Menu
Home
Guru
God
Video
Aarti
Bhajan
Mantra
Katha
Singer
Article
Yatra
Wallpaper
Desktop Wallpapers
Mobile Wallpapers
Get Socialize
Home
Guru
God
Video
Aarti
Bhajan
Mantra
Katha
Singer
Article
Wallpaper
Desktop Wallpapers
Mobile Wallpapers
आज का पर्व
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड पुष्पवाटिकानिरीक्षण सीताजी का प्रथम दर्शन श्री सीतारामजी का परस्पर दर्शन
पुष्पवाटिका-निरीक्षण, सीताजी का प्रथम दर्शन, श्री सीता-रामजी का परस्पर दर्शन
दोहा :
* उठे लखनु निसि बिगत सुनि अरुनसिखा धुनि कान।
गुर तें पहिलेहिं जगतपति जागे रामु सुजान॥226॥
भावार्थ:-
रात बीतने पर, मुर्गे का शब्द कानों से सुनकर लक्ष्मणजी उठे। जगत के स्वामी सुजान श्री रामचन्द्रजी भी गुरु से पहले ही जाग गए॥226॥
चौपाई :
* सकल सौच करि जाइ नहाए। नित्य निबाहि मुनिहि सिर नाए॥
समय जानि गुर आयसु पाई। लेन प्रसून चले दोउ भाई॥1॥
भावार्थ:-
सब शौचक्रिया करके वे जाकर नहाए। फिर (संध्या-अग्निहोत्रादि) नित्यकर्म समाप्त करके उन्होंने मुनि को मस्तक नवाया। (पूजा का) समय जानकर, गुरु की आज्ञा पाकर दोनों भाई फूल लेने चले॥1॥
* भूप बागु बर देखेउ जाई। जहँ बसंत रितु रही लोभाई॥
लागे बिटप मनोहर नाना। बरन बरन बर बेलि बिताना॥2॥
भावार्थ:-
उन्होंने जाकर राजा का सुंदर बाग देखा, जहाँ वसंत ऋतु लुभाकर रह गई है। मन को लुभाने वाले अनेक वृक्ष लगे हैं। रंग-बिरंगी उत्तम लताओं के मंडप छाए हुए हैं॥2॥
*नव पल्लव फल सुमन सुहाए। निज संपति सुर रूख लजाए॥
चातक कोकिल कीर चकोरा। कूजत बिहग नटत कल मोरा॥3॥
भावार्थ:-
नए, पत्तों, फलों और फूलों से युक्त सुंदर वृक्ष अपनी सम्पत्ति से कल्पवृक्ष को भी लजा रहे हैं। पपीहे, कोयल, तोते, चकोर आदि पक्षी मीठी बोली बोल रहे हैं और मोर सुंदर नृत्य कर रहे हैं॥3॥
* मध्य बाग सरु सोह सुहावा। मनि सोपान बिचित्र बनावा॥
बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा। जलखग कूजत गुंजत भृंगा॥4॥
भावार्थ:-
बाग के बीचोंबीच सुहावना सरोवर सुशोभित है, जिसमें मणियों की सीढ़ियाँ विचित्र ढंग से बनी हैं। उसका जल निर्मल है, जिसमें अनेक रंगों के कमल खिले हुए हैं, जल के पक्षी कलरव कर रहे हैं और भ्रमर गुंजार कर रहे हैं॥4॥
दोहा :
* बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत।
परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत॥227॥
भावार्थ:-
बाग और सरोवर को देखकर प्रभु श्री रामचन्द्रजी भाई लक्ष्मण सहित हर्षित हुए। यह बाग (वास्तव में) परम रमणीय है, जो (जगत को सुख देने वाले) श्री रामचन्द्रजी को सुख दे रहा है॥227॥
चौपाई :
*चहुँ दिसि चितइ पूँछि मालीगन। लगे लेन दल फूल मुदित मन॥
तेहि अवसर सीता तहँ आई। गिरिजा पूजन जननि पठाई॥1॥
भावार्थ:-
चारों ओर दृष्टि डालकर और मालियों से पूछकर वे प्रसन्न मन से पत्र-पुष्प लेने लगे। उसी समय सीताजी वहाँ आईं। माता ने उन्हें गिरिजाजी (पार्वती) की पूजा करने के लिए भेजा था॥1॥
* संग सखीं सब सुभग सयानीं। गावहिं गीत मनोहर बानीं॥
सर समीप गिरिजा गृह सोहा। बरनि न जाइ देखि मनु मोहा॥2॥
भावार्थ:-
साथ में सब सुंदरी और सयानी सखियाँ हैं, जो मनोहर वाणी से गीत गा रही हैं। सरोवर के पास गिरिजाजी का मंदिर सुशोभित है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता, देखकर मन मोहित हो जाता है॥।2॥
* मज्जनु करि सर सखिन्ह समेता। गई मुदित मन गौरि निकेता॥
पूजा कीन्हि अधिक अनुरागा। निज अनुरूप सुभग बरु मागा॥3॥
भावार्थ:-
सखियों सहित सरोवर में स्नान करके सीताजी प्रसन्न मन से गिरिजाजी के मंदिर में गईं। उन्होंने बड़े प्रेम से पूजा की और अपने योग्य सुंदर वर माँगा॥3॥
* एक सखी सिय संगु बिहाई। गई रही देखन फुलवाई॥
तेहिं दोउ बंधु बिलोके जाई। प्रेम बिबस सीता पहिं आई॥4॥
भावार्थ:-
एक सखी सीताजी का साथ छोड़कर फुलवाड़ी देखने चली गई थी। उसने जाकर दोनों भाइयों को देखा और प्रेम में विह्वल होकर वह सीताजी के पास आई॥4॥
दोहा :
* तासु दसा देखी सखिन्ह पुलक गात जलु नैन।
कहु कारनु निज हरष कर पूछहिं सब मृदु बैन॥228॥
भावार्थ:-
सखियों ने उसकी दशा देखी कि उसका शरीर पुलकित है और नेत्रों में जल भरा है। सब कोमल वाणी से पूछने लगीं कि अपनी प्रसन्नता का कारण बता॥228॥
चौपाई :
* देखन बागु कुअँर दुइ आए। बय किसोर सब भाँति सुहाए॥
स्याम गौर किमि कहौं बखानी। गिरा अनयन नयन बिनु बानी॥1॥
भावार्थ:-
(उसने कहा-) दो राजकुमार बाग देखने आए हैं। किशोर अवस्था के हैं और सब प्रकार से सुंदर हैं। वे साँवले और गोरे (रंग के) हैं, उनके सौंदर्य को मैं कैसे बखानकर कहूँ। वाणी बिना नेत्र की है और नेत्रों के वाणी नहीं है॥1॥
* सुनि हरषीं सब सखीं सयानी। सिय हियँ अति उतकंठा जानी॥
एक कहइ नृपसुत तेइ आली। सुने जे मुनि सँग आए काली॥2॥
भावार्थ:-
यह सुनकर और सीताजी के हृदय में बड़ी उत्कंठा जानकर सब सयानी सखियाँ प्रसन्न हुईं। तब एक सखी कहने लगी- हे सखी! ये वही राजकुमार हैं, जो सुना है कि कल विश्वामित्र मुनि के साथ आए हैं॥2॥
* जिन्ह निज रूप मोहनी डारी। कीन्हे स्वबस नगर नर नारी॥
बरनत छबि जहँ तहँ सब लोगू। अवसि देखिअहिं देखन जोगू॥3॥
भावार्थ:-
और जिन्होंने अपने रूप की मोहिनी डालकर नगर के स्त्री-पुरुषों को अपने वश में कर लिया है। जहाँ-तहाँ सब लोग उन्हीं की छबि का वर्णन कर रहे हैं। अवश्य (चलकर) उन्हें देखना चाहिए, वे देखने ही योग्य हैं॥3॥
* तासु बचन अति सियहि सोहाने। दरस लागि लोचन अकुलाने॥
चली अग्र करि प्रिय सखि सोई। प्रीति पुरातन लखइ न कोई॥4॥
भावार्थ:-
उसके वचन सीताजी को अत्यन्त ही प्रिय लगे और दर्शन के लिए उनके नेत्र अकुला उठे। उसी प्यारी सखी को आगे करके सीताजी चलीं। पुरानी प्रीति को कोई लख नहीं पाता॥4॥
दोहा :
* सुमिरि सीय नारद बचन उपजी प्रीति पुनीत।
चकित बिलोकति सकल दिसि जनु सिसु मृगी सभीत॥229॥
भावार्थ:-
नारदजी के वचनों का स्मरण करके सीताजी के मन में पवित्र प्रीति उत्पन्न हुई। वे चकित होकर सब ओर इस तरह देख रही हैं, मानो डरी हुई मृगछौनी इधर-उधर देख रही हो॥229॥
चौपाई :
* कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन रामु हृदयँ गुनि॥
मानहुँ मदन दुंदुभी दीन्ही। मनसा बिस्व बिजय कहँ कीन्ही॥1॥
भावार्थ:-
कंकण (हाथों के कड़े), करधनी और पायजेब के शब्द सुनकर श्री रामचन्द्रजी हृदय में विचार कर लक्ष्मण से कहते हैं- (यह ध्वनि ऐसी आ रही है) मानो कामदेव ने विश्व को जीतने का संकल्प करके डंके पर चोट मारी है॥1॥
* अस कहि फिरि चितए तेहि ओरा। सिय मुख ससि भए नयन चकोरा॥
भए बिलोचन चारु अचंचल। मनहुँ सकुचि निमि तजे दिगंचल॥2॥
भावार्थ:-
ऐसा कहकर श्री रामजी ने फिर कर उस ओर देखा। श्री सीताजी के मुख रूपी चन्द्रमा (को निहारने) के लिए उनके नेत्र चकोर बन गए। सुंदर नेत्र स्थिर हो गए (टकटकी लग गई)। मानो निमि (जनकजी के पूर्वज) ने (जिनका सबकी पलकों में निवास माना गया है, लड़की-दामाद के मिलन-प्रसंग को देखना उचित नहीं, इस भाव से) सकुचाकर पलकें छोड़ दीं, (पलकों में रहना छोड़ दिया, जिससे पलकों का गिरना रुक गया)॥2॥
* देखि सीय शोभा सुखु पावा। हृदयँ सराहत बचनु न आवा॥
जनु बिरंचि सब निज निपुनाई। बिरचि बिस्व कहँ प्रगटि देखाई॥3॥
भावार्थ:-
सीताजी की शोभा देखकर श्री रामजी ने बड़ा सुख पाया। हृदय में वे उसकी सराहना करते हैं, किन्तु मुख से वचन नहीं निकलते। (वह शोभा ऐसी अनुपम है) मानो ब्रह्मा ने अपनी सारी निपुणता को मूर्तिमान कर संसार को प्रकट करके दिखा दिया हो॥3॥
* सुंदरता कहुँ सुंदर करई। छबिगृहँ दीपसिखा जनु बरई॥
सब उपमा कबि रहे जुठारी। केहिं पटतरौं बिदेहकुमारी॥4॥
भावार्थ:-
वह (सीताजी की शोभा) सुंदरता को भी सुंदर करने वाली है। (वह ऐसी मालूम होती है) मानो सुंदरता रूपी घर में दीपक की लौ जल रही हो। (अब तक सुंदरता रूपी भवन में अँधेरा था, वह भवन मानो सीताजी की सुंदरता रूपी दीपशिखा को पाकर जगमगा उठा है, पहले से भी अधिक सुंदर हो गया है)। सारी उपमाओं को तो कवियों ने जूँठा कर रखा है। मैं जनकनन्दिनी श्री सीताजी की किससे उपमा दूँ॥4॥
दोहा :
* सिय शोभा हियँ बरनि प्रभु आपनि दसा बिचारि॥
बोले सुचि मन अनुज सन बचन समय अनुहारि॥230॥
भावार्थ:-
(इस प्रकार) हृदय में सीताजी की शोभा का वर्णन करके और अपनी दशा को विचारकर प्रभु श्री रामचन्द्रजी पवित्र मन से अपने छोटे भाई लक्ष्मण से समयानुकूल वचन बोले-॥230॥
चौपाई :
* तात जनकतनया यह सोई। धनुषजग्य जेहि कारन होई॥
पूजन गौरि सखीं लै आईं। करत प्रकासु फिरइ फुलवाईं॥1॥
भावार्थ:-
हे तात! यह वही जनकजी की कन्या है, जिसके लिए धनुषयज्ञ हो रहा है। सखियाँ इसे गौरी पूजन के लिए ले आई हैं। यह फुलवाड़ी में प्रकाश करती हुई फिर रही है॥1॥
* जासु बिलोकि अलौकिक सोभा। सहज पुनीत मोर मनु छोभा॥
सो सबु कारन जान बिधाता। फरकहिं सुभद अंग सुनु भ्राता॥2॥
भावार्थ:-
जिसकी अलौकिक सुंदरता देखकर स्वभाव से ही पवित्र मेरा मन क्षुब्ध हो गया है। वह सब कारण (अथवा उसका सब कारण) तो विधाता जानें, किन्तु हे भाई! सुनो, मेरे मंगलदायक (दाहिने) अंग फड़क रहे हैं॥2॥
* रघुबंसिन्ह कर सहज सुभाऊ। मनु कुपंथ पगु धरइ न काऊ॥
मोहि अतिसय प्रतीति मन केरी। जेहिं सपनेहुँ परनारि न हेरी॥3॥
भावार्थ:-
रघुवंशियों का यह सहज (जन्मगत) स्वभाव है कि उनका मन कभी कुमार्ग पर पैर नहीं रखता। मुझे तो अपने मन का अत्यन्त ही विश्वास है कि जिसने (जाग्रत की कौन कहे) स्वप्न में भी पराई स्त्री पर दृष्टि नहीं डाली है॥3॥
* जिन्ह कै लहहिं न रिपु रन पीठी। नहिं पावहिं परतिय मनु डीठी॥
मंगन लहहिं न जिन्ह कै नाहीं। ते नरबर थोरे जग माहीं॥4॥
भावार्थ:-
रण में शत्रु जिनकी पीठ नहीं देख पाते (अर्थात् जो लड़ाई के मैदान से भागते नहीं), पराई स्त्रियाँ जिनके मन और दृष्टि को नहीं खींच पातीं और भिखारी जिनके यहाँ से 'नाहीं' नहीं पाते (खाली हाथ नहीं लौटते), ऐसे श्रेष्ठ पुरुष संसार में थोड़े हैं॥4॥
दोहा :
* करत बतकही अनुज सन मन सिय रूप लोभान।
मुख सरोज मकरंद छबि करइ मधुप इव पान॥231॥
भावार्थ:-
यों श्री रामजी छोटे भाई से बातें कर रहे हैं, पर मन सीताजी के रूप में लुभाया हुआ उनके मुखरूपी कमल के छबि रूप मकरंद रस को भौंरे की तरह पी रहा है॥231॥
चौपाई :
* चितवति चकित चहूँ दिसि सीता। कहँ गए नृप किसोर मनु चिंता॥
जहँ बिलोक मृग सावक नैनी। जनु तहँ बरिस कमल सित श्रेनी॥1॥
भावार्थ:-
सीताजी चकित होकर चारों ओर देख रही हैं। मन इस बात की चिन्ता कर रहा है कि राजकुमार कहाँ चले गए। बाल मृगनयनी (मृग के छौने की सी आँख वाली) सीताजी जहाँ दृष्टि डालती हैं, वहाँ मानो श्वेत कमलों की कतार बरस जाती है॥1॥
* लता ओट तब सखिन्ह लखाए। स्यामल गौर किसोर सुहाए॥
देखि रूप लोचन ललचाने। हरषे जनु निज निधि पहिचाने॥2॥
भावार्थ:-
तब सखियों ने लता की ओट में सुंदर श्याम और गौर कुमारों को दिखलाया। उनके रूप को देखकर नेत्र ललचा उठे, वे ऐसे प्रसन्न हुए मानो उन्होंने अपना खजाना पहचान लिया॥2॥
* थके नयन रघुपति छबि देखें। पलकन्हिहूँ परिहरीं निमेषें॥
अधिक सनेहँ देह भै भोरी। सरद ससिहि जनु चितव चकोरी॥3॥
भावार्थ:-
श्री रघुनाथजी की छबि देखकर नेत्र थकित (निश्चल) हो गए। पलकों ने भी गिरना छोड़ दिया। अधिक स्नेह के कारण शरीर विह्वल (बेकाबू) हो गया। मानो शरद ऋतु के चन्द्रमा को चकोरी (बेसुध हुई) देख रही हो॥3॥
* लोचन मग रामहि उर आनी। दीन्हे पलक कपाट सयानी॥
जब सिय सखिन्ह प्रेमबस जानी। कहि न सकहिं कछु मन सकुचानी॥4॥
भावार्थ:-
नेत्रों के रास्ते श्री रामजी को हृदय में लाकर चतुरशिरोमणि जानकीजी ने पलकों के किवाड़ लगा दिए (अर्थात नेत्र मूँदकर उनका ध्यान करने लगीं)। जब सखियों ने सीताजी को प्रेम के वश जाना, तब वे मन में सकुचा गईं, कुछ कह नहीं सकती थीं॥4॥
दोहा :
* लताभवन तें प्रगट भे तेहि अवसर दोउ भाइ।
तकिसे जनु जुग बिमल बिधु जलद पटल बिलगाई॥232॥
भावार्थ:-
उसी समय दोनों भाई लता मंडप (कुंज) में से प्रकट हुए। मानो दो निर्मल चन्द्रमा बादलों के परदे को हटाकर निकले हों॥232॥
चौपाई :
* सोभा सीवँ सुभग दोउ बीरा। नील पीत जलजाभ सरीरा॥
मोरपंख सिर सोहत नीके। गुच्छ बीच बिच कुसुम कली के॥1॥
भावार्थ:-
दोनों सुंदर भाई शोभा की सीमा हैं। उनके शरीर की आभा नीले और पीले कमल की सी है। सिर पर सुंदर मोरपंख सुशोभित हैं। उनके बीच-बीच में फूलों की कलियों के गुच्छे लगे हैं॥1॥
* भाल तिलक श्रम बिन्दु सुहाए। श्रवन सुभग भूषन छबि छाए॥
बिकट भृकुटि कच घूघरवारे। नव सरोज लोचन रतनारे॥2॥
भावार्थ:-
माथे पर तिलक और पसीने की बूँदें शोभायमान हैं। कानों में सुंदर भूषणों की छबि छाई है। टेढ़ी भौंहें और घुँघराले बाल हैं। नए लाल कमल के समान रतनारे (लाल) नेत्र हैं॥2॥
* चारु चिबुक नासिका कपोला। हास बिलास लेत मनु मोला॥
मुखछबि कहि न जाइ मोहि पाहीं। जो बिलोकि बहु काम लजाहीं॥3॥
भावार्थ:-
ठोड़ी नाक और गाल बड़े सुंदर हैं और हँसी की शोभा मन को मोल लिए लेती है। मुख की छबि तो मुझसे कही ही नहीं जाती, जिसे देखकर बहुत से कामदेव लजा जाते हैं॥3॥
* उर मनि माल कंबु कल गीवा। काम कलभ कर भुज बलसींवा॥
सुमन समेत बाम कर दोना। सावँर कुअँर सखी सुठि लोना॥4॥
भावार्थ:-
वक्षःस्थल पर मणियों की माला है। शंख के सदृश सुंदर गला है। कामदेव के हाथी के बच्चे की सूँड के समान (उतार-चढ़ाव वाली एवं कोमल) भुजाएँ हैं, जो बल की सीमा हैं। जिसके बाएँ हाथ में फूलों सहित दोना है, हे सखि! वह साँवला कुँअर तो बहुत ही सलोना है॥4॥
दोहा :
* केहरि कटि पट पीत धर सुषमा सील निधान।
देखि भानुकुलभूषनहि बिसरा सखिन्ह अपान॥233॥
भावार्थ:-
सिंह की सी (पतली, लचीली) कमर वाले, पीताम्बर धारण किए हुए, शोभा और शील के भंडार, सूर्यकुल के भूषण श्री रामचन्द्रजी को देखकर सखियाँ अपने आपको भूल गईं॥233॥
चौपाई :
* धरि धीरजु एक आलि सयानी। सीता सन बोली गहि पानी॥
बहुरि गौरि कर ध्यान करेहू। भूपकिसोर देखि किन लेहू॥1॥
भावार्थ:-
एक चतुर सखी धीरज धरकर, हाथ पकड़कर सीताजी से बोली- गिरिजाजी का ध्यान फिर कर लेना, इस समय राजकुमार को क्यों नहीं देख लेतीं॥1॥
* सकुचि सीयँ तब नयन उघारे। सनमुख दोउ रघुसिंघ निहारे॥
नख सिख देखि राम कै सोभा। सुमिरि पिता पनु मनु अति छोभा॥2॥
भावार्थ:-
तब सीताजी ने सकुचाकर नेत्र खोले और रघुकुल के दोनों सिंहों को अपने सामने (खड़े) देखा। नख से शिखा तक श्री रामजी की शोभा देखकर और फिर पिता का प्रण याद करके उनका मन बहुत क्षुब्ध हो गया॥2॥
* परबस सखिन्ह लखी जब सीता। भयउ गहरु सब कहहिं सभीता॥
पुनि आउब एहि बेरिआँ काली। अस कहि मन बिहसी एक आली॥3॥
भावार्थ:-
जब सखियों ने सीताजी को परवश (प्रेम के वश) देखा, तब सब भयभीत होकर कहने लगीं- बड़ी देर हो गई। (अब चलना चाहिए)। कल इसी समय फिर आएँगी, ऐसा कहकर एक सखी मन में हँसी॥3॥
* गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी। भयउ बिलंबु मातु भय मानी॥
धरि बड़ि धीर रामु उर आने। फिरी अपनपउ पितुबस जाने॥4॥
भावार्थ:-
सखी की यह रहस्यभरी वाणी सुनकर सीताजी सकुचा गईं। देर हो गई जान उन्हें माता का भय लगा। बहुत धीरज धरकर वे श्री रामचन्द्रजी को हृदय में ले आईं और (उनका ध्यान करती हुई) अपने को पिता के अधीन जानकर लौट चलीं॥4॥
Related Text
View Wallpaper [ श्री हनुमान चालीसा]
श्री हनुमान चालीसा...
View Wallpaper [ श्री शिव चालीसा]
श्री शिव चालीसा...
View Wallpaper [ श्री सरस्वती चालीसा]
श्री सरस्वती चालीसा...
View Wallpaper [ श्री दुर्गा चालीसा ]
श्री दुर्गा चालीसा ...
View Wallpaper [ विष्णु जी की चालीसा]
विष्णु जी की चालीसा...
View Wallpaper [ पार्वती जी की चालीसा]
पार्वती जी की चालीसा...
View Wallpaper [ सूर्य चालीसा ]
सूर्य चालीसा ...
View Wallpaper [ श्री कृष्ण चालीसा]
श्री कृष्ण चालीसा...
View Wallpaper [ श्री लक्ष्मी चालीसा]
श्री लक्ष्मी चालीसा...
View Wallpaper [ श्री गणेश चालीसा]
श्री गणेश चालीसा...
View Wallpaper [ श्री साँई चालीसा ]
श्री साँई चालीसा ...
View Wallpaper [ श्री राधा चालीसा]
श्री राधा चालीसा...
View Wallpaper [ संतोषी माता की चालीसा]
संतोषी माता की चालीसा...
View Wallpaper [ श्री राम चालीसा]
श्री राम चालीसा...
View Wallpaper [ चामुण्डा देवी की चालीसा ]
चामुण्डा देवी की चालीसा ...
View Wallpaper [ श्री शनि चालीसा ]
श्री शनि चालीसा ...
View Wallpaper [ शिव मंत्र]
शिव मंत्र...
View Wallpaper [ गणेश मंत्र]
गणेश मंत्र...
View Wallpaper [ गायत्री मंत्र]
गायत्री मंत्र...
View Wallpaper [ लक्ष्मी मंत्र]
लक्ष्मी मंत्र...
View Wallpaper [ लक्ष्मीगणेश मंत्र]
लक्ष्मीगणेश मंत्र...
View Wallpaper [ कृष्ण मंत्र]
कृष्ण मंत्र...
View Wallpaper [ शनि मंत्र]
शनि मंत्र...
View Wallpaper [ हनुमान मंत्र]
हनुमान मंत्र...
View Wallpaper [ श्री विष्णु मूल मंत्र]
श्री विष्णु मूल मंत्र...
View Wallpaper [ कमला माता मंत्र]
कमला माता मंत्र...
View Wallpaper [ कुबेर मंत्र]
कुबेर मंत्र...
View Wallpaper [ काली मंत्र]
काली मंत्र...
View Wallpaper [ दीवाली पूजा मंत्र]
दीवाली पूजा मंत्र...
View Wallpaper [ मीनाक्षी गायत्री मंत्र ]
मीनाक्षी गायत्री मंत्र ...
View Wallpaper [ सूर्यदेव के मंत्र ]
सूर्यदेव के मंत्र ...
View Wallpaper [ शांति पाठ मंत्र]
शांति पाठ मंत्र...
View Wallpaper [ दीपावली]
दीपावली...
View Wallpaper [ होली]
होली...
View Wallpaper [ रक्षाबन्धन]
रक्षाबन्धन...
View Wallpaper [ धनतेरस]
धनतेरस...
View Wallpaper [ जन्माष्टमी]
जन्माष्टमी...
View Wallpaper [ दशहरा]
दशहरा...
View Wallpaper [ गुड़ी पड़वा]
गुड़ी पड़वा...
View Wallpaper [ छठ पूजा]
छठ पूजा...
View Wallpaper [ वसन्त पञ्चमी]
वसन्त पञ्चमी...
View Wallpaper [ मकर संक्रान्ति]
मकर संक्रान्ति...
View Wallpaper [ नवरात्रि]
नवरात्रि...
View Wallpaper [ राम नवमी]
राम नवमी...
View Wallpaper [ महाशिवरात्रि]
महाशिवरात्रि...
View Wallpaper [ राधाष्टमी]
राधाष्टमी...
View Wallpaper [ यम द्वितीया भाई दूज]
यम द्वितीया भाई दूज...
View Wallpaper [ बैसाखी]
बैसाखी...
View Wallpaper [ घर में रखें 5 चीजें होगी धन की वर्षा ]
घर में रखें 5 चीजें होगी धन की वर्षा ...
View Wallpaper [ जीवन में लाये खुशियां]
जीवन में लाये खुशियां...
View Wallpaper [ बिना पैसे खर्च किए दूर होगी हर समस्या ]
बिना पैसे खर्च किए दूर होगी हर समस्या ...
View Wallpaper [ लाल किताब के 5 टोटके और उपाय ]
लाल किताब के 5 टोटके और उपाय ...
View Wallpaper [ मनोकामना पूर्ति के अचूक टोटके]
मनोकामना पूर्ति के अचूक टोटके...
View Wallpaper [ ससुराल में सुखी रहने के लिए ]
ससुराल में सुखी रहने के लिए ...
View Wallpaper [ सोई हुई किस्मत को जगाने के उपाय]
सोई हुई किस्मत को जगाने के उपाय...
View Wallpaper [ फंसा हुआ धन निकालने के उपाय।]
फंसा हुआ धन निकालने के उपाय।...
View Wallpaper [ सुखी वैवाहिक जीवन के लिये उपाय ]
सुखी वैवाहिक जीवन के लिये उपाय ...
View Wallpaper [ बनाएं खुद का घर]
बनाएं खुद का घर...
View Wallpaper [ भूत -बाधा होने पर ]
भूत -बाधा होने पर ...
View Wallpaper [ बुरे सपने पर करे ये काम ]
बुरे सपने पर करे ये काम ...
View Wallpaper [ चावल के चमत्कारी गुण]
चावल के चमत्कारी गुण...
View Wallpaper [ छिपकली से जुड़े शगुनअपशगुन ]
छिपकली से जुड़े शगुनअपशगुन ...
View Wallpaper [ छोटे नींबु के बड़े गुण]
छोटे नींबु के बड़े गुण...
View Wallpaper [ शुक्र ग्रह शांति उपाय ]
शुक्र ग्रह शांति उपाय ...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मंगलाचरण]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मंगलाचरण...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड गुरु वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड गुरु वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड ब्राह्मणसंत वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड ब्राह्मणसंत वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड खल वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड खल वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड संतअसंत वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड संतअसंत वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड रामरूप से जीवमात्र की वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड रामरूप से जीवमात्र की वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड कवि वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड कवि वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड वाल्मीकि वेद ब्रह्मा देवता शिव पार्वती आदि की वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड वाल्मीकि वेद ब्रह्मा देवता शिव पार्वती आदि की वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री सीतारामधामपरिकर वंदना]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री सीतारामधामपरिकर वंदना...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री नाम वंदना और नाम महिमा]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री नाम वंदना और नाम महिमा...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस निर्माण की तिथि]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस निर्माण की तिथि...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस का रूप और माहात्म्य]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड मानस का रूप और माहात्म्य...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड याज्ञवल्क्यभरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड याज्ञवल्क्यभरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य...
View Wallpaper [ श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड सती का भ्रम श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद]
श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड सती का भ्रम श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद...
View Wallpaper [ अर्जुनविषादयोग अध्याय एक ]
अर्जुनविषादयोग अध्याय एक ...
View Wallpaper [ सांख्ययोग अध्याय दो ]
सांख्ययोग अध्याय दो ...
View Wallpaper [ कर्मयोग ~ अध्याय तीन ]
कर्मयोग ~ अध्याय तीन ...
View Wallpaper [ ज्ञानकर्मसंन्यासयोग अध्याय चार]
ज्ञानकर्मसंन्यासयोग अध्याय चार...
View Wallpaper [ कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच]
कर्मसंन्यासयोग ~ अध्याय पाँच...
View Wallpaper [ आत्मसंयमयोग अध्याय छठा ]
आत्मसंयमयोग अध्याय छठा ...
View Wallpaper [ ज्ञानविज्ञानयोग अध्याय सातवाँ ]
ज्ञानविज्ञानयोग अध्याय सातवाँ ...
View Wallpaper [ अक्षरब्रह्मयोग अध्याय आठवाँ ]
अक्षरब्रह्मयोग अध्याय आठवाँ ...
View Wallpaper [ राजविद्याराजगुह्ययोग अध्याय नौवाँ ]
राजविद्याराजगुह्ययोग अध्याय नौवाँ ...
View Wallpaper [ विभूतियोग अध्याय दसवाँ ]
विभूतियोग अध्याय दसवाँ ...
View Wallpaper [ विश्वरूपदर्शनयोग अध्याय ग्यारहवाँ ]
विश्वरूपदर्शनयोग अध्याय ग्यारहवाँ ...
View Wallpaper [ भक्तियोग अध्याय बारहवाँ ]
भक्तियोग अध्याय बारहवाँ ...
View Wallpaper [ क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अध्याय तेरहवाँ ]
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अध्याय तेरहवाँ ...
View Wallpaper [ गुणत्रयविभागयोग अध्याय चौदहवाँ ]
गुणत्रयविभागयोग अध्याय चौदहवाँ ...
View Wallpaper [ पुरुषोत्तमयोग अध्याय पंद्रहवाँ ]
पुरुषोत्तमयोग अध्याय पंद्रहवाँ ...
View Wallpaper [ दैवासुरसम्पद्विभागयोग अध्याय सोलहवाँ ]
दैवासुरसम्पद्विभागयोग अध्याय सोलहवाँ ...
View Wallpaper [ हनुमान सहस्त्र नाम ]
हनुमान सहस्त्र नाम ...
View Wallpaper [ श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम्]
श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम्...
View Wallpaper [ भगवती स्तोत्र]
भगवती स्तोत्र...
View Wallpaper [ अर्गला स्तोत्रम्]
अर्गला स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ नारायण स्तोत्रम्]
नारायण स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ नारायण सुक्ता]
नारायण सुक्ता...
View Wallpaper [ श्री वेंकटेश्वर सुप्रभात]
श्री वेंकटेश्वर सुप्रभात...
View Wallpaper [ आच्यता अष्टकोम]
आच्यता अष्टकोम...
View Wallpaper [ गोविन्दा शक्तम]
गोविन्दा शक्तम...
View Wallpaper [ अश्ता लक्ष्मी स्तोत्रम्]
अश्ता लक्ष्मी स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ दक्षहां मुर्थ् स्तोत्रम् ]
दक्षहां मुर्थ् स्तोत्रम् ...
View Wallpaper [ कालभैरवाष्टकम्]
कालभैरवाष्टकम्...
View Wallpaper [ शिव तांडव स्तोत्रम]
शिव तांडव स्तोत्रम...
View Wallpaper [ श्री द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम्]
श्री द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम्...
View Wallpaper [ मधुराष्टकं]
मधुराष्टकं...
View Wallpaper [ श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् ]
श्री महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् ...
View Wallpaper [ गणेश जी की आरती]
गणेश जी की आरती...
View Wallpaper [ श्री गंगाजी की आरती]
श्री गंगाजी की आरती...
View Wallpaper [ श्री रामायणजी की आरती]
श्री रामायणजी की आरती...
View Wallpaper [ श्री सरस्वतीजी की आरती]
श्री सरस्वतीजी की आरती...
View Wallpaper [ श्री वैष्णोजी की आरती]
श्री वैष्णोजी की आरती...
View Wallpaper [ बृहस्पति देवता की आरती]
बृहस्पति देवता की आरती...
View Wallpaper [ बालाजी की आरती]
बालाजी की आरती...
View Wallpaper [ भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती]
भगवान श्री हरि विष्णु जी की आरती...
View Wallpaper [ दुर्गा जी की आरती]
दुर्गा जी की आरती...
View Wallpaper [ हनुमानजी की आरती]
हनुमानजी की आरती...
View Wallpaper [ काली माता की आरती]
काली माता की आरती...
View Wallpaper [ लक्ष्मीजी की आरती]
लक्ष्मीजी की आरती...
View Wallpaper [ संतोषी माता की आरती]
संतोषी माता की आरती...
View Wallpaper [ शिवजी की आरती]
शिवजी की आरती...
View Wallpaper [ श्रीकृष्ण जी की आरती]
श्रीकृष्ण जी की आरती...
View Wallpaper [ श्री कुंज बिहारी की आरती]
श्री कुंज बिहारी की आरती...
View Wallpaper [ मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने]
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने...
View Wallpaper [ मेरा मन पंछी ये बोले उर बृन्दाबन जाऊँ]
मेरा मन पंछी ये बोले उर बृन्दाबन जाऊँ...
View Wallpaper [ मीठे रस से भरी रे राधा रानी लागे]
मीठे रस से भरी रे राधा रानी लागे...
View Wallpaper [ राधा का नाम अनमोल बोलो राधे राधे]
राधा का नाम अनमोल बोलो राधे राधे...
View Wallpaper [ न जी भर के देखा ना कुछ बात की]
न जी भर के देखा ना कुछ बात की...
View Wallpaper [ ज़रा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यों]
ज़रा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यों...
View Wallpaper [ साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता सबसे महान]
साईं राम साईं श्याम साईं भगवान शिर्डी के दाता सबसे महान...
View Wallpaper [ हे माँ संतोषीमाँ संतोषी॥]
हे माँ संतोषीमाँ संतोषी॥...
View Wallpaper [ सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय]
सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय...
View Wallpaper [ तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई]
तेरे लाला ने माटी खाई जसोदा सुन माई...
View Wallpaper [ राधे राधे बोल श्याम भागे चले आयंगे]
राधे राधे बोल श्याम भागे चले आयंगे...
View Wallpaper [ मत कर तू अभिमान रे बंदे, झूठी तेरी शान रे ।]
मत कर तू अभिमान रे बंदे, झूठी तेरी शान रे ।...
View Wallpaper [ तेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम रे]
तेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम रे...
View Wallpaper [ वो काला एक बांसुरी वाल सुध बिसरा गया मोरी रे]
वो काला एक बांसुरी वाल सुध बिसरा गया मोरी रे...
View Wallpaper [ दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे]
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे...
View Wallpaper [ हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम]
हे नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम...
View Wallpaper [ अचला एकादशी]
अचला एकादशी...
View Wallpaper [ अगहन मास की कथा]
अगहन मास की कथा...
View Wallpaper [ आषाढ़ मास की कथा]
आषाढ़ मास की कथा...
View Wallpaper [ आश्विन मास की कथा]
आश्विन मास की कथा...
View Wallpaper [ बड़ सायत अमावस वट् सावित्री पूजन ]
बड़ सायत अमावस वट् सावित्री पूजन ...
View Wallpaper [ वैशाख मास की कथा]
वैशाख मास की कथा...
View Wallpaper [ भाद्रपद ( भादो ) मास की कथा]
भाद्रपद ( भादो ) मास की कथा...
View Wallpaper [ चैत्र मास की कथा]
चैत्र मास की कथा...
View Wallpaper [ देवशयनी एकादशी]
देवशयनी एकादशी...
View Wallpaper [ फाल्गुन मास की कथा ]
फाल्गुन मास की कथा ...
View Wallpaper [ गंगावतरण की कथा]
गंगावतरण की कथा...
View Wallpaper [ गनगौर व्रत]
गनगौर व्रत...
View Wallpaper [ गुरू पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा ]
गुरू पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा ...
View Wallpaper [ ज्येष्ठ मास की कथा]
ज्येष्ठ मास की कथा...
View Wallpaper [ कामिका एकादशी व्रत की कथा]
कामिका एकादशी व्रत की कथा...
View Wallpaper [ कार्तिक मास की कथा ]
कार्तिक मास की कथा ...