Article

शनि जयंती: किस प्रकार करें शनि की कृपा प्राप्त? (Shani Jayanti)

शनि जयंती का पावन पर्व ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म का विशेष पर्व है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। इसी दिन सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था। इस वर्ष 15 मई, 2018 के दिन ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाएगी। इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों स्तोत्रों का गुणगान किया जाता है। शनि हिन्दू ज्योतिष में नौ मुख्य ग्रहों में से एक हैं। शनि अन्य ग्रहों की तुलना मे धीमे चलते हैं इसलिए इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि के जन्म के विषय में काफी कुछ बताया गया है और ज्योतिष में शनि के प्रभाव का साफ़ संकेत मिलता है। शनि ग्रह, वायु, तत्व और पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं।

यह भी पढ़ें - शनिदेव:जिससे डरती है सारी दुनिया वो किस से डरते हैं?​

शनिदेव की जन्म कथा :-

एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ कुछ समय पश्चात उन्हें तीन संतानो के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया परंतु संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं उनके लिए सूर्य का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था । इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़ कर वहां से चली गईं। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ।

भक्ति दर्शन एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें।

शनि जयंती का महत्व :-

इस दिन प्रमुख शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भारत में स्थित प्रमुख शनि मंदिरों में भक्त शनि देव से संबंधित पूजा पाठ करते हैं तथा शनि पीड़ा से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। शनि देव को काला या कृष्ण वर्ण का बताया जाता है इसलिए इन्हें काला रंग अधिक प्रिय है। शनि देव काले वस्त्रों में सुशोभित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन हुआ है। जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़ी आंखों वाले और बड़े केशों वाले थे। यह न्याय के देवता हैं,  योगी, तपस्या में लीन और हमेशा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं। शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा जाता है यह जीवों को सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं।

यह भी पढ़ें - क्या है शनि की बुरी दृष्टि से बचने का सबसे आसान उपाय?​

भक्ति दर्शन के नए अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर फॉलो करे

शनि जयंती पर पूजा :-

शनि जयंती के अवसर पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ तथा व्रत किया जाता है। शनि जयंती के दिन किया गया दान पुण्य एवं पूजा पाठ शनि संबंधि सभी कष्टों दूर करने में सहायक होता है। शनिदेव के निमित्त पूजा करने हेतु भक्त को चाहिए कि वह शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर नवग्रहों को नमस्कार करते हुए शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें और उसे सरसों या तिल के तेल से स्नान कराएं तथा षोड्शोपचार पूजन करें साथ ही शनि मंत्र का उच्चारण करें –

शनिश्चराय नम:।।

इसके बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करें। इस प्रकार पूजन के बाद दिन भर निराहार रहें व मंत्र का जप करें। शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल , उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त दान में दे सकते हैं।

 

संबंधित लेख :​