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जानिए कैसे मनाएं कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव !

श्री कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त :-

11 अगस्त 2020 (मंगलवार)

अष्टमी तिथि आरंभ – 09:06 (11 अगस्त 2020)

अष्टमी तिथि समाप्त – 11:16 (12 अगस्त 2020)

निशिता पूजा– 12:05 से 12:48 (अवधि - 0 घंटे 43 मिनट)​

पारण– 11:16 (12 अगस्त 2020)

कृष्ण जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाता है :-

कृष्णा जन्माष्टमी हिन्दू कलेंडर के मुताबिक रक्षा बंधन के बाद भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है ! विष्णु भगवन का सबसे शक्तिशाली रूप कृष्ण का माना जाता है ! कृष्ण जी ने धरती से राक्षसों का नाश करने के लिए जन्म लिया था ! देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थी ! देवकी राजा कंस की बहन थी और राजा कंस मथुरा नगरी का था ! एक बार राजा कंस अपनी बहन देवकी के साथ रथ पर जा रहा था तभी उसे एक आकाश वाणी सुनाई पड़ी की जिसे तू चाहता है ! उस देवकी की आठवीं संतान तुझे मार डालेगी ! राजा कंस इस भविष्य वाणी को सुनकर बहुत डर गया और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार निकाल ली ! तभी वासुदेव ने जैसे तैसे समझाकर राजा कंस को शांत किया और बोले की वो अपना पुत्र उसे सौंप देंगे ! राजा कंस को अपने ताकतवर होने का घमंत था ! राजा कंस बहुत ही अत्याचारी था और उसने यादवो के प्रांत में शासन किया था !

राजा कंस ने अपनी बहन और अपनी बहन के पति को काल कोठरी में बंद रखा हुआ था ! देवकी और वासुदेव की जब भी कोई संतान होती तो राजा कंस उसे मार डालता था ! जब देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान का जन्म हुआ तो भगवान विष्णु जी ने आठवीं संतान को गोकुल ले जाने को कहा जहा पर यशोदा और नन्द रहते थे ! तभी वासुदेव अपनी आठवीं संतान को यमुना नदी पार करके उसे यशोदा के घर ले गए और यशोदा की बेटी की जगह अपना पुत्र रख दिया और यशोदा की बेटी लेकर वापिस जेल आ गए ! जब कंस ने उस बच्चे को देखा तो उसे लगा की ये देवकी की आठवीं संतान है और उसने उस बच्चे को एक पत्थर पर फेक दिया ! हैरानी की बात है की वह बच्ची माँ योगमाया में प्ररिवर्तित हो गई और कंस को उनकी मृत्यु के बारे में चेतावनी दी ! देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान गोकुल में ही पला बड़ा उसने वहां कई राक्षसों का वध किया और कंस को मारने के लिए मथुरा लौट आए थे ! इसलिए इस दिन को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है !

श्री कृष्णा के कई नाम :-

अचला , अच्युत , आदिदेव , अदित्या , आनंद सागर , पाल, श्यामसुंदर, गोबर्धनधारी, दीनदयाल, सावरिया, चितचोर, मुरलीधर, बंसीधर, मोहन, मुरारी आदि !

वृन्दावन , गोकुल और मथुरा की कृष्ण जन्माष्टमी :-

वृन्दावन और गोकुल वो जगह है ! जहाँ श्री कृष्ण जी ने अपना बचपन बिताया है और मथुरा वो जगह है जहाँ श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ ! जन्माष्टमी के समय मथुरा को फूलों से सजाया जाता है ! मंदिरो को भी बहुत सारे फूलों से सजाया जाता है ! मथुरा का मुख्य मंदिर द्वारकादिश मंदिर है ! वृन्दावन में भी कई सारे कृष्ण मंदिर है ! जैसे - गोविंद देव मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, जुगल किशोर मंदिर, मदन मोहन मंदिर, राधारमण मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर आदि ! गोकुल में भी श्री कृष्ण जी का बचपन बीता है और गोकुल में भी श्री कृष्ण भगवान के कई सारे मंदिर है ! गोकुल वृन्दावन और मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बहुत रौनक होती है और जगह - जगह लोग उत्सव का आयोजन करते है ! ऐसा लगता है की श्री कृष्ण जी खुद उस्तव का हिस्सा बनने आये है ! कई राज्यो में कृष्ण जन्माष्टमी बहुत धूम धाम से मनाई जाती है !

कैसे मनाते है ! श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व :-

जन्माष्टमी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते है और साफ़ सुत्रे वस्त्र पहनते है ! मंदिरो को अच्छे से फूल मालाओं  से सजाते है ! श्री कृष्ण जी को नए वस्त्र पहनते है और कृष्ण जी के गाने गाते है भजन गाते है ! रात को 12 बजे श्री कृष्ण का जन्म होता है और पूरा माहौल भक्ति में लीन होता है ! बनाये हुए परसाद का कृष्ण जी को भोग लगाया जाता है ! श्री कृष्ण भगवन जी माखन, दूध और दही से बनी चीजों को खाना पसंद करते थे और सभी भक्तजन भोग लगाने के बाद प्रसाद को ग्रहण कर अपना व्रत खोलते है !