सुधारे अपने ग्रहों की दशा
बृहस्पति, जिन्हें माना गया है प्रार्थना या भक्ति का स्वामी एक हिन्दू देवता एंव वैदिक आराध्या हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है इस प्रकार ये मनुष्यों और देवताओं के बीच मध्यस्थता करते हैं।
इन्हें गुरू, चुरा या देवगुरू भी कहा जाता है। इन्हें किसी भी ग्रह से आत्यधिक शुभ ग्रह माना जाता है। गुरू या बृहस्पति धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति ग्रह कर्क राशी में उच्च भाव में रहता है और मकर राशि में नीच बनता है। सूर्य चंद्रमा और मंगल ग्रह बृहस्पति के लिए मित्र ग्रह है, बुध शत्रु है ओर शनि भी इस ग्रह में शामिल है। गुरू को वैदिक ज्योतिष में आकाश का तत्व माना गया है।
इसका गुण विशालता, विकास और व्यक्ति की कुंडली और जीवन में विस्तार का संकेत होता है। गुरू पिछले जन्मों के कर्म, धर्म, दर्शन, ज्ञान, और संतानों से संबधित विषयों के संतुलन का मोलभाव करता है। यह शिक्षण, शिक्षा और ज्ञान के प्रसार से मोलभाव करता है। यह शिक्षण, शिक्षा ओर ज्ञान के प्रसार से संबद्ध हैं। जिनकी कुंडली में बृहस्पति उच्च होता है, वे मनुष्य जीवन की प्रगति के साथ साथ कुछ मोटे या वसायुक्त होते जाते हैं, किन्तु उनका साम्राज्य और समृद्धि बढ़ जाती है।
मधुमेह का सीधा संबंध कुण्डली के बृहस्पति से माना जाता है। पारंपरिक हिंदू ज्योतिष के अनुसार गुरू की पूजा आराधन पेट को प्रभावित करने वाली बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है तथा पापों का शमन करता है पर यदि आप गुरू खराब तो आप निराश मत होईये बस ये उपाय कीजिये
1. पीला वस्त्र धारण करें।
2. बेसन की सब्जी, मिठाई, चना दाल, पपीता, आम, केला इत्यादि का सेवन करें
3. मंदिर के वृद्ध पुजारी या शिक्षण को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खद्य पदार्थ दान करें।
4. बादाम या नारियल पीले कपड़े में बांधकर नदी नहर में प्रवाहित करें
5. गुरूवार के दिन पीपल के पेंड़ में बृहस्पति के बीज मंत्र जपते हुये जल अर्पण करें।
6. केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।
7. अपने घर में पीले पुष्प गमलों में लगाएं।
8. विष्णु की पूजा आराधना करें।
9. शिक्षक, ब्राहमण, साधु, विद्वान, पति, संतान का दिल न दुःखाएं।
10. बृहस्पतिवार के दिन फलाहार वृक्ष लगाएं और फलों का दान करें।
11. हल्दी की गांठ या केला-जड़ को पीले कपड़े में बांह पर बांधें।
इन उपायों को अपनाकर आप अपने गुरू ग्रह को सही दिशा में ला सकते हैं।
शुक्र ग्रह शांति उपाय
प्रत्येक व्यक्ति की यह इच्छा रहती है कि उसका जीवन सुखपूर्ण रहें, कभी किसी चीज की कमी न हो, सुन्दर घर, नौकर चाकर, गड़िया, महंगा मोबाइल फोन हो, किसी को तो यह सुविधा जन्मजात ही नसीब होती है, किसी को मेहनत से प्राप्त होती है और किसी को प्राप्त ही नही होती हैं। ज्योतिष में शुक्र को स्त्री ग्रह माना जाता है
शुक्र ग्रह से प्रभावित व्यक्ति सौम्य एंव अत्यंत सुंदर होते है। यदि किसी की कुंडली में शुक्र शुभ प्रभाव देता है तो वह जातक आकर्षक, सुंदर और मनमोहक होता है। शुक्र के विशेष प्रभाव से वह जीवनभर सुखी रहता है। शुक्र को पति-पत्नी, प्रेम संबंध, ऐश्वर्य, आनंद आदि का भी कारक ग्रह माना गया है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति अच्छी है तो आपका पूरा जीवन भोग, आनंद और ऐश्वर्य के साथ बितता है। साथ ही दाम्पत्य जीवन सुख और प्रेम से भर जाता है।
शुक्र अपने प्रभाव से व्यक्ति को मकान और वाहन आदि का भी सुख देता है। यदि आप चाहते है कि आपका भी दाम्पत्य जीवन प्रेम, आंनद और सुख से बीते तो, शुक्र के शुभफल देने वाले उपाय करें शुक्र को सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। सुख का कारक माना जाता है। शुक्र की चमक एंव शान अन्य ग्रहों के अलग व निराली है।
इसी सुंदरता के लिए शुक्र जाना जाता है। शुक्र की आराधना कर शुक्र को बलवान बनाकर सुख ऐश्वर्य पाया जाता है। आज हर व्यक्ति अपने जीवन को अपनी हैसियत से ज्यादा आरामदायक वस्तुओं पर खर्च करता हैं। यदि आप भी जिंदगी को ऐश्वर्य और आराम से भरपूर बनाना चाहते हैं तो शुक्र बलवान बनाने वाले इन उपायों को अपनाएं।
1. शुक्र, भोग-विलास, संसारिक सुख, प्रेम, मनोरंजक, व्यवसाय, पत्नी का कारक ग्रह है। प्रमेह, मूत्राशय, चर्म, सेक्स संबंधी बीमारी से इसका सीधा संबंध है।
2. कन्या का शुक्र ( नीच ) का होता हैं।
3. अपने भोजन का हिस्सा झूझा करने से पहले निकालकर गाय को दें।
4. सफेद वस्त्र का प्रयोग करें।
5. चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ किसी पुजारी की पत्नी को दान करें।
6. छोटी इलायची का सेवन करें।
7. घर में तुलसी का पौधा लगाएं
8. श्वेत चंदन का तिलक करें।
9. पानी में चंदन मिलाकर स्नान करें।
10. शुक्रवार के दिन गाय-गौशाला में हरा चारा दें।
11.चांदी का टुकड़ा या चंदन की लकड़ी नदी या नहर में प्रवाहित करें।
12.सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल करें।
शनि ग्रह शांति उपाय
शनि को सूर्य पुत्र माना जाता है। शनि ग्रह के सम्बन्ध में अनेक भ्रान्तियां और इसलिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं।
लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये चह शत्रु नही मित्र है। शनि देव का जन्म से धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की द्वितीय पत्नी के गर्भ से जन्म हुआ, जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसने अपने खाने पीने तक की सुध नही थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया! शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नहीं हैं।
तभी से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखता हैं! शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की ओर शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित व् प्रताड़ित किया गया हैं।
अतः माता की इच्छा हैं कि मेरा पुत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने! तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुये कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा! मनव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे।
मोक्ष को देने वाला एक मात्रा शनि ग्रह ही ळें सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को प्रताड़ित करता हैं। यदि आपकी शनि की दशा ठीक नही है तो आप ये उपाय अपना सकते है।
1. नीले रंग के कपड़ों का अधिक प्रयोग करें।
2. शनिवार के दिन अपंग, नेत्रहीन, कोढ़ी, अत्यंत वृद्ध को खाने की सामग्री दे। या गली के कुत्तों को रोटी भी दी जा सकती है।
3. पीपल या शम्मी पेड़ के नीचे शनिवार संध्याकाल में तिल का दीपक जलायें।
4. समर्थ हैं तो काली भैंस, जूता, काला वस्त्र, तिल, उडद का दान सफाई करने वालों को दें।
5. सरसों तेल की मालिश करें व आंखों में सुरमा लगाएं।
6. पानी में सौंफ, खिल्ला सा लोबान मिलाकर स्नान करें।
7. लोहे का छल्ला मध्यम अंगुली में शनिवार से धारण करें।
8. घर के या पड़ोस के बुजुर्गो की सेवा कर उनका आर्शीवाद प्राप्त करें।
10. शम्मी की जड़ काले कपड़े में बांह में बांधें।
राहु ग्रह शांति उपाय
राहु हिन्दू ज्योतिष के अनुसार उस असुर का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य या चंद्रमा का ग्रहण करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है समुद्र मंथन के समय राहू नामक एक आसुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कूछ बूंदें पी ली थी। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुर्दशन चक्र से काट अलग कर दिया। इससे उसका सिर अमर हो गया।
यही राहु ग्रह बना और सूर्य चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है। इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। जो लोग लगातार अपने को आगे बढ़ाने के लिये देखे जाते है उनके अंदर राहु का प्रभाव कहीं न कहीं से अवश्य देखने को मिलता है। आप भी अपने ग्रह राहु की दशा सुधार सकते हैं।
1. बहते हुए पानी में कोयला, लोहा या नारियल प्रवाहित करें।
2. सफाई कर्मचारी को लाल मसूर दाल तथा रूपये दान करें।
3. चांदी के बने सामान/ आभूषण का प्रयोग करें।
4. गरीब की लड़की के विवाह में आर्थिक मदद करें।
5. तम्बाकू का सेवन नहीं करे।
6. घर में अस्त्र - शस्त्र न रखें।
7. नीला वस्त्र इलेक्ट्रिक/इलेक्ट्रानिक उपकरण या स्टील के बर्तन उपहार में न लें।
8. घर में कुत्ता न पालें।
9. दक्षिणमुखी द्वार वाले घर में न रहें।
10. गरीब व्यक्ति को सरसों, मूली, नीले रंग का कपड़ा दान करें।
11. सास-ससुर की सेवा कर उनका आर्शीवाद लें।