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जानिए बालब्रह्मचारी हनुमान के पुत्र की कहानी? भारत में कहाँ हैं उनके मंदिर?

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के परम भक्त बजरंगबली हनुमान को सभी कलयुग के जाग्रत देवता के रूप में जानते हैं। हनुमान जी के बारे में सभी भक्त जानते हैं की वे बालब्रह्मचारी थे, किन्तु क्या आप यह भी जानते हैं की उनका एक पुत्र भी था। यह बात आश्चर्य पैदा करती है की जब हनुमान जी ने कभी विवाह ही नहीं किया तो किस प्रकार उनका कोई पुत्र हो सकता है। तो आइये जानते हैं हनुमान जी के पुत्र की यह कथा-

पाताल लोक में मिला था एक वानर:-

रामायण की कथा में जब अहिरावण अपनी माया से श्री राम और लक्ष्मण जी का अपहरण कर के उन्हें पाताल ले आया था, तब हनुमान जी भी प्रभु को ढूंढते हुए पाताल लोक पहुंच गए। पाताल लोक के सात तल थे, जिनमे से हर तल के प्रवेश द्वार में एक एक पहरेदार खड़ा था। हनुमान जी सभी पहरेदारों को एक एक कर परास्त करते गए और अंत में सातवें तल में पहुंच गए। वहां उन्होंने देखा की उस अंतिम द्वार का पहरा एक वानर दे रहा है। हनुमान जी आश्चर्य से भर गए, क्योकि सभी वानर इस समय श्री राम का साथ दे रहे थे और यह वानर अकेला अहिरावण के द्वार पर पहरा दे रहा था।

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उन्होंने उस से उसका परिचय पुछा, तब उस वानर ने उसका नाम मकरध्वज बताया। तब हनुमान जी ने उस से पूछा की वह राक्षसों का साथ क्यों दे रहा है और उसके पिता कौन हैं? मकरध्वज ने अपने पिता का नाम 'हनुमान' बताया, यह सुनते ही हनुमान जी क्रोध से भर गए और बोले मैं ही हनुमान हूँ, और मैं एक ब्रह्मचारी हूँ। तुम किसलिए ऐसी मिथ्या बात कर रहे हो?

हनुमान को सामने देख मकरध्वज अत्यंत प्रसन्न हो गया और उसने उन्हें दंडवत प्रणाम किया।   

मकरध्वज के जन्म की कथा:-

मकरध्वज ने अपने क्रोधित पिता को बताया कि जब उन्होंने लंका दहन किया था तो उनके शरीर का ताप बढ़ गया था और पूंछ की आग बुझाने वो अंत में सागर पर आये थे। जब वे सागर के ऊपर से निकल रहे थे तब उनके शरीर से पसीने की एक बून्द सागर में गिर गयी जिसे एक मकर ने पी लिया और उसी से उसका गर्भधारण हो गया। वह मगर पूर्वजन्म में एक अप्सरा थी, और श्राप के कारण मगर बन गयी थी। एक दिन अहिरावण के मछुवारों ने उसे पकड़ लिया और मार दिया, तब उनके गर्भ से मेरा जन्म हुआ और वह अप्सरा भी मुक्ति प्राप्त कर गयी, उन्होंने ही यह कथा मुझे बताई।

मकरध्वज से सारी कथा जान कर हनुमान जी अत्यंत प्रसन्न हुए, उन्होंने अपने पुत्र को कंठ से लगा लिया और उसे श्री राम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए सहायता मांगी। किन्तु अपने पिता हनुमान की ही तरह वह भी स्वामी भक्त था, और किसी भी मूल्य पर अपने कर्तव्य से विमुक्त नहीं होने वाला था। उसका यह गुण देख कर हनुमान जी और भी प्रसन्न हो गए और उसके बाद दोनों का ही बहुत भयंकर युद्ध हुआ। मकरध्वज किसी भी प्रकार से अपने पिता से काम न था, किन्तु अंत में हनुमान जी से परास्त हो गया। हनुमान जी ने उसे बंधनों में बांध दिया और अहिरावण का वध कर के श्री राम को मुक्ति कराया। जब श्री राम को मकरध्वज के विषय में पता चला तब उन्होंने उसे पाताल का नया राजा बना दिया। 

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हनुमान पुत्र मकरध्वज के प्रसिद्द मंदिर :-

1. हनुमान मकरध्वज मंदिर, भेंटद्वारिका, गुजरात :-

मुख्य द्वारिका से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनुमान व मकरध्वज का मंदिर भेंटद्वारिका में है। यह मंदिर दांडी हनुमान के नाम से भी प्रसिद्द है, यही वह स्थान है जहाँ हनुमान जी सर्वप्रथम अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे। यहाँ मकरध्वज और हनुमान जी की निःशस्त्र प्रतिमा है।

2. हनुमान मकरध्वज मंदिर, ब्यावर, राजस्थान :-

मकरध्वज का दूसरा मंदिर राजस्थान के ब्यावर में स्थित है, यहां भी मकरध्वज के साथ हनुमान जी की पूजा की जाती है। कहा जाता है यहां मकरध्वज और हनुमान जी का विग्रह प्रकट हुआ था। यहां न केवल भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं बल्कि यहां शारीरिक, मानसिक व ऊपरी बाधाएं भी दूर की जातीं हैं।  

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