आइये भक्तजनों आज हम सुनेगे तीज की कथा
सावन मास के शुक्ल पक्ष के महीने के तीसरे दिन को सावनी तीज या तीज कहते है। कई जगह इसे हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है, तीज का त्यौहार स्त्रियों का त्यौहार है, इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छठा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता हैं। और जगह-जगह झूले पड़ते है इस त्यौहार में स्त्रियाँ गीत गाती हैं झूला झूलती हैं और नाचती हैं कहते है इस दिन मां पार्वती सौ वर्षो की तपस्या साधना के बाद भगवान शिव से मिली थीं इस दिन मां पार्वती की पूजा की जाती है
विधि- इस दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत करती हैं। इस दिन भगवान शंकर-पार्वती का बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। एक पवित्र चैकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती जी की प्रतिमा रखें।
इस व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण करती है, और कथा -पूजन के साथ कीर्तिन करती है। ताकि उन्हे अच्छा पति मिले।
सावन तीज व्रत कथा
माता गौरी ने सती के बाद हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। बचपन से ही पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थी। जिसके लिये पार्वती जी ने कठोर तप किये.... कड़कडाती ठंड में ठंडे पानी में खडे होकर गर्मी में अग्नि के सामने बैठकर, बारिश में जल में रहकर कठोर तपस्या की 12 वर्षो तक निराहार सिर्फं पत्तों को खाकर पार्वती जी ने इस व्रत को किया। उनके इस तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने हिमालय से पार्वती जी का हाथ विवाह के लिये मांगा। जिससे हिमालय बहुत प्रसन्न हुआ और पार्वती को ये बात बताई इस बात को सुनकर पार्वती दुखी हो गई। ओर अपनी सखी से सारी बात कह सुनाई और दुखी होकर जीवन को त्याग देने की बात कहने लगी। इसे सुनकर सखी पार्वती को एक वन में ले गई ओर वहाँ जाकर पार्वती जी ने छिपकर तपस्या की। वहाँ पार्वती को शिव ने आर्शीवाद दिया और पति के रूप में मिलने का वर दिया। पार्वती की इस तपस्या के आगे पिता हिमालय की भी ना चली और अंत में हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह शिव जी से तय कर दिया। इस प्रकार कठोर तप से पार्वती जी ने अपने मनचाहे वर शिव को पाया। साथ ही ये आर्शीवाद दिया की जो भी स्त्री तीज के दिन इस व्रत को नियम अनुसार करेगी वो मनवांछित वर पायेगी और जो भी सुहागन स्त्री इस व्रत को करेगी उसके सुहाग की आयु लम्बी होगी।
जो भी इस व्रत को करता है मां पार्वती उस स्त्री की मनोकामना पूर्ण करती है।