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नवरात्रि : मां दुर्गा के मुख्य तीन रूपों को समर्पित है त्यौहार !

भारतीय संस्कृति के अनुसार दुर्गा का मतलब जीवन के दुखों को हटाने वाली होता है और नवरात्री, माँ दुर्गा को अर्पित एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्यौहार है जिसे सम्‍पूर्ण भारतवर्ष में अत्‍यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। 'नवरात्रि' शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों 'नव' व 'रात्रि' का संयोजन है, जो इस त्यौहार के लगातार नौ रातों तथा दस दिनों तक मनाए जाने को अंकित करता है। इस नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना व आराधना की जाती है।

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नवरात्रि का त्यौहार मूलत: मां दुर्गा के मुख्य तीन रूपों - पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती को समर्पित किया गया है और इन तीनों देवियों को नवरात्रि के तीन-तीन दिन के समूहों में विभाजित किया गया है।

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प्रथम तीन दिन हैं माता पार्वती को समर्पित :-

नवरात्री के प्रथम तीन दिन के समूह को देवी पार्वती को समर्पित किया गया हैं, जो कि शक्ति और ऊर्जा की देवी हैं और मान्यता है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों की आराधना से मनुष्यों को शक्ति व ऊर्जा की प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने जीवन में मनचाहे कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं।

अगले तीन दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित :-

नवरात्रि के अगले तीन दिन के समूह को देवी लक्ष्मी को समर्पित किया गया है, जो कि धन और समृद्धि की देवी है और मान्यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों की पूजा-अर्चना व आराधना से घर में कभी भी धन व समृद्धि की कमी नहीं होती।

अंतिम तीन देवी सरस्वती को हैं समर्पित :-

जबकि नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों के समूह को देवी सरस्वती को समर्पित किया गया है और मान्यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों में की गई आराधना से भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो कि जीवन को उचित दिशा में ले जाने में सहायक होती हैं।

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होती है त्रिदेवों की कृपा :-

सम्पूर्ण संसार की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति ही है जिसे ब्रह्मा, विष्णु व भगवान् शिव तीनों ने मिलकर मां दुर्गा के रूप में सृजित किया था। इसलिए मां दुर्गा वास्तव में ब्रह्मा, विष्णु व भगवान शिव तीनों की शक्तियां हैं अत: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आराधना, उपासना, पूजा-पाठ आदि करने से ब्रह्मा, विष्णु व भगवान शिव तीनों ही देवों की आराधना हो जाती है और जिसे भी माँ का आशीर्वाद मिल जाता है, उसे त्रिदेवों का आशीर्वाद स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। 

कुछ विद्वान मानते हैं कि नवरात्री के अन्तिम तीन दिनों को मां सरस्वती को इसीलिए समर्पित किया गया है ताकि पहले तीन दिनों में प्राप्त होने वाली ऊर्जा व शक्ति तथा अगले तीन दिनों में प्राप्त होने वाली धन व समृद्धि को न्यायपूर्ण तरीके से केवल ज्ञान द्वारा ही नियंत्रण में रखा जा सकता है और हिन्दू धर्म के अनुसार मां सरस्वती, वेदों अर्थात ज्ञान की देवी हैं।

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