शत्रु का नाश करने के लिए
दोस्तो आज के युग में दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा होते है जिन पर हम सबसे ज्यादा भरोसा करते है अकसर वही हमें धोखा देते है... कलयुग में दोस्त कम दुश्मन ज्यादा होते है आज ईष्या ओर जलन अपनी चरम सीमा पर है। लोग अपनी जीत कम दुसरों की हार पर ज्यादा सुखी होते हैं। अगर आप के पास अच्छी नौकरी है, खुद का घर है कार है तो सामने वाले लोग आप से खुद खुश कम जलेगे ज्यादा। हम से ना जाने कितने ही ऐसे लोग है जिनके अपनो ने उन्हें धोखा दिया और बन बैठे हमारे शत्रु...... यही नही कुछ लोग तो ऐसे भी होते है जो हमारी कामयाबी से जलने लगते है, यही नही हमारी निंदा भी दुसरों से करने लगते है।
हर व्यक्ति अपने शत्रु पर विजय पाना चाहता है पर विजय पाना इतना आसान नही है कई बार हमारा शत्रु हमसे ज्यादा ताकतवर होता है तो कई बार हमारा दुश्मन हमसे ज्यादा समझदार होता है....... इस वजह से हम कुछ नही कर पाते ओर हाथ पर हाथ रख कर म नही मन में ईष्या की ज्वाला में जलते रहते है..... तो दोस्तो अब समय आ गया है इस अग्नि को समाप्त करने का..... क्योंकि मै आप को बताऊंगी वो उपाय जिन्हे अपनाकर आप भी अपने शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते है।
पहला उपाय- साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढ़े में दबा दें और ऊपर से नीबु निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरूद्ध कोई कदम नहीं उठाएगा।
दुसरा उपाय- अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे बैठे लिखें और बाहर निकले वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर आप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यह प्रयोग स्वार्थ वश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है। तभी करे जब आपको कोई परेशान कर रहा हो।
तीसरा उपाय- यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात भर रखें प्रातः काल उठकर बिना नहाये घोए चलते पानी में भी देने से शत्रु, शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है।
चौथा उपास- शत्रु नाश तथा मोक्षशांति देने के लिए माता प्रसिद्ध हैं। इनकी कृपा पाने के लिए निम्न मंत्र जपें ऊँ कात्या यन्यै नमः। सुबह स्नान आदि के बाद 21 बार इस मंत्र का जाप करे। यदि 21 बार ना कर सके तो 11 बार ऊँ कात्यायन्यै नममंत्र का जाप करे। यदि समय का अभाव हो तो इस मंत्र को 5 से 7 बार सुने। फिर देखिये कैसे आप के शत्रु का नाश होता है।
पांचवा उपाय- छिन्नमस्ता देवी शत्रु नाश की सबसे बड़ी देवी हैं, भगवान परशुराम ने इसी विद्या के प्रभाव से अपार बल अर्जित किया था। भगवती छिन्नमस्ता दस महाविद्यायों में प्रचंड चंड नायिका के नाम से जानी जाती हैं। देवी आयु, आकर्षण, धन, बुद्धि, रोगमुक्ति व शत्रुनाश करती हैं। शास्त्रों में देवी को ही प्राणतोषिनी कहा गया है। इनकी पूजा से शत्रुबंधन से निश्चित मुक्ति मिलती हैं। इसीलिए अपने शत्रु से छुटकारा पाने के लिए माता छिन्नमस्ता देवी की पूजा अर्चना करे।
कैसे करे पूजा- शनिवार के दिन स्नान आदि के बाद देवी का पूजन शुरू करें। अपना मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रखें नीला या काला कपड़ा बिछाकर उस पर देवी की मुर्ति रखे...... मुर्ति ना हो तो देवी का चित्र भी रख सकते हैं। नारियल काले चने, साबुत उड़द और गुड़ लेकर देवी के चारणों में अर्पित करे। इसके बाद लाजव्रत या काले काले हकीक की माला से देवी का नाम जपे। निश्चित ही शत्रु से छुटकारा मिल जायेगा। पूजा के बाद देवी के सामने रखी सामग्री मंदिर में दे दे।
छठा उपाय- यदि आप एक कामयाब जिंदगी से नीचे आ गये घर, काम, नौकरी सब घीरे- घीरे चैपट हो रहा है या हो गया है पैसे पैसे के लिये आप परेशान हो रहे है तो हो सकता हैं। आपकी कामयाबी से जलकर किसी ने आपके लिये कोई षड्यंत्र रचा हो.... ऐसे में इस उपाय को अपनाकर आप इस षड्यंत्र को तोड़ सकते है। इस उपाय को करने के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठे। अब एक काला वस्त्र लें ओर उसे अपने सामने बिछा लें उस काले वस्त्र पर एक महाकाली का चित्र स्थपित करें और माँ काली की सामान्य तरीके से पूजा करें। पूजा करने के बाद एक नींबू लें और सिंदूर लें। अब इस नींबू पर सिंदूर से अपने शत्रु का नाम लिख दें। शेष सिंदूर को सरसों के तेल या तिल के तेल में घोल लें और संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद मूंगा, काला हकिक या रूद्राक्ष की एक माला लें और क्रीं क्रीं शत्रु नाशिनी क्रीं क्री फट मंत्र की 11 माला का जाप करें। प्रत्येक माला के पूरे होने पर नींबू के ऊपर उड़द की दाल इस भावना से चढ़ाएं की महाकाली माँ आपके शत्रु के द्वारा रचे गए षड़यंत्र को नष्ट कर रही हैं। ज पके पूर्ण होने के पश्चात् एक तांबे का लोटा या मिटटी की छोटी सी मटकी लें। अब नींबू को लोटे या मटकी में डाल दें। अब काले वस्त्र पर से माँ के चित्र को हटा लें और उस कपड़े से मटकी का मुंह बांध दें.... अब मटकी का हाथ में लेकर माँ से दुबारा प्रार्थना करें कि वह आपके शत्रु द्वारा रचे हुए षड्यंत्र को नष्ट कर दें। प्रार्थना करने के बाद इस मटकी को रात को ही जमीन में गाड़ दें तथा वहाँ से आ जाये। वहाँ से आते वक्त पीछे मुड़कर न देखें। घर पर पहुँच कर स्नान कर लें। इस उपाये को करने से आपके शत्रु का षड़यंत्र विफल हो जायेगा।
व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए- व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसी हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन आर उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिलें तो नमक को सिर के ऊपर से वारकर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी भी सी अनुकूल होगी तो हमें निश्चत ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा।
मनुष्य जीवन में दूसरों को सफल होते हुए देखकर बहुत ही कम खुश होते हैं जैसे- आप सफलता की ऊँचाइयों को छूते जाते हैं वैसे -वैसे आपके पास आपसे इष्र्या करने वाले शत्रु इक्कठे हो जाते है ऐसा कोई व्यक्ति नहीं चाहता कि उनके जीवन में कोई शत्रु हो लेकिन आपकी सफलता को देखकर आपका विरोध करने के ये शत्रु आपके जीवन की सफलता की राह में रोड़े अटकाने का ... लिए कोई न कोई आपका शत्रु बन ही जाता है जिससे कारण आपको कई बार जीवन में हानि का अथक प्रयास करते है सामना करना पड़ता हैं यदि आप शत्रुबाधा से परेशान है तो आज ही इन टोटको को अपनायें और शत्रु बाधा से मुक्ति पायें।