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स्वागत कीजिये हिन्दू नववर्ष का गुड़ी पड़वा से !

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के दिन गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है, इस पर्व को उगादि या वर्ष प्रतिपदा भी कहा जाता है, इस वर्ष यह तिथि 06 मार्च (शनिवार) को पड़ रही है, मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने संसार का निर्माण किया था, इसीलिये इस दिन को नव संवत्सर यानि नए साल के रूप में मनाया जाता है।

हिन्दू नववर्ष की शुरूआतः-

गुड़ी पड़वा से हिन्दू नववर्ष की शुरूआत होती है, हिन्दू धर्म के लोग अपनी तरह से अलग अलग प्रकार से इस पर्व को मनाते हैं, चैत्र माह एक ऐसा माह है जिसमें वृक्ष तथा लताएं पल्लवित व पुष्पित होती हैं, इसे इसी माह में वास्तविक मधुरस पर्याप्त मात्रा में मिलता है, इसी कारण प्रथम श्रेय चैत्र को ही मिला और वर्षारंभ के लिये यही उचित समझा गया है।​

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हिन्दू धर्म के लोग सामान्य तौर पर इस दिन गुड़ी का पूजन कर इसे घर के द्वार पर लगाते हैं, घर के दरवाजो पर आम के पत्तों से बना बंदनवार सजाते हैं, ये बंदनवार सुखद जीवन की अभिलाषा के साथ साथ समृद्धि और अच्छी फसल के भी परिचायक माने जाते हैं, गुड़ी पड़वा में गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा प्रतिपदा को कहा जाता है।

फहराते हैं विजय पताकाः-

मान्यता है कि गुड़ी पड़वा के दिन भगवान राम ने दक्षिण के लोगों को बाली के अत्याचार और शासन से मुक्त किया था, जिसकी खुशी में हर घर में गुड़ी अर्थात विजय पताका फहराई गई, महाराष्ट्र और कुछ अन्य इलाकों में आज भी यह परम्परा प्रचलित है, यहाँ पर हर घर में गुड़ी पडवा के दिन गुड़ी फहराई जाती है।​

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खाते हैं नीम की पत्तियाँः-

इस दिन नीम की पत्तियां खाने का भी विधान है, सुबह जल्दी उठकर नीम की कोपलें खाकर गुड़ खाया जाता है, इस पर्व को कड़वाहट मिटाकर मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है, नीम कड़वा होता है लेकिन आरोग्य प्रद है, प्रारम्भ में कष्ट देकर बाद में कल्याण करने वालों में से यह एक है, जो व्यक्ति नीम का सेवन करता है वह सदा निरोगी रहता है।

अन्य मीठे व्यंजन भी बनाते हैंः-

इस दिन खास तौर पर हिन्दू परिवारों में पूरनपोली नामक व्यंजन बनाने की परम्परा है, जो गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चे आम के मिश्रण से बनाई जाती है, इन सभी का प्रतीकात्मक महत्व है, गुड़ मिठास के लिये, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिये और इमली व आम जीवन के खट्टे मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती हैं, वहीं मराठी परिवारों में इस दिन खास तौर से श्रीखण्ड बनाया जाता है और अन्य व्यंजनों व पूरी के साथ परोसा जाता है, इस दिन आंध्र प्रदेश में प्रत्येक घर में पच्चडी प्रसाद बनाकर वितरित किया जाता है।

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