इन्हे जानते हैं। जब भी पृथ्वी पर या देवताओं पर संकट आया, भोलेनाथ ने सदैव आगे बढ़कर उनकी मदद की है। भोलेनाथ एक ऐसे भगवान् हैं जो न केवल मनुष्यों के बल्कि देवताओं और राक्षसों के भी आराध्य है। आइये इनके बारे में जानते हैं कुछ विशिष्ट बातें –

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१. भोलेनाथ अजन्मे कहलाते हैं अर्थात जिनका जन्म नहीं हुआ हो। यह अनादि हैं, अनादि का अर्थ है जो सदैव से था।

२. भगवान शिव की तांडव करती हुई प्रतिमा को नटराज कहते हैं। नटराज की मूर्ति कत्थक अथवा भरतनाट्यम करते हुए राखी जाती है।

३. किसी भी ईश्वर की खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती, लेकिन केवल शिवलिंग ही ऐसी चीज है जो कितनी भी टूटी हो, सदैव पूजी जाती है।

४.  भगवान शिव के दो पुत्र माने गए हैं- गणेश जी और कार्तिकेय। किन्तु गणेश जी केवल माता पार्वती की शक्ति से हुए हैं, इसलिए माता पार्वती और शिवजी के पुत्र कार्तिकेय हैं।

५. भगवान शंकर की एक बहन भी है, अमवारी। जिसे महादेव ने अपनी माया से उत्पन्न किया था।

६. शिव शंकर और माता पार्वती के विवाह के दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

७. शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय हैं, किन्तु इन्हे केवल जल के साथ चढ़ाना चाहिए अकेले नहीं।

८. केतकी का पुष्प शिव शंकर को नहीं चढ़ता क्योकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह था।

९. माँ पार्वती के आदेश का पालन करते हुए गणेश जी ने शिव जी को द्वार पर रोका था, जिसके परिणाम स्वरुप शिवजी ने गणेश जी का गला काट दिया था।

१०. शिवजी पर शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता क्योकि शंखचूड़ को शिवजी ने अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था। और शंख का निर्माण शंखचूड़ की हड्डियों से ही हुआ था।

११. भगवान् शंकर के गले में लिपटा नाग वासुकि है, जो शेषनाग के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली नाग है। समुद्र मंथन में वासुकि की ही नेकी बनाई गयी थी।

१२. शंकर नीलकंठ हैं, क्योकि उन्होंने समुद्र मंथन में निकले भयंकर विष को अपने कंठ में धारण किया था। यह विष इतना खतरनाक था की इसकी एक भी बून्द धरती को तबाह कर सकती थी, सभी देवता और राक्षस इस विष से भयभीत हो गए थे। तब केवल शिव ही इस विष को ग्रहण करने के लिए आगे आये।

१३. चन्द्रमा को शिव ने अपनी जटाओं में धारण करके उन्हें जीवनदान दिया है।

१४. जब गंगा धरती पर आयीं थी तब उनका वेग इतना खतरनाक था की वह पृथ्वी पर तहलका मचा देता। किन्तु शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में बांध लिया और तब उनको अलग अलग स्थान पर हलके वेग से उतारा।

१५. शंकर का वाहन नंदी उन्ही का अंश था, जो की ऋषि शिलाद को पुत्र रूप में उन्होंने दिया था। नंदी की कठोर तपस्या से प्रसन्न हो शिव ने उन्हें अपना गण बना लिया।

१६. शिव का बाघम्बर उन्ही द्वारा मारे गए एक बाघ की खाल है।

१७. शिव ने तांडव के बाद चौदह बार डमरू बजाया, जिससे महेश्वर सूत्र अर्थात संस्कृत व्याकरण की उत्पत्ति हुई।

१८. शिव संहारकर्ता भी हैं, उनकी तीसरी आँख प्रलय ला देती है। इसलिए उनकी तीसरी आँख सदैव बंद रहती है।

 

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