लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के उपाय
लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए शानिवार की रात को बेसन या मकई की रोटी बनाकर तथा सरसों के तेल में चुपड़कर रोगी के सिर से सात बार वारकर यानि सात बार उतार कर रोटी काले कुत्ते को खिलाएं। ऐसा करने से रोगी की तबीयत में सुधार होता है तथा लम्बे समय से चली आ रही बीमारी से मुक्ति मिल जाती हैं
1.घर में सभी सदस्यों या घर में आए हुए मेहमानों की संख्या के बराबर मीठी रोटियाँ बनाकर महीने में एक बार कुत्तों एंव कौआ को डाले।
2.एक बड़ा सा सीताफल लें जो अंदर से पूरी तरह से पका हो एंव खोखला हो उसे महीने में एक बार धर्मस्थान में देने से बीमारी ठीक हो जाती हैं
3. यदि किसी प्रकार से रोगी की तबीयत में सुधार ना होतो 43 दिन लगतार रात के समय 2 तांबे के सिक्के अपने सिरहाने रखकर सोएं और सुबह वह पैसे किसी भंगी को दे दें।
4. किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रातः उठकर फूल को निकालकर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्र्चयजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।
5. घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में ( फूलदार बाती ) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
6. रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दुस्वप्न नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एंव घर में शांति बनी रहती हैं।
7.पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से बीमारी तो दूर होती है। साथ ही गृह क्लेश, और व्यापार हानि से मुक्ति मिलती हैं।
8.घर में कोई बीमार हो जाये तो उस रोगी को शहद में चंदन मिला कर चटाएं।
9. किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हो, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, मछलियों को डालें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।
आप के शरीर पर भी आप ने इन निशानो को देखा होगा तो दोस्तों आज मे आपको बताऊँगी हमारे शरीर पर तिल का होना
क्या संकेत देता है
ललाट पर तिल- ललाट के मध्यम भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने यानि सीधे हाथ की तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता बतलाता है पर बायींयानी उलटी तरफ का तिल फिजुलखर्ची का प्रतीक होता है।
भौंहो पर तिल- यदि दोनों भौंहों पर तिल हो तो जातक अकसर यात्रा करता है। दाहिनी यानी सीधी आईब्रो पर तिल सुखमय और बायी उलटी तरफ पर तिल दुखमय दांपत्य जिवन का संकेत देता है।
आंख पर तिल -दायी आंख पर स्त्री से मेल होने का एवं बायी आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का अभास देता हैै।
आंख की पुतली पर तिल -दायी यानी सीधी ओर पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते है। बायी यानि उलटी तरफ पुतली पर तिल वालों के विचार ठीक नही हेाते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग सामान्यत भावुक होते हैं।
पलकों पर तिल -आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशील होता है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं।
कान पर तिल- कान पर तिल व्यक्ति के अल्पायु होने का संकेत देता है।
नाक पर तिल- नाक पर तिल हो तो व्यक्ति प्रतिभासंपन्न और सुखी होता है। महिलाओं की नाक पर तिल उनके सौभाग्यशाली होने का सूचक है।
होंठ पर तिल- होंठ पर तिल वाले व्यक्ति बहुत प्रेमी हृदय होते हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी छाई रहती है।
मुंह का तिल- मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरूष दोनों के सुखी संपन्न एंव सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का धनी बनाता है। उसका जीवनसाथी सज्जन होता है।
गाल पर तिल- गाल पर लाल तिल शुभ फल देता है। बांए गाल पर कृष्ण वर्ण तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु दांए गाल पर धनी बनाता हैै।
जबड़े पर तिल- जबड़े पर तिल हो तो स्वास्थ्य की अनुकूलता और प्रतिकूलता निरंतर बनी रहती है।
ठोड़ी पर तिल- जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है।
दाहिनी भुजा पर तिल- ऐसे तिल वाला जातक प्रतिष्ठित व बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं।
बायीं भुजा पर तिल-बायीं भुजा पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू होता है। उसका सर्वत्र निरादर होता है। उसकी बुद्धि विचलित ही रहती है।
कोहनी पर तिल-कोहनी पर तिल का पाया जाना विद्ववानता का सूचक है।
हाथों पर तिल- जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है। गुरू क्षेत्र में तिल हो तो सन्मार्गी होता है। दायीं हथेली के पृष्ठ भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो जातक खर्चीला तथा बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।
अंगूठे पर तिल- अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।
तर्जनी पर तिल- जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यवान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीड़ित होता है।
मध्यमा पर तिल- मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।
अनामिका पर तिल- जिसकी अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।
कनिष्ठा पर तिल- कनिष्ठा पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।
गले पर तिल-गले पर तिल वाला जातक आरमतलब होता है। गले पर सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।
छाती पर तिल- छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी स्त्री अनुरागिनी होती है। पुरूष भाग्यशाली होते हैं। छाती पर बायीं ओर तिल रहने से भार्या पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो तो वह सौभाग्यवती होती है।
कमर पर तिल- यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशनियों से घिरी रहती है।
पीठ पर तिल- पीठ पर तिल हो तो जातक भौतिकवादी, महत्वाकांक्षी एंव रोमांटिक हो सकता है। वह भ्रमणशील भी हो सकता है। ऐसे लोग खूब धन कमाते हैं और खर्च भी खुलकर करते हैं। वायु तत्व के होने के कारण ये धन संचय नहीं कर पाते।
पेट पर तिल-पेट पर तिल हो तो व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा कम रहती है।
घुटनों पर तिल- दाहिने घुटने पर तिल होने से गुहस्थ जीवन सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है।
पैरों पर तिल-पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है। ऐसा व्यक्ति यात्राओं का शौकीन होता है। दांए पैर पर तिल हो तो उद्देश्यपूर्ण यात्राएं और बाएं पर हो तो बेकार की यात्राएं होती हैं।