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लाभ पंचमी: क्यों होती है यह तिथि किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए शुभ?

लाभ पंचमी मुहूर्त :-

19 नवम्बर 2020 (बृहस्पतिवार)

लाभ पंचमी पूजा मुहूर्त = 06:47 से 10:20 (3 घंटा 33 मिनट)

पंचमी तिथि प्रारम्भ = 11:16 (18 नवम्बर 2020)

पंचमी तिथि समाप्त = 09:59 (19 नवम्बर 2020)

तिथि: 20, कार्तिक, शुक्ल पक्ष, पंचमी, विक्रम सम्वत

लाभ पंचमी का त्यौहार भाई दूज के बाद मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है जिस कारण इसके नाम में 'पंचमी' जुड़ा हुआ है। इसे सौभाग्य पंचमी, लाभ पंचम या सौभाग्य लाभ पंचमी भी कहा जाता है। गुजरात में इस पर्व को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। सामान्यतः भारत के कई हिस्सों में भाई दूज के बाद दिवाली समाप्त मानी जाती है किन्तु कई हिस्सों में लाभ पंचमी के बाद दिवाली समाप्त होती है, क्योकि लाभ पंचमी के दिन भी दीप जलाये जाते हैं।

लाभ पंचमी का महत्व :-

यह पर्व व्यवसायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योकि मान्यतानुसार इस दिन कोई भी कार्य शुरू करने से लाभ की प्राप्ति अवश्य ही होती है। यह त्यौहार लाभ के साथ साथ सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है इसीलिए इसे सौभाग्य पंचमी भी कहा जाता है। गुजरात एक व्यवसाय प्रधान राज्य है इसीलिए यहां व्यापारी अपना व्यापार लाभ पंचमी के दिन से ही शुरू करते हैं। गुजरात की एक विशेष बात यह भी है की यहां दिवाली के अगले दिन से गुजराती नववर्ष का प्रारम्भ होता है। इस दिन से आने वाले चार दिन तक सभी लोग छुट्टियों पर चले जाते हैं और लाभ पंचमी के दिन से ही कार्य शुरू करते हैं।

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लाभ पंचमी न केवल व्यवसाय प्रारम्भ किया जाता है, बल्कि इस दिन से विद्या अर्जन का कार्य भी प्रारम्भ किया जाता है। इस दिन से शुरू किये शिक्षण का प्रभाव अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा बही खातों का भी कार्य इसी दिन से प्रारम्भ किया जाता है। नए बही खाते में शुभ और लाभ का चिन्ह बनाया जाता है और कई लोग स्वास्तिक​ का चिन्ह बनाकर भी कार्य प्रारम्भ करते हैं। इस दिन हिन्दू माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं और जैन समुदाय में इस दिन बुद्धि ज्ञान के लिए ज्ञानवर्धक पुस्तकों की पूजा करने का विधान है।

सौभाग्य पंचमी कैसे मनाई जाती है? :-

लाभ पंचमी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। तत्पश्चात भगवान शंकर एवं गणेश जी का पूजन किया जाता है, पूजन के लिए इनकी प्रतिमाओं को चौकी पर स्थापित किया जाता है। श्री गणेश के रूप में सुपारी को मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर विराजित किया जाता है तथा दूर्वा, अक्षत, चंदन, पुष्प आदि से उनका पूजन किया जाता है। तथा भगवान् शिव को बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है। भगवान् शिव को सफ़ेद रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए सफ़ेद फूल, दूध तथा सफ़ेद वस्त्र से शिव जी को प्रसन्न करना चाहिए। सुख-समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है। माता को लाल रंग अत्यंत प्रिय है इसलिए माता को लाल रंग के पुष्प तथा वस्त्र अर्पित करने चाहिए।

इन मन्त्रों के उच्चारण से श्री गणेश और महादेव का जाप व आवाहन करना चाहिए, मन्त्र इस प्रकार हैं -

गणेश मंत्र : लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्। आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।

शिव मंत्र : त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।

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लाभ पंचमी के दिन घर, दुकान अथवा ऑफिस के द्वार पर दोनों ओर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और भगवान को चढ़ाया गया प्रसाद लोगों में वितरित करें। 

लाभ पंचमी की विशेषता :-

सौभाग्य पंचमी के अवसर पर मंदिरों में विषेष पूजा अर्चना की जाती है गणेश मंदिरों में विशेष धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं। लाभ पंचमी श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। पंचमी के अवसर पर लोगों ने घरों में भी प्रथम आराध्य देव गजानंद गणपति का आह्वान किया जाता है।भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की और घर परिवार में सुख समृद्धि की मंगल कामना की जाती है।  इस अवसर पर गणपति मंदिरों में भगवान गणेश की मनमोहक झांकी सजाई जाती है जिसे देखने के लिए दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। रात को भजन संध्या का आयोजन होता है।​

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