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माघ पूर्णिमा का महत्व (About Magha Purnima)

माघ पूर्णिमा बुधवार, 31 जनवरी 2018 को मनाई जाएगी। वैसे तो वर्ष के प्रत्येक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है परन्तु माघ पूर्णिमा सर्वोत्तम है। माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदि या संगम में आस्था की डुबकी लगाने से व्यक्ति के सारे पाप कट जाते है तथा व्यक्ति की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।  

माघ पूर्णिमा पूजन विधि :-
माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिन्हे सत्यनारायण भी कहा जाता है। इस अवसर पर भगवान सत्यनारायण जी की कथा की जाती है, पूजा में केले के पत्ते, फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है। सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है। भगवान विष्णु विधि-विधान से सम्पन्न की गयी पूजा को स्वीकार करते है।

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माघ पूर्णिमा का महत्व :-
माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्नान, दान, पूजा-पाठ, यज्ञ आदि करते हैं। सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है माघ स्नान पुण्यशाली होता है। माघ पूर्णिमा पर किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है। पंचांग के मुताबिक ग्यारहवें महीने यानी माघ में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व है। इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है। इस दिन स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

दान का विशेष महत्व :-
माघ मास में दान का विशेष महत्व है। दान में तिल, गु़ड़ और कंबल का विशेष पुण्य है। मत्स्य पुराण का कथन है कि माघ मास की पूर्णिमा में जो व्यक्ति ब्राह्मण को दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। श्री हरि की पूजा के पश्चात यथा संभव अन्नदान अथवा भूखों को भरपेट भोजन कराना चाहिए।

भगवान शंकर भी पूजे जाते हैं :-
शैव मत को मानने वाले व्यक्ति भगवान शंकर की पूजा करते हैं। शिवलिंग को एक पात्र में गंगा जल व दूध मिले पवित्र जल से स्नान कराएं। इसके बाद शहद की धारा शिवलिंग पर नीचे लिखे मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं - “दिव्यै: पुष्पै: समुद्भूतं सर्वगुणसमन्वितम्। मधुरं मधुनामाढ्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।”शहद स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं व शिव की पूजा चंदन, फूल, बिल्वपत्र व मिठाई का भोग लगाकर करें। धूप, दीप व कर्पूर से शिव आरती करें। जाने-अनजाने गलत कामों की क्षमा मांगे।


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माघ मास की धार्मिक मान्यता :-
शास्त्रों में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर स्वंय भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करतें है अत: इस पावन समय गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है | इस तिथि में भगवान नारायण क्षीर सागर में विराजते हैं तथा गंगा जी क्षीर सागर का ही रूप है| मान्यता है कि माघ पूर्णिमा में स्नान करने से सूर्य और चन्द्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है|

 

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