होली का पवित्र पर्व दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन सभी लोग हर्ष उल्लास से रंग खेलते है। होलिका दहन भक्ति की जीत का प्रतीक है, और इसे उचित विधि-विधान से ही करना चाहिए। शास्त्रो में होलिका दहन की पारम्परिक विधि बतायी गयी है, मान्यता है कि होलिका दहन विधिपूर्वक करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है, घर कारोबार में सुख-समृद्धि का वास होता है, तो आइये जानते हैं कि होलिका दहन कैसे करें-
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1. इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च 2021 रविवार को होगा तथा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 06:37 मिनट से लेकर रात्रि 08:56 तक का अर्थात लगभग 2 घण्टे 20 मिनट का है ।
2. पूजन में सबसे अधिक ध्यान रखने योग्य बात यह है कि नवीन वृक्ष काटकर लकड़ियां एकत्रित न करें, क्योकि वृक्षों में जीवन होता है। और किसी वृक्ष को काटना किसी की हत्या करने के सामान ही है। अतः केवल सूखी और धरती पर गिरी हुई लकड़ी का ही प्रयोग करें।
3. होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। होलिका दहन मुहुर्त समय में जल, फूल, गुलाल, कलावा तथा गुड आदि से होलिका का पूजन करते है। होली की पूजा करने वाले व्यक्ति को पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करना चाहिए।
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4. गोबर के उपलों से बनी चार मालाएं अलग से घर लाकर रख दी जाती है। इसमें से एक माला पितरों के नाम की, दूसरी माला हनुमान जी के नाम की, तीसरी माला शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर-परिवार के नाम की होती है।
5. सर्वप्रथम कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करते हुए लपेटा जाता है। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं जैसे रोली, चावल, गंध, पुष्प, गुड, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियों को एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है।
6. फिर गंध तथा पुष्प से पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है एवं पूजन के बाद जल से अर्ध्य दिया जाता है।
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7. सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्वलित कर दी जाती है, अग्नि प्रज्वलित होते ही इसमें से प्रह्लाद सूचक डंडे को बाहर निकाल दिया जाता है। तथा होलिका सूचक डंडे को जलने दिया जाता है। अंत में सभी स्त्री-पुरुष रोली का टीका लगाते है एवं गीत गाते हैं। और लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल का तिलक करते है।
8. होलिका दहन में घर के बच्चे-बूढ़े तथा सभी सदस्यों को अवश्य शामिल होना चाहिए। होलिका दहन में चना, मटर, गेंहूँ की बालियाँ या कोई भी अन्य नयी फसल आदि डालते हुए अग्नि की सात परिक्रमा करें। आग में सेक कर लाये गए फसल के दानों को खाने से निरोगी रहने की मान्यता भी है।
9. होलिका दहन के बाद बची हुई भस्म (राख) को घर अवश्य लाएं, तथा उसका टीका घर के सभी सदस्यों को लगाएं। किसी महत्वपूर्ण कार्य में जाते हुए भी इस टीके का प्रयोग करना शुभ होता है।
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