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गणेश महोत्सव: आखिर क्यों विसर्जित करते हैं गणेश जी को पानी में?

देशभर में गणेश उत्सव जोरों शोरों से शुरू हो चुका है, भक्तजन गणपति के स्वागत के बाद अब दस दिनों तक विधिवत पूजा अर्चना करेंगे और उन्हें उनका मनपसंद भोग लगायेंगे। यह उत्सव दस दिनों तक चलने वाला अत्यंत महत्वपूर्ण महोत्सव है, जिसे श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं। दस दिनों के उपरांत गणेश विसर्जन चतुर्दशी के दिन किया जाता है।

वैसे गणेश जी का विसर्जन अलग अलग दिन किया जाता है, क्योकि कभी किन्ही परस्थितियों में श्रद्धालु पूरे दस दिन तक पूर्ण विधि विधान करने में असमर्थ होते हैं इसलिए वे गणेश जी को एक दिन, तीन दिन अथवा पांच दिन बाद भी विसर्जित कर सकते हैं। किन्तु एक प्रश्न जो मन में उठता है है वह ये कि इतनी श्रद्धा से गणपति को हम घर लाते हैं फिर उनका पूजन करते हैं, तो दस दिन बाद हम क्यों उन्हें पानी में विसर्जित कर देते हैं? आइये इसका कारण जानते हैं इस लेख में-

पधारे थे व्यास जी की कुटिया पर गणपति:-

हम सभी यह कथा जानते हैं कि वेद व्यास जी ने महाभारत गणेश जी से लिखवाई थी, क्योकि वह सभी देवों में सबसे अधिक बुद्धिमान एवं चतुर थे। और केवल वही बिना किसी त्रुटि के वह पुराण लिख सकते थे। चूँकि गणेश जी ने शर्त रखी थी कि वे लगातार ही महाभारत लिखेंगे, यदि व्यास जी बीच में बोलते हुए रुके तो वे लेखन बंद कर देंगे। यह शर्त व्यास जी ने स्वीकार कर ली और गणेश जी को अपनी कुटिया आने का निमंत्रण दिया।

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जिस दिन गणेश जी कुटिया में पधारे उस दिन चतुर्थी थी, और चतुर्थी के दिन से ही गणेश जी ने महाभारत लिखनी आरम्भ की थी। तब व्यास जी ने आँखे बंद कर के उन्हें महाभारत के घटनाक्रम बताने आरम्भ किये और लगातार दस दिनों तक आँखे बंद करके ही बोलते रहे।

बढ़ गया था गणेश जी के शरीर का तापमान:-

दस दिन पश्चात जब वेद व्यास जी ने महाभारत पूर्ण करके आँखे खोली तो देखा लगातार लिखने की वजह से गणेश जी के शरीर का तापमान अत्यंत तीव्र हो गया है। उन्होंने गणेश जी को पास के ही तालाब में ले जाकर उनका जल से अभिषेक किया, जिससे उनके शरीर का तापमान कुछ कम हुआ। इसके बाद गणेश जी तालाब में स्नान करने उतर गए और उनका तापमान समान्य हो गया और यहीं से गणपति जी वेद व्यास जी को प्रणाम करके अपने धाम लौट गए। इसीलिए यह परंपरा बन गयी की गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का स्वागत किया जाता है, उनको घर पर विराजित किया जाता है और फिर दस दिन बाद उन्हें उनके धाम विदा करने के लिए पानी में विसर्जित किया जाता है। 

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विसर्जन से पूर्व रखें ध्यान ये बातें:-

गणेश जी के विसर्जन में कुछ बातों का ख़ास ध्यान रखें, जैसे विसर्जन से पूर्व गणपति की आरती करें उनसे सुख और शांति की प्रार्थना करें और अंत में उन्हें अगले बरस आने का न्योता भी दें। इसके बाद गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाते हुए उनका विसर्जन करें।

आजकल एक फ्रेंडली गणेश जी भी आ रहे हैं जो कि हमारे पर्यावरण के लिए वरदान हैं, आप भी गणेश चतुर्थी पर एक फ्रेंडली गणेश जी को ही घर पर लाएं। और यदि आप उनका घर पर ही विसर्जन करना चाहते हैं तो एक गमले में पानी भर कर मिटटी के गणेश जी को उसमे विसर्जित करें और उसमे कोई पौधा ऊगा लें। पर ध्यान रखियेगा कि तुलसी का पौधा उसमे न लगाएं क्योकि तुलसी गणेश जी को नहीं चढ़ती।

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