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सर्प मंदिर – मंदिर जो है सात आश्चर्यों में शामिल!

भारत में प्रत्येक जीव जंतु किसी न किसी कारण से पूजा जाता है और इसीलिए यहां जीव हत्या पाप मानी जाती है। भारत में अनेकों मंदिर हैं जो नागों को समर्पित हैं, क्योकि नाग विष्णु की शय्या और शिवजी का हार है। इसलिए नाग भी देवता रूप में पूजे जाते हैं। मन्नारशाला नामक स्थान में एक स्नेक टेम्पल है, और इसकी खासियत यह है की यह मंदिर भारत के सात आश्चर्यों में गिना जाता है। 
मन्नारशाला अलेप्पी से मात्र 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर नागराज और उनकी पत्नी नागयक्षी के लिए बनाया गया है। यह मंदिर पूरे 16 एकड़ की भूमि पर फैला हुआ है और यहां कुल 30000 से भी अधिक नाग प्रतिमाएं बताई जाती हैं।  

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महाभारत के एक अंश में, अर्जुन द्वारा खांडवप्रस्त में एक मायावी वन को जला दिया गया था, और उस वन का एक हिस्सा सुरक्षित रखा गया। उस सुरक्षित हिस्से में नागों को शरण दी गयी, यह स्थान ही मन्नारशाला बताया जाता है। अन्य मंदिरों की भांति यहां भी प्रतिदन पूजा अर्चना की जाती है, यहां मंदिर परिसर से ही लगा हुआ एक इल्लम (घर) है जिसमे नम्बूदरी का परिवार रहता है। मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य यही नम्बूदरी घराने की बहु करती है। उन्हें अम्मा कहकर सम्बोधित किया जाता है,  जो की विवाहित होने के पश्चात् भी ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पुजारी परिवार में अलग कमरे में निवास करती है। 

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इस मंदिर की एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार नम्बूदरी परिवार की एक महिला निःसंतान थी। उसका पति भी मर चुका था और वह अकेले ही अपना बुढ़ापा गुजार रही थी। वह सदैव नाग देवता से पुत्र की प्रार्थना करती थी, एक दिन वासुकि ने उस से प्रसन्न हो कर उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया। अधेड़ उम्र में भी उसे वासुकि के वरदान से एक पांच सर वाला नागपुत्र प्राप्त हुआ। उसी नाग की प्रतिमा इस मंदिर में लगी हुई है। कहा जाता है इस मंदिर में आने वाले निःसंतान दम्पतियों को यहां पर संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। 

इसके लिए भी एक प्रथा है, जिसके अनुसार संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पति को मंदिर में बने तालाब में नहाकर गीले वस्त्रों में ही मंदिर में दर्शन करने जाना होता है। उन्हें साथ में एक चौड़े मुँह वाला कांसे का पात्र ले जाना होता है, जिसे वहां उरुली कहा जाता है। मंदिर में उरुली को उल्टा रखना होता है। और जिसकी भी संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है वह लोग मंदिर में वापस आते हैं, उलटी राखी हुई उरुली को सीधा रखते हैं और उसमे चढ़ावा आदि रख देते हैं।  

 

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