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जानिए क्या है भाई दूज के पीछे की कहानी !

भाई दूज मुहूर्त:-
16 नवम्बर
2020 (सोमवार)
टीका मुहूर्त = 01:10 से 03:18 (2 घंटा 08 मिनट)
द्वितीय तिथि प्रारम्भ  = 07:06 (16 नवम्बर 2020)
द्वितीय तिथि समाप्त = 03:56 (17 नवम्बर 2020)
तिथि: 16, कार्तिक, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा
, विक्रम सम्वत

 

भाई दूज की कहानी :-

एक बूढी औरत थी ! उसके एक बेटा और एक बेटी थी ! बेटी की शादी हो गई थी ! एक बार भाई अपनी बहन से मिलने के लिए घर से निकलता है ! तो रास्ते में उसको नदी मिलती है, मैं तेरा काल हूँ "मैं तेरे को डुबकर मार दू " ! तो वो कहता है मैं कई साल बाद अपनी बहन से मिलने जा रहा हूँ ! मुझे उससे मिल आने दो फिर आते वक़्त डूबा देना ! तो नदी मान जाती है और उसको रास्ता दे देती है ! वह थोड़ा आगे बढ़ता है तो उसे साप मिल जाता है और वो बोलता है की "मैं तुझे डसूंगा "! तो वो बोलता है की मुझे पहले अपनी बहन से मिलकर टिका लगवा लेने दो ! "फिर तू मुझे डस लेना" फिर वो भी मान जाता है और फिर वह आगे बढ़ता है ! आगे जंगल आता है ! जंगल में उसे शेर मिलता है तो वो भी उसे बोलता है ! "मैं तुझे खाऊ" ! तो वो उससे भी वही बात बोलता है की पहले में अपनी बहन से टिका लग वालू उसके बाद लौटते वक़्त तुम मुझे खा लेना "शेर मान जाता है" ! इसके बाद भाई अपनी बहन के घर पहुंच जाता है ! बहन उस वक़्त कच्चा सूत काट रही होती है और सूत काटते वक़्त कच्चा सूत बीच में से टूट जाता है तो जिस बहन का इकलौता भाई होता है, वह जब तक सूत पुनः जुड़ नहीं जाता तब तक बहन बोलती नहीं है और जब भाई बहन के घर पहुँचता है उस समय उसकी बहन सूत जोड़ रही थी, तो वो भाई से नहीं बोलती ! तो भाई बहुत देर तक खड़ा रहा पर बहन बोली ही नहीं तो भाई को लगा की मुझ गरीब से मेरी बहन बात नहीं कर रही है ! तो वो बोलता है ये तो बहुत घमंडी है ! यह सोच कर वो वापिस जाने लगता है इतने में बहन का सूत जुड़ जाता है तो वह भाई को आवाज देती है उसे प्यार और स्नेह से घर के अंदर ले जाती है उसे पानी पिलाती है और उससे हाल चल पूछती है ! अब बहन पड़ोसन के घर जाती है और पड़ोसन से पूछती है की "कोई प्यारा पावना आवे तो काई करनो चाहिए" तो पड़ोसन मजाक में कह देती है की "तेल को चोको लीपो और घी में चावल बनाओ" ! वो बेचारी भोली बहन पड़ोसन का मज़ाक नहीं समझ पाती है और तेल में चोको लीप देती है और घी में चावल चढ़ा देती है ! अब न तो चोका सूखता है और ना ही घी में चावल सीजते है ! इधर उसका भाई बहन से बोलता है की बहन भूख लग रही है, खाना परोस दे ! तो वह भाई से कहती है की चावल सीजने दे फिर परोसती हूँ ! फिर वह दूसरी पड़ोसन से पूछती है तो वो उसको समझाती है की भली लुगाई न तो तेल का चोको कभी सूखेगो और न ही घी में चावल सीजेगा ! फिर वो वापस से पुरे घर में गोबर से चोका लगाती है और चावल को पानी में चढाती है ! जब चोका सुख जाता है और चावल पाक जाते है ! फिर उसमे घी डाल कर भाई को खिलाती है ! उसके बाद भाई के टिका करती है ! इस तरह से बहन, भाई को खूब स्नेह से रखती है ! भाई बहन के स्नेह का पता ही नहीं चला और 4-5 दिन बीत जाते है ! तो भाई कहता है की बहन अब मैं घर जाऊँगा ! तो बहने और उसके बच्चे रोकना चाहते है पर भाई नहीं मानता है ! अगले दिन भाई जाने वाला होता है तो बहन अँधेरे में ही जल्दी उठकर गेहुँ पिसती है और भाई के लिए रस्ते में खाने के लिए लड्डू बनाती है और 3-4 लड्डू बच्चो के लिए ऊपर छिके में रख देती है ! अब सुबह बच्चे उठते है और मामा जी को नहीं देखते है तो माँ से मामा के बारे में पूछते है तो माँ कह देती है की मामा वापिस नानी के पास चले गए है ! तो बच्चे रोने लगते है तो माँ छिके से पर से लड्डू उतार कर देती है तो वह देखती है की सारे लड्डू हरे रंग के हो गए थे ! उसने तो अँधेरे मैं गेहूँ पीसे थे गेहूँ पिस्ते वक़्त घटटी में साप बेठा था और गेहूँ के साथ वो भी पीस गया था ! जिससे सारे लड्डू जहरीले हो गए थे ! फिर उसने वो लड्डू तो फेके और सोचा की यदि मेरे भाई ने इन लड्डूओ को खा लिया तो मेरा भाई मर जाएगा और में खुद ही अपने भाई की मौत का कारण बन जाऊँगी और यह सोचते ही वह घबरा गई और तेजी से अपने पीहर के रास्ते भाग गई ! रास्ते में जो भी दिखता उससे अपने भाई के बारे में पूछती आगे जाने पर किसी ने बताया की वहाँ पेड़ के नीचे ऐसा एक व्यक्ति सोया हुआ है, तो वह सोचने लगी की मेरा भाई कई मर तो नहीं गया ! तो वह रोती - रोती वहाँ  पहुँची जहाँ उसका भाई सो रहा था वह उसे देखकर खाने की पोटली मांगती है ! भाई कुछ समझ नहीं पता है और बहन से बोलता है की मैं गरीब हूँ तुम्हारे घर से कुछ नहीं लाया तो बहन उससे लड्डू लेकर ज़मीन में गाड़ देती है और उसके बाद वो भाई को कारण बताती है !

तब भाई मन ही मन सोचता है की तू मुझे एक बार बच्चा भी लेगी तो क्या? मेरी तो आगे भी तीन जगह मौत इंतजार कर रही है ! वे दोनों वहाँ बैठते है और बाते करते है ! थोड़ी देर बाद बहन को प्यास लगती है ! वह भाई से पानी मांगती है ! तो भाई पेड़ पर चढ़कर पानी ढूंढ़ता है उसे पास में ही एक तालाब दीखता है ! वह पानी लेने जाने लगता है तो बहन बोलती है की "मैं खुद ही जाती हूँ पानी पीने तू कैसे लाए गए तो वो खुद ही तालाब पर जाती है ! वहाँ जाकर वह देखती है की तालाब के पास एक बुढ़िया बैठी है ! उसे आश्चर्य होता है वह उससे पूछती है कि मांजी आप यहाँ क्यों बैठी हो तो माजी बताती है की मैं तो विधाता हूँ और " एक्ली के पूत की ढक्लि सार रही हूँ"! तो वह सोचती है की मेरा भाई भी तो एक्ली का पूत है ! अब वह घबरा जाती है और वह पूछती है कि क्या करना पड़ेगा कि उसकी जान बच जाए तो विधाता माता उसे बताती है कि यदि उसकी बहन पागल हो जाए, उसे गाली दे और उसकी शादी होने तक हर घात को यदि वो टाल दे तो उसका भाई बच सकता है ! इस पर वह विधाता माता से उसकी घात टालने के उपाय भी पूछती है ! इसके बाद वह तुरंत अपने भाई के पास जाकर कहती है की मैं तुझे माँ के घर छोड़ने चलुगी ! लेकिन थोड़ी देर रुक मैं अपने घर होकर आती हूँ और वो घर जाती है और शेर के लिए जो का पुला, साप के लिए दूध और नदी के लिए घागरा सावली लेकर आती है ! इसके बाद दोनों भाई बहन आगे बढ़ते है ! उन्हें सबसे पहले शेर मिलता है और जैसे ही शेर उसके भाई को खाने के लिए आगे बढ़ता है तो उसकी बहन जो का पुला रख देती है और शेर उनका रास्ता छोड़कर जो का पुला खाने लग जाता है और दोनों भाई बहन दोनों आगे निकल जाते है ! अब दोनों भाई बहन आगे बढ़ते है तो उन्हें शाप मिलता है तो सांप उन्हें जैसे ही डसने लगता है तो उसकी बहन उसके आगे दूध का कटोरा रख देती है ! तो सांप दूध पीने लग जाता है और दोनों भाई बहन आगे निकल जाते है ! अब आगे निकलने के थोड़ी देर बाद उन्हें नदी मिलती है जो उन्हें भोगने के लिए त्यार हो जाती है ! तो वह नदी की पूजा करके उसको घागरा - सावली ओढ़ती है ! तो इस पर नदी भी खुश होकर नदी भी आगे बढ़ने का रास्ता भी दे देती है ! इसके बाद वह आगे बढ़ जाते है और कुछ समय बाद घर पहुँच जाते है ! अब घर में माँ भी बेटी को देखकर खुश होती है पर बहन उसी समय अपने भाई को गली देने लगती है और माँ बेटे से पूछती है की तू इसे क्यों लाया तो भाई बोलता है की ये अभी रास्ते मैं तो ठीक थी घर पहुँच कर पागल हो गई है ! थोड़ी देर बाद माँ भी बोलती है कोई बात नही बेटी तो उसकी ही है ! अब थोड़े दिन बाद ही भाई का रिश्ता आ जाता है ! तो सब बोलते है की यह बहन पागल तो है पर भाग्यवान है इसके आते ही भाई का रिश्ता हो गया है पर जब भाई के ससुराल वाले आते है भाई की सगाई का प्रसाद देने के लिए तो बहन कहती है की इस पागल की क्यों शादी का रहे हो पहले मेरी सगाई करो ! तो कई बड़े बुजुर्ग कहते है की इसे भी इसके भाई के साथ बिठा दो और जैसे ही सगाई शुरू होती है पूजा के वक़्त आग लग जाती है ! बहन को तो पता ही था की उसके भाई की घात है ! जिसके कारण वो सतर्क थी और तुरंत वो आग को बुझा देती है ! इस तरह भाई की एक और घात टल जाती है ! अब कुछ दिन बाद शादी के कार्य कर्म शुरू होते है ! वह भाई के साथ हर जगह रहती है ! यहाँ तक की जब उसका भाई धुला निकासी (बरात) पर निकलता है तब भी वो यही कहती है की इस पागल की क्यों निकासी निकाल रहे हो ! निकासी के समय धुला आगे के दरवाजे से निकलता है तो उसकी बहन कहती है कि पीछे के दरवाजे से जाएगे ! जैसे ही दूल्हा पीछे के दरवाजे से निकलता है ! आगे का दरवाजा दरड़ जाता है ! वो फटाफट सर की सुई खोज देती है ! फिर सब उसकी तारीफ करते है भले ही ये पागल है पर खूब समझदार है बार बार अपने भाई की जान बचा लेती है फिर फेरे में भी वो बोलती है की इस पागल की क्यों शादी करवा रहे हो पहले मेरी करवाओ और फेरे में भी उसके साथ चलती है और उसका ध्यान रखती है ! शादी के बाद दूल्हा दुल्हन जब घर आ जाते है ! तो दूल्हा दुल्हन की रात जगाते है तो वह भी यही कहती है की इस पागल की क्यों रात जगा रहे हो पहेल मेरी रात जगाओ में भी इनके साथ सौगी ! यह बात सुनकर कोई बड़ी बुजुर्ग बोलती है ठीक है बिच में पर्दा करके इसे भी इनके साथ सुला देते है ! रात को जब उसके भाई भाभी सो जाते है तो बहन जागती रहती है ! क्युकी उसको तो मालूम है की भाई की घाट है तो वह जागती रहती है ! रात के 12 बजे के बाद एक साप आता है तो बहन तियारी से बैठी रहती है ! जैसे ही सांप आता है उसकी बहन तलवार से काट देती है और टोकरी में सांप को ढक कर सो जाती है ! आज वो कई दिन बाद निश्चित होकर सोती है और उसकी अगले दिन निंद नही खुलती है ! इधर उसकी माँ सोचती है की बेटी के उठने से पहले मेहमानों को विदा कर दे ताकि वो और कोई बवाल ना कर पाए और यह सोचकर वो मेहमानों को विदा कर देती है ! जब सूरज सर पर चढ़ जाता है तो उसकी माँ जगाती है ! वह उठते ही सब ओर देखती है पर घर में कोई दिखाई नही देता है ! तो वो अपनी माँ से पूछती है की सब मेहमान चले गए क्या ? तो उसकी माँ कहती है की हा सब चले गए तो उसकी बेटी बोलती है की सब मेहमानो को वापस बुलाओ फिर सब मेहमानों को बुलाया जाता है ! फिर वो सब को बताती है की मेरे भाई की ऊपर सात घाते थी इसलिए मैंने पागल होने का नाटक किया और अपने भाई को गालियां दी रात को भी उसको सांप काटने के लिए आया था और मैंने उसे काट दिया और एक टोकरे में डाल दिया फिर वो सबको मरा हुआ सांप दिखती है और बोलती है की माँ पहले आप मुझे विदा करो उसके बाद इन सब मेहमानों को विदा करना उसे विदा करने के बाद माँ ने सभी मेहमानों को विदा किया और तभी से हर बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए उसे भाई दूज पर उसे टीका करती है !

भाई दूज की पूजा :-

भाई दूज की पूजा के लिए सबसे पहले अपने सामने एक पटरे पर माँ लक्ष्मी जी और भगवान् विष्णु जी की तस्वीर रखें साथ ही भगवान् गणेश जी की भी तस्वीर को रखे क्युकी कोई भी पूजा श्री गणेश के बिना पूरी नहीं होती है ! सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा करे भगवान गणेश को जल, अक्षत और फूल चढ़ाने के बाद अपने हाथों को जोड़ कर पूजा सफल होने की प्राथना करे अब माँ लक्ष्मी की पूजा करे सबसे पहले लक्ष्मी जी को तिलक लगाकर उन्हें फूल , पान और सुपारी अर्पित करे ! अब लक्ष्मी जी के सामने नैवेद्ये रखे और इसके बाद इसके चारो और तीन बार जल को घुमाए अब हाथ जोड़कर लक्ष्मी जी से नैवेद्ये का भोग लगाने का आग्रह करे ! लक्ष्मी जी की पूजा हो जाने के बाद अब अपने हाथ में फूल लेकर कथा सुने अगर आप अकेले पूजा कर रहे है तो आप कथा को पड़ सकती है यह भाई की रक्षा करती है कथा समाप्त होने के बाद अपने हाथ में अक्षत ले अब आपसे कोई पूछे गा कि आप क्या कर रही है तो आप बोलेगी की में अपने भाई के लिए भाई दूजकी पूजा कर रही हूँ अगर आप अकेले पूजा कर रही है तो आप खुद से ही पूछे ! अब खड़े होकर माँ लक्ष्मी की आरती करे आरती करने के बाद अगर आपका भाई वह पर है तो सबसे पहले उसे तिलक करे फिर भाई को मिठाई खिलाकर उसकी आरती करे अगर किसी कारण से आप का भाई वहां पर मौजूद ना हो तो उस समय भगवान् को ही तिलक लगाकर भाई के लिए प्राथना करे ! अब भाई अपनी बहन के पैर छूता है और अपने घर में सभी बड़ो का आशीर्वाद लेता है ! इसके बाद भाई अपनी बहन को कोई तोफा या पैसे देता है ! अब भाई बहन साथ में बैठ कर भोजन करे इससे भाई बहन का प्यार बढ़ता है ! पूजा में रखे पैसो को किसी पंडित या फिर किसी गरीब को दान कर दे !