श्री गणेश जी को प्रथम पूज्यनीय देवता का दर्जा प्राप्त है , इनके दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ये अपने भक्तों के दुःखों को हर कर उन्हें सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं। इनके दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं इसलिए प्रत्येक दिन गणेश जी के दर्शन के लिए हज़ारों की संख्या में भक्तों की कतार लगी रहती है। लेकिन क्या आपको पता है कि गणेश जी की पीठ का दर्शन नहीं करना चाहिए।
समस्त ब्रह्माण्ड विद्यमान :-
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्तियां गणेश जी के शरीर में ही विद्यमान है। जैसे - गणपति की सूंड पर धर्म विद्यमान है तथा कर्ण में ऋचाएं, दाएं हस्त वर, बाएं हस्त अन्न, नैनो में लक्ष्य, चरणों में सात लोक, कपाल में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। सुख और समृद्धि विघ्नहर्ता गणपति के दर्शन मात्र से आ जाती है।
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पीठ पर दरिद्रता :-
गणेश जी को विघ्नहर्ता कहते हैं, किन्तु विघ्नकर्ता भी गणपति जी ही हैं। भोलेनाथ और आदि शक्ति पार्वती के पुत्र गजानन के बारे में मान्यता है कि उन्होंने अपनी पीठ पर दरिद्रता को स्थान दिया है। अतः जो भी इनकी पीठ के दर्शन करता है उस पर दरिद्रता निर्धनता और दुर्भाग्य हावी हो जाता है।
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इसलिए इनकी पीठ के दर्शन से बचना चाहिए किन्तु फिर भी जाने अनजाने पीठ के दर्शन हो जाएँ तो गणेश जी से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।
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