रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री वृन्दावन । विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ जमुना नीलमणि की माल, जै जै जै श्री वृन्दावन । प्रेम सुरस वरषत सब काल, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ सखिनु संग राजत जुगल किशोर, जै जै जै श्री वृन्दावन । अदभुत छवि सांझ अरू भोर, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ आनन्द रंग कौ ओर न छोर, जै जै जै श्री वृन्दावन । प्रेम की नदी बहे चहुँ ओर, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ दुर्लभ पिय प्यारी को धाम, जै जै जै श्री वृन्दावन । चंहुँ दिसि गूँजत राधा नाम, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ नैननि निरखिये स्यामा स्याम, जै जै जै श्री वृन्दावन । मनुवा लेत परम विश्राम, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ धनि धनि श्री किनका प्रसाद, जै जै जै श्री वृन्दावन । पाये सब मिटिहैं विषै विषाद, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ सभे सुख एक सीथ के स्वाद, जै जै जै श्री वृन्दावन । सर्वसु मान्यौ हित प्रभुपाद, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ धनि धनि ब्रजवासी बड़भाग, जै जै जै श्री वृन्दावन । जिनके हिये सहज अनुराग, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ लेत सुख रास हिंडोला, फाग, जै जै जै श्री वृन्दावन । गावत जीवत जुगल सुहाग, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ छबीली वृन्दावन की बेलि, जै जै जै श्री वृन्दावन । छाँह तरै करैं जुगल रस केलि, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ मंद मुसिकात अंस भुज बेलि, जै जै जै श्री वृन्दावन । रसिक दें कोटि मुक्ति पग पेलि, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ पावन वृन्दावन की धूरि, जै जै जै श्री वृन्दावन । परस किये पाप ताप सब दूरि, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ रसिक जननि की जीवन मूरि, जै जै जै श्री वृन्दावन । हित कौ राज सदा भरपूर, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ रसीली मनमोहन की वेणू, जै जै जै श्री वृन्दावन । कौन हरिवंशी सम रस दैन, जै जै जै श्री वृन्दावन ॥ अगोचर नित विहार दरसैन, जै जै जै श्री वृन्दावन ।