द्वितीय नवदुर्गा: माता ब्रह्मचारिणी
माता ब्रह्मचारिणी का उपासना मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
माता का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ मे जप की माला है ओर बाए हाथ मे कमंडल है | देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है | ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया ओर पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध है|
आराधना महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य मे तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है | जीवन की कठिन समय मे भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नही होता है | देवी अपने साधको की मलिनता, दुर्गणो ओर दोषो को खत्म करती है | देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि ओर विजय की प्राप्ति होती है |