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ब्रह्मा जी का पुरे विश्व मे एक ही मंदिर जानिए क्यों ?

हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार तीन प्रधान देव माने जाते है ब्रह्मा जी, विष्णु जी और महेश जी ! ब्रह्मा जी इस संसार के रचना कार है विष्णु पालन करता है और महेश संहारक ! हमारे देश मै विष्णु जी और महेश जी के हज़ारों मंदिर है वहीं खुद की पत्नी सावित्री के श्राप के कारण ब्रह्मा जी का पुरे भारत मै सिर्फ एक ही मंदिर है जो की राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्थित है !

क्यों दिया माता सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप ?

हिन्दू धर्म ग्रन्थ में पद्म पुराण के मुताबिक एक समय धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने बहुत उत्पाद मचा रखा था उसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकर ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया लेकिन वध करते समय उनके हाथों से कमल का पुष्प गिर गया और जहाँ कमल का पुष्प गिरा वह पर एक नदी बन गई इसी घटना के बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा इस घटना के बाद ब्रह्मा जी ने संसार की भलाई के लिए यह एक यज्ञ करने का फैसला किया ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर पहुंच गए लेकिन किसी कारण वश सावित्री जी समय पर नहीं पहुंच सकी यज्ञ को पूरा करने के लिए उनके साथ उनकी पत्नी का होना बहुत जरुरी था लेकिन सावित्री जी के नहीं पहुंचने की वजह से ब्रह्मा जी ने गुरजा समुदाय की एक कन्या से विवहा कर लिया और इस यज्ञ को शुरू कर लिया उसी दौरान देवी सावित्री वहां पहुंच गई और ब्रह्मा जी के बगल में दूसरी कन्या को देख बहुत क्रोधित हो गई और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि देवता होने के बाद बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी सावित्री के इस रूप को देखकर सभी देवता लोग डर गए उन्होंने उनसे विनती की आप अपना श्राप वापिस ले लीजिए लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जब गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा होगी अगर आपका कोई भी दूसरा मंदिर बनवाएगा तो उसका विनाश हो जायेगा !

भगवान् विष्णु को दिया श्राप ?

भगवान् विष्णु ने भी ब्रह्मा जी की मदत की थी इस लिए देवी सरस्वती ने भी भगवान् विष्णु जी को श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी का विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा इस ही कारन राम भगवान् विष्णु के मानव अवतार को धरती पर जन्म लेना पड़ा और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था !

ब्रह्मा जी का मंदिर :-

ब्रह्मा जी के मंदिर का निर्माण कब और किसने किया इसका कोई उल्लेख नहीं है लेकिन ऐसा कहते है की आज से 1200 साल पहले अर्नव वंश के एक शासक को एक सपन आया था इस जगह पर एक मंदिर है और इसे सही रख रखाव की ज़रूरत है तब राजा ने मंदिर के पुराने ढांचे को जीवंत किया पुस्कार मैं माता सावित्री का भी एक मंदिर लेकिन वह मंदिर ब्रह्मा जी के पास ना होकर ब्रह्मा जी के मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर स्थित है जहाँ तक पहुँचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है ! भगवान् ब्रह्मा जी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन यज्ञ किया था यही कारण है कि हर साल अक्टूबर और नवंबर के बीच पड़ने वाले कार्तिक पूर्णिमा अवसर पर पुष्कर मेला लगता है ! मेले के दौरान ब्रह्मा जी मंदिर मे हज़ारों की संख्या मे भक्त दर्शन करते है !

इन दिनों मैं भगवान ब्रह्मा जी की पूजा कने से विशेष लाभ मिलता है