रामायण में रावण के भाई कुम्भकरण की भूमिका भी अद्भुत है। वो अपने विशाल शरीर और अपनी भूख से ज्यादा अपनी गहरी नींद के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि राक्षस वंश का होने के बावजूद कुम्भकरण बुद्धिमान और बहादुर था। उसकी ताकत से देवराज इंद्र भी ईर्ष्या करते थे।
एक बार रावण, कुम्भकरण और विभीषण एक साथ ब्रह्मदेव की तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उनसे वर मांगने के लिए कहा। वहीं, दूसरी ओर इंद्र को डर था कि कुम्भकरण वरदान में कहीं स्वर्ग का सिंहासन न मांग लें।
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इस बात से डरकर, इंद्र ने मां सरस्वती से कुम्भकरण के वरदान के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। मां सरस्वती ने कुम्भकरण की जीभ बांध दी, जिससे कुम्भकरण के मुख से इंद्रासन की जगह निंद्रासन निकल गया। इससे पहले कि कुम्भकरण को अपनी गलती का अहसास होता, ब्रह्मा तथास्तु बोल चुके थे।
रावण सब कुछ समझ गया था, उसने ब्रह्मा से उनके दिए हुए वरदान को वापस लेने के लिये कहा। ब्रह्मा ने एक शर्त के साथ उस वरदान को वापस लिया कि कुम्भकरण 6 माह सोएगा और 6 माह तक जागता रहेगा।
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इस बात को रावण ने मान लिया। कहा जाता है कि जब राम-रावण का युद्ध हो रहा था, तब कुम्भकरण सो रहा था। उसे जगाने की कोशिश की गई, बहुत प्रयास करने के बाद ही वो नींद से जागा था।
The role of Ravana's brother Kumbhkaran in Ramayana is also wonderful. He was known for his huge body and his deep sleep more than his appetite. Kumbhkaran is believed to be intelligent and brave, despite being of demonic descent. Devraj Indra was also jealous of his strength.
Once Ravana, Kumbhakaran and Vibhishana were doing penance to Brahmadev together. Pleased with his penance, Brahma asked him to ask for a boon. On the other hand, Indra was afraid that Kumbhkaran might ask for the throne of heaven as a boon.
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Fearing this, Indra expressed his concern about the boon of Kumbhakaran to Maa Saraswati. Mother Saraswati tied Kumbhkaran's tongue, so that instead of Indrasana, sleep came out of Kumbhkaran's mouth. Before Kumbhkaran realized his mistake, Brahma had spoken amen.
Ravana understood everything, he asked Brahma to take back the boon he had given. Brahma took back that boon with a condition that Kumbhakaran would sleep for 6 months and stay awake for 6 months.
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Ravana accepted this thing. It is said that when the war between Rama and Ravana was taking place, Kumbhakaran was sleeping. An attempt was made to wake him up, but only after a lot of effort, he woke up from sleep.