भारत ने अध्यात्म, ज्ञान, विज्ञान के क्षेत्र में जो उन्नति हासिल की है वो आज के आधुनिक विज्ञानं से कहीं आगे है। उन ऊचाइयों को छूना आधुनिक समाज के लिए अभी संभव नहीं है। इसका उदाहरण है एक हजार साल से भी पुराने 7 शिव मंदिर, जो एक दूसरे से 500 से 600 किमी दूर स्थित हैं। मगर, उनकी देशांतर रेखा एक ही है। अर्थात सभी मंदिर एक सीध में स्थापित हैं। क्या प्राचीन हिंदू ऋषियों के पास कोई ऐसी तकनीक थी, जिसके माध्यम से उन्होंने भौगोलिक अक्ष को मापा और इन सभी सात शिव मंदिरों को एक सीधी रेखा पर बनाया? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं। ये सभी मंदिर भौगोलिक दृष्टि से 79°E,41’,54” देशांतर रेखा पर स्थित हैं। आइये जानते हैं इन प्राचीन शिव मंदिरों के विषय में-
1. केदारनाथ : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की सुन्दर घाटियों में, चारों ओर से हिमालय के पहरे के बीच स्थित है केदारनाथ मंदिर। यह मंदिर नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ के साथ पूर्ण माना जाता है, इसलिए इसे अर्धज्योतिर्लिंग कहा जाता है। यहां पर स्थित शिवलिंग स्वयंभू है और अत्यंत प्राचीन है। इस जगह पर ज्योतिर्लिंग पांडवों द्वारा स्थापित बताई जाती है तथा आदि शंकराचार्य जी ने इसकी पुनर्स्थापना कराई थी।
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2. कालेश्वर : जंगलों से घिरा यह खूबसूरत स्थान करीमनगर से 130 किलोमीटर दूर है। तेलंगाना के करीमनगर जनपद स्थित कालेश्वरम् मंदिर में शिव को त्रिलिंगदेशम् (3 लिंगों की भूमि) के 3 मंदिरों में जाना जाता है। यह पर 2 शिवलिंग हैं। इन्हें शिव और यम का प्रतीक माना जाता है।
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3. श्रीकालाहस्ती मंदिर : यह मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के श्रीकालाहस्ती नामक जगह पर स्थित है, जो तिरुपति से मात्र 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर के देवता की प्राण-प्रतिष्ठा वायु तत्व के लिए की गई है। ये तीर्थ नदी के तट से पर्वत की तलहटी तक फैला हुआ है और लगभग 2000 वर्षों से इसे दक्षिण कैलाश या दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है।
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4. एकम्बरेश्वर मंदिर : तमिलनाडु के कांची स्थित यह शिव मंदिर शैव संप्रदाय के पंच भूत स्थलम में से एक है। यहां शिवजी को धरती तत्व के रूप में पूजा जाता है। पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया विशाल मंदिर समय के साथ पुराण हो गया, तथा बाद में चोल एवं विजयनगर के राजाओं द्वारा पुनर्निर्मित किया गया। यहां शिवलिंग पर चमेली का तेल चढ़ाया जाता है।
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5. अन्नामलैय्यर मंदिर : भगवान शिव का यह मंदिर तमिलनाडु स्थित तिरुवन्नमलई के पास अन्नामलैय की पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर भी पंचभूत स्थलम में से है और यह अग्नि का प्रतीक माना जाता है।
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6. तिलई नटराज मंदिर : तमिलनाडु के कुडलूर जनपद स्थित चिदंबरम में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर शैव अनुयायियों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है। इसका निर्माण आकाश तत्व के लिए किया गया है। यह मंदिर महान नर्तक नटराज के रूप में भगवान शिव को समर्पित है। नृत्य की 108 मुद्राओं का सबसे प्राचीन चित्रण चिदंबरम् में ही पाया जाता है।
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7. रामनाथ स्वामी मंदिर (रामेश्वरम्) : दक्षिण भारत की सुनहरी धरती पर समुद्र तट पर बसा एक खूबसूरत द्वीप है रामेश्वरम। यह वही रामेश्वरम है जिसका वर्णन रामायण में मिलता है, इसके शिवलिंग की स्थापना श्री राम ने की थी तथा इसके मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के कारण इसकी मान्यता अत्यधिक है।
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