'काँचीपुरी' नामक नगर में देवस्वामी नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम धनवती और पुत्री का नाम गुणवती था। उसके सात पुत्र थे। देवस्वामी ने सातों पुत्रों का विवाह करने के पश्चात् अपनी पुत्री के विवाह के लिए योग्य वर की तलाशी हेतु अपने बड़े लड़के को बाहर देश भेजा दिया। इधर देवस्वामी ने अपनी पुत्री गुणवती की कुंडली एक ज्योतिषी को दिखाई। ज्योतिषी ने गुणवती की कुंडली देखकर कहा कि सप्तपदी होते-होते ही यह कन्या विधवा हो जाएगी। यह बात सुनकर देवस्वामी अत्यंत दुःखी हुए और ज्योतिषी से इस योग के निवारण का उपाय पूछने लगे। ज्योतिषी ने उपाय बताया कि इस योग का निवारण सिंहलद्वीप वासिनी 'सोमा' नामक धोबिन को घर बुलाकर उसकी पूजा करने से ही संभव होगा। यह सुनकर देवस्वामी ने अपने सबसे छोटे लड़के के साथ अपनी पुत्री को सोमा धोबिन को घर लाने के उद्देश्य से सिंहलद्वीप जाने के लिए रवाना किया। वे दोनों समुद्र के तट पर पहुँचकर समुद्र पार करने का उपाय सोचने लगे। लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। थक-हार कर दोनों भाई-बहिन भूखे-प्यासे एक वट-वृक्ष की छाया में उदास होकर बैठे गए। देवस्वामी ने अपनी पुत्री गुणवती की कुंडली एक ज्योतिषी को दिखाई। ज्योतिषी ने गुणवती की कुंडली देखकर कहा कि सप्तपदी होते-होते ही यह कन्या विधवा हो जाएगी। यह बात सुनकर देवस्वामी अत्यंत दुःखी हुए और ज्योतिषी से इस योग के निवारण का उपाय पूछने लगे। उस वृक्ष के तने की एक खोह में गिद्ध के बच्चे रहते थे। वे दिनभर इन दोनों को परेशान होते हुए देख रह थे। शाम को बच्चों की माँ उनके लिए कुछ आहार लेकर आई और उन्हें खिलाने लगी। लेकिन गिद्ध के बच्चों ने कुछ नहीं खाया और अपनी माँ से कहा- 'इस वृक्ष के नीचे आज सुबह से ही दो भूखे-प्यासे प्राणी बैठे हैं। जब तक वे नहीं खाएँगे, हम लोग भी नहीं खाएँगे।' बच्चों की बात सुनकर उनकी माँ गिद्धनी को दया आई गई। उसने दोनों प्राणियों को देखा और उनके पास जाकर कहा- 'आपकी इच्छा मैंने जान ली है। आप लोग भोजन करें। कल प्रातः मैं आप लोगों को समुद्र पार सोमा के घर पहुँचा दूँगी।' गिद्धनी की बात सुनकर उन दोनों भाई-बहिन की चिंता कम हुई, दोनों को अत्यंत प्रसन्नता हुई, उन्होंने गिद्धनी को प्रणाम कर भोजन किया। प्रातः होते-होते गिद्धनी ने उन्हें सोमा के घर पहुँच दिया।
मौनी अमावस्या 2018 मुहूर्त मौनी अमावस्या का आरंभ सुबह 5 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है जो 17 जनवरी को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इसलिए सूर्योदय के बाद से ही पूरे दिन स्नान दान का शुभ मुहूर्त है।
जानें मौनी अमावस्या की पूजा विधि एवं महत्व
इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं, यदि आपके आसपास पवित्र नदी हो तो वहां स्नान करें अन्यथा अपने घर में ही नहाने के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें। साफ-सुथरे कपड़े धारण करें एवं सूर्य को तिल डालकर जल चढ़ायें, भगवान शिवजी और श्री कृष्ण के मंत्र का उच्चारण करें साथ ही दान करें, व्रत जल और फल का सेवन करके पूर्ण करें.
इस दिन इस मंत्र का जप करें-अमावस्या के दिन मंत्र के जप से विशेष उपलब्धि की प्राप्ति होगी साथ ही स्नान दान का पूरा पुण्य भी मिलेगा. इस दिन रूद्राक्ष की माला धारण कर लें, इससे ग्रहों के दोषों का निवारण होता है.
इस दिन शिव जी के मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ायें वहां एक रूद्राक्ष की माला को अर्पित करें और धूप दीप जलाकर निम्न मंत्र का 108 बार उच्चारण करें-
मंत्र-
अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयः सप्तैया मोक्ष दायिका।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।