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क्या है गोवर्धन का महत्व, कथा एवं पूजा विधि !

गोवर्धन पूजा मुहूर्त :-
15 नवम्बर 2020 (रविवार)
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त = 03:19 से 05:27 (2 घंटा 09 मिनट)
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ = 10:36 (15 नवम्बर 2020)
प्रतिपदा तिथि समाप्त = 07:06 (16 
नवम्बर 2020)

गोवर्धन का महत्व :-

भारतीय परम्पराओं के अनुसार दीपावली तीन दिन की मनाई जाती है ! छोटी दीपावली मुख्य रूप से अमावस्या की रात यानी मुख्य दीपावली और दीपावली के अगले दिन गोवर्धन के रूप मैं दीपावली को मनाया जाता है ! तो दीपावली मुख्य रूप से तीन दिनों की होती है ! नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के रूप में दीपावली के एक दिन पहले इसे मनाया जाता है ! दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी, कुबेर , श्री गणेश , काली इनकी पूजा अर्चना की जाती है और दीपावली के ठीक अगले दिन गोबर धन की पूजा करने की अति प्राचीन प्रथा चली आ रही है !

गोवर्धन पूजा दीपावली के ठीक अगले दिन सुबह कार्तिक , कृष्ण पक्ष, प्रतिपदा के दिन मनाए जाने वाला हिन्दुओ का एक प्रमुख और बड़ा त्यौहार माना जाता है ! गोवर्धन पूजा के दिन ही बलि पूजा अन्नकुट मार्ग पाली उत्सव भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है ! इस दिन गेंहू चावल जैसे अनाज , बेसन से बनी कड़ी और पते वाली सब्ज़ी और भोजन को हर मंदिर में पकाया जाता है ! भारत के हर मंदिर में अन्नकूट मनाया जाता है और कुछ घरों में भी लोग कुछ अन्नकूट बनाकर श्री कृष्ण जी को अर्पित करते है ! तो मुख्य रूप से जहाँ भी श्री कृष्ण का मंदिर है वह तो अन्नकुट बनाया ही जाता है और इसके अलावा सभी मन्दिरों में अन्नकूट मनाया ही जाता है !

गोवर्धन पूजा में गायो का अधिक महत्व माना जाता है ! गोवर्धन पूजा यानि की गायो की पूजा गोवर्धन की पूजा इस दिन की जाती है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण के साथ इंद्र देव पराजित हो जाते है यानि भगवान् श्री किशन के दौरान भगवान इंद्र देव को पराजित करके उनका अहंकार दूर किया जाता है तो इसी उपलक्ष में गोवर्धन पूजा की जाती है ! आपने कृष्ण लीलाओं में गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला को अवश्ये सुनी होगी ! माना जाता है की भगवान श्री कृष्ण का इंद्र के मान मर्दन के पीछे का उद्श्ये था की ब्रिजवासी गो धन एवं पर्यावरण के महत्व को समझे उनकी रक्षा करे इसलिए भगवान् ने इंद्र का अहंकार तोड़ा और हमे एक सन्देश दिया की हमें गायों की रक्षा करनी चाहिए, पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए नहीं तो प्रकृति के महा विकराल रूप को हमें झेलना पड़ सकता है !

गोवर्धन की कथा :-

गोवर्धन की पूजा की परम पारा आज से नहीं बल्कि द्वापर युग से चली आ रही है ! इससे पूर्व ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी ! लेकिन जब भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है वर्षा करना उनका कार्य है और वह सिर्फ अपना कार्य करते है ! जबकि गोवर्धन पर्वत गो धन का संवर्धन वः हिफाज़त करता है ! जिससे पर्यावरण भी शुद्ध होता है ! इसलिए इंद्र की नहीं बल्कि गोवर्धन की पूजा हमे करनी चाहिए ! अब कृष्ण इस प्रकार गोकुल वासियों को इंद्र की पूजा रुक वाकर गोवर्धन की पूजा करवाने से इंद्र देव काफी नाराज़ हो जाते है ! इसके बाद इन्दर ने ब्रज वासियों पर गोकुल वासियो पर भारी वर्षा करके उन्हें डराने की कोशिश करते है पानी घुटनों से ऊपर हो जाता है और देखते ही देखते पानी गाओ वासियो के सर तक पूछने लगता है तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी गोकुल वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचा लिया जाता है ! इसके बाद से ही इंद्र भगवान की जगह गोबर धन पर्वत की पूजा करने का विधि विधान शुरू हो गया है और यह परम इंद्र भगवान की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधि विधान शुरू हो गया है और यह परम पारा आज कलयुग में भी निरंतर जारी है ! माना जाता है कि गोवर्धन की पूजा करने से श्री कृष्ण भगवान् की कृपा मिलती है ! तो इस प्रकार श्री कृष्ण के द्वारा जब गोबर धन पर्वत उठा लिया जाता है ! तो सभी ब्रज वासी सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत की शरण में रहते है ! सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रज वासियों पर एक भी बूँद जल की नही पड़ती है ! जब भ्रमा जी ने इंद्र जी को बताया की पृथ्वी पर श्री कृष्ण ने जन्म ले लिया है और उससे तुम्हारा बैर लेना उचित नही है ! तो श्री कृष्ण अवतार की बात जान कर इंद्र देव को अपनी मूर्खता का एहसास होता है ! वह बहुत लज्जित होते है और धरती पर आकर श्री विष्णु के अवतार श्री कृष्ण से क्षमा की याचना करते है ! तो कृष्ण के द्वारा जब गोवर्धन को श्री विष्णु के अवतार श्री कृष्ण से क्षमा की याचना करते है ! तो कृष्ण के द्वारा जब गोवर्धन को की पूजा की जाएगी और उत्साह के साथ अन्नकूट पर्व मनाया जाएगा !

गोवर्धन पूजा विधि :-

कार्तिक मास की शुकल पक्ष की प्रतिपदा को यह उत्सव मनाया जाता है ! गोवर्धन को हम आकूत के नाम से भी जानते है ! इस साल 15 नवम्बर 2020 यानी (रविवार) के दिन मनाया जाएगा ! गोवर्धन का शुभ मूहर्त दुपहर 03:19 से 05:27 तक है ! आप को सबसे पहले सुबह जल्दी भ्रम मुहूर्त में उठकर स्नान आदि और आपने नित् कार्य पूरा करने के बाद साफ़ सुत्रे वस्त्र धारण करे और घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान् की प्रतिमा बनाए अब उस प्रतिमा को फूलों और पेड़ों की डालियों से सजाए फिर इसके बाद आप उनके ऊपर चंदन, धुप, डीप, गंगाजल, फल, खिल, पतासे अपनी श्रदा के अनुसार गोबर धन की प्रतिमा पर चढ़ाएं और इस दिन गिरि राज भगवान् को प्रसन्न करने के लिए उन्हें आकूत का भोग भी लगाए ! आकूत के भोग के लिए विभिन प्रकार की सब्जियों का प्रयोग करे ! इसके बाद आप ये सब चीज़े भगवान् को अर्पित करे और उनकी कथा जो है उसे विधिवत पड़े और कथा को पूरा पढ़ने के बाद उनकी आरती करे इसके बाद उनकी सात बार परिक्रमा करे !