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जन्माष्टमी: क्या है जन्माष्टमी की विशेषता?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त :-

24 अगस्त 2019 (शनिवार)

अष्टमी तिथि आरंभ – 08:08 (24 अगस्त 2019)

अष्टमी तिथि समाप्त – 08:34 (25 अगस्त 2019)

निशिता पूजा– 12:02 से 12:47 (अवधि - 0 घंटे 45 मिनट)​

पारण– 05:59 (25 अगस्त 2019)

हुआ था श्री कृष्ण का जन्म :-

श्री हरी विष्णु के सभी अवतारों में से केवल एक अवतार ऐसा है जो सम्पूर्ण कलाओं से युक्त है, जिसे सारा संसार निर्विरोध पूजता है। उनकी हर निति, हर कला और हर लीला की संसार प्रशंसा करता है, और यह अवतार हैं श्री कृष्ण। उनका जीवन हर प्रकार के रंगों से भरा हुआ है- जहाँ उनका बचपन शरारतों और प्रेम रस की दिव्ताओं से भरा हुआ है वहीँ उनकी युवावस्था युद्ध तथा राजनीती की श्रेष्ठता की मिसाल है। वह किसी एक विचारधारा से बंधें नहीं हैं, उन्हें धर्म के लिए जो कुछ भी उचित लगता है वे निर्भीक होकर उसे करते हैं। वे एक सच्चे मित्र, भक्त वत्सल तथा एक अनुकरणीय व्यक्तित्व के धनि हैं। 

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ऐसे ही बहुमुखी प्रतिभा के धनि श्री कृष्ण के जन्म के दिन को भक्त जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भक्तजन व्रत रखकर श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं तथा उन्हें पालना में झुलाते हैं।

वृन्दावन की होती है निराली छठा :-

श्री कृष्ण जन्मोत्सव को लोग त्यौहार की तरह मनाते हैं, पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रहिणी नक्षत्र में हुआ था। उनका जन्म मध्यरात्रि में हुआ था। अतः हर वर्ष भाद्र पद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को लोग कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।

इस दिन न केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म के लोग जन्माष्टमी मनाते हैं। वृन्दावन, मथुरा सहित गुजरात में इस त्यौहार की एक अलग ही छठा होती है। यहां पर इस दिन रासलीला का आयोजन भी किया जाता है जो की पुरे विश्व में प्रसिद्द है।

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 निकलती हैं झांकियां :- 

इस दिन श्रद्धालु श्री कृष्ण की झाकियां भी बनाते हैं, इस दिन पंजीरी का विशेष प्रसाद बनाया जाता है जो की अत्यंत स्वादिष्ट और लाभकारी होता है। कई जगहों पर मटकी फोड़ने का आयोजन किया जाता है। यह क्रिया भगवान श्री कृष्ण के बचपन की माखन चुराने की लीला की ही पुनरावृत्ति है। युवा कई सारी टोलियों में एक मानव मीनार बनाकर उस मटकी को फोड़कर उसके माखन को चुराते हैं। वृन्दावन में विशेष रासलीला का आयोजन होता है, जिसमे राधा कृष्ण और गोपियों का प्रेम नृत्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

 

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