4 अगस्त 1972 को बालकृष्ण का जन्म हुआ था, उनकी माँ का नाम सुमित्रा देवी और उनके पिताजी का नाम जय बल्लभ है। आज पतंजलि पूरे विश्व में एक भारतीय ब्रांड बन गया है। यह भारत के लिये इतिहास बन चुका है। अपनी अच्छी गुणवत्ता के कारण दिन प्रतिदिन पतंजलि प्रसिद्धि की ओर बढ़ता जा रहा है। बाज़ार में इसकी बढ़ती मांग केवल बालकृष्ण की मेहनत और लगन का एक कारण है। बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने मिलकर एक आचार्य कुलम की स्थापना की है।
उन्होंने संस्कृत भाषा में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों का ज्ञान प्राप्त किया। उनका जन्म दिवस पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट से जुड़े लोग ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाते हैं। और वह नेपाल के मूल निवासी है।
योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार से नावाज़ा गया। 2004 में 23 अक्टूबर को राष्ट्रपति भवन में एक शिविर के दौरान भारत के पूर्व प्रधान मंत्री डा. अब्दुल कलाम ने उन्हें सम्मान दिया। 2007 अक्टूबर में नेपाल के प्रधानमंत्री और केबिनेट मंत्रियों के सामने जड़ीबुटी के छुपे ज्ञान को उजागर करने के मामले में उनको सम्मान दिया गया। 2012 में उनको विरंजन फाउंडेशन द्वारा सुजाना श्री पुरस्कार प्रदान किया गया।
आज पतंजलि भारतीय बाजार में अपनी अलग पहचान बना चुका है। उसमें ज़्यादातर योगदान आचार्य बालकृष्ण का है। जड़ी–बूटियों के अपने ज्ञान की बजह से और उनके लगातार किये हुये शोध के कारण वह आने वाले भविष्य में कई बड़े योगदान पतंजली और आयुर्वेद को दे सकते है। आचार्य बालकृष्ण ने इसी साल सितंबर में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में 97 फीसदी के साथ फ़ोर्ब्स की सूची में जगह बनाई। साल 2006 में इस कंपनी की स्थापना उन्होंने सबसे लोकप्रिय योग गुरु बाबा रामदेव के साथ मिलकर भारत में की थी।