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खरमास: क्यों नहीं किये जायँगे इस समय शुभ कार्य?

सनातन धर्म में दिन के अनुसार भिन्न भिन्न भगवानों को पूजने का नियम है, किन्तु शास्त्रों में ऐसे पंचदेवों की भी व्याख्या की गयी है जिनकी पूजा और आराधना प्रत्येक दिन करनी चाहिए। ये पंचदेव हैं - गणेशजी, शिवजी, माँ दुर्गा, श्री नारायण तथा सूर्यदेव। इन पांच देवों की हर दिन पूजा करने से मनुष्य को किसी और की पूजा करने की जरूरत नहीं है, क्योकि अन्य भगवान इन्ही के अंश या अवतार हैं। वैसे ये सबकी आस्था का विषय है, हर कोई अपने इष्ट देव की आराधना अपने तरीके से करना चाहता है। इसलिए इस विषय में अधिक बात न करते हुए हम अपने मुख्य विषय में लौटते हैं।

मुख्य पांच देवो में सूर्यदेव एक ऐसे देवता हैं जो प्रकट रूप में हैं, अर्थात उनका दर्शन हर कोई कर सकता है। इसलिए भगवान सूर्य की उपासना कुंडली तथा ग्रह सम्बंधित दोषों को दूर करती है। विशेषतः खरमास में सूर्यदेव की पूजा करना आवश्यक है, इस समय उनके बारह नामों का जाप करना शुभ फल देता है।

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क्या है खरमास?:-

इस वर्ष 16 दिसंबर 2018 अर्थात मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी से मलमास अथवा खरमास प्रारम्भ होंगे। खरमास 14 जनवरी 2019 अर्थात पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि तक रहेंगे। जब सूर्य गोचर करते हुए धनु और मीन राशि में प्रवेश करता है तब वह माह मलमास कहलाता है। यह अवधि शुभ नहीं मानी जाती, इसलिए खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते। इसलिए इस मास में भगवान् सूर्य के नामों का जाप करना आवश्यक है।

क्या करें खरमास में? :-

सूर्य को अर्घ्य देते हुए उनके बारह नामों का जाप करना शुभ होता है, इस से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। और किसी भी प्रकार के अशुभ प्रभावों से बचाता है। प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए (उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना सबसे अच्छा होता है)। जल चढाने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करें, इस जल में थोड़े अक्षत, चंदन अथवा अष्टगंध व एक लाल पुष्प भी डालें।   

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इसके बाद पूर्व दिशा में सूर्य की ओर मुँह करके सूर्यदेव को अर्घ्य दें, और निम्न नामों का जाप करें -

ॐ सूर्याय नम:, ॐ हिरण्यगर्भाय नम:,  ॐ मारिचाये नम:,  ॐ सावित्रे नम:, ॐ भानवे नम:, ॐ खगय नम:,  ॐ पुष्णे नम:, ॐ भास्कराय नम:,  ॐ आदित्याय नम:,  ॐ मित्राय नम:, ॐ आर्काय नम:, ॐ रवये नम:

शास्त्रों के अनुसार खरमास में किसी भी तरह के मंगल कार्य वर्जित हैं। इस दौरान विवाह, सगाई, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य निषेध हैं। इस समय नया घर या कार लेना भी शुभ नहीं माना जाता है। इसका कारण है की सूर्य जब धनु राशि में विद्यमान होता है तो इस दौरान वह मलिन हो जाता है।

पौराणिक कथा:-

खरमास में शुभ कार्य न होने का कारण एक पौराणिक कथा से समझ में आता है, इस कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों पर सवार होकर लगातार ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करते रहते हैं। ये घोड़े बिना रुके दिन रात दौड़ते रहते हैं, यह कहा जाता है की सूर्य की गति रुकने से जान जीवन रुक जाएगा। कित्नु एक बार सूर्यदेव को उन घोड़ो पर दया आ गयी, लगातार चलने के कारण घोड़े भी थक गए थे। इसलिए सूर्यदेव ने उन्हें विश्राम देने का निश्चय किया और उन्हें एक तालाब के पास ले गए। उन्हें तालाब के किनारे दो खर (गधे) दिखे, उन्होंने अपनी गति रोकने के बजाय उसे जारी रखने के लिए घोड़ों की जगह गधों को रथ से जोड़ दिया गधे घोड़ों की गति का मुकाबला तो नहीं कर सकते थे, इसलिए रथ की गति बहुत धीमी हो गयी। किसी प्रकार एक मास का चक्र पूर्ण हुआ और सूर्यदेव ने विश्राम कर रहे घोड़ों को फिर रथ से जोड़ लिया। इस प्रकार घोड़ों को भी आराम मिल गया और सूर्य की गति भी नहीं रुकी। यह क्रम प्रत्येक वर्ष चलता है और यही मास खरमास कहलाता है।

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