पूज्य शास्त्री जी के अथक परिश्रम और जनमानस के अपार सहयोग का परिणाम था कि मातृशक्ति सेवा संस्थान से जुड़कर लोग स्वयं को धन्य मानते हैं। वर्तमान में मातृशक्ति बाल संस्कार केंद्र भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से संचालित हो रहा है।जो कि निरंतर संपूर्ण भारतवर्ष में ज्ञान सत्संग और आध्यात्म के माध्यम से जनमानस में एकता का संचार कर रहा है।
परम पूज्या हेमलता शास्त्री जी |
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जन्म |
5 मार्च 1989 |
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जन्म स्थान |
ग्राम बलदेव (दाऊजी) मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत |
जीवन चरित्र
हमारा देश भारत जिसे आस्था और विश्वास की जननी कहा जाता है। जहां की सभ्यता और संस्कृति विश्व की प्राचिनतम संस्कृति में शुमार है। जिसका अनुसरण संपूर्ण विश्व करता है। तभी तो हम सब भारत को माता कहते हैं,भारत का कण-कण मातृभाव से ओत-प्रोत है। यही नहीं हमारी नदियों में बहने वाले जल को हमना जल नहीं मां माना और गंगा मैया,यमुनामैया कहकर संबोधित किया। यहां तक की पेड़ों को भी मातृभाव से देखा गया और तुलसी माता कहा गया। भारत की माटी को भी माता कहा गया,धरती माता कहा जाता है। गाय को हमने गऊ माता कहा ना की पशु।
हमारी सनातन संस्कृति ने हमें यही सिखाया कि भारत का कण-कण हमें कुछ दे रहा है और मातृत्व का दर्शन करा रहा है,इसलिए जो बिना कुछ कहे, बिना कुछ लिए सदैव देती है,सदैव लूटाती है वो मां है,भारत मां है। इसी मातृत्व का भाव लिए परम पूज्या हेमलता शास्त्री जी नें सन 2012 में मातृशक्ति सेवा संस्थान की शुरुआत की। जिसका मूल उद्धेश्य था कि हमारी संतति शिक्षा,संस्कृति और संस्कारों को समझ सके और इसी प्रयास में कदम आगे बढ़ाये।
भागवत कथा का प्रचार
उनकी ज़िंदगी का एक और एकमात्र उद्देश्य पूरे जीवन में "श्रीमद्भागवत कथा" की लहर को फैलाना है। अपने गुरु की इच्छा के अनुकरण में, वह पूरी तरह से इस धार्मिक कार्य में तल्लीन हुई है।
Hemlata Shastri ji |
आज की आधुनिक और भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हमारी जीवन शैली पर पाश्चात्य संस्कृति की छाप हमें अपने संस्कारों से कहीं ना कही दूर करती जा रही है। जिसका परिणाम है कि हम अपने माता पिता,समाज राष्ट्र के प्रति सजग नहीं हो पा रहे हैं। दशा ऐसी हो गयी है कि माता पिता वृद्धआश्रम में अपनो को ढ़ूंढ़ रहे हैं,गौ माता कूड़ा कचरा खा रही हैं और कत्लखानों में जाने को मजबूर हो रही हैं। माता और बहनो के प्रति हमारा नजरिया बदलता जा रहा है। रिश्तों में ही दरार बनती जा रही है। वास्तविकता ये है कि इस प्रकार की कुरीतियां और घटनाओं के मूल में शिक्षा, संस्कृति और संस्कारों का अभाव होना है। निश्चित तौर पर इन अभावों को बचपन से दूर करने का जो गौरवमयी प्रया देवी कर रही हैं उससे राष्ट्र और सशक्त होगा। मातृ शक्ति सेवा संस्थान समस्त जनमानस से ये आह्वान करता है कि “धर्मो रक्षति रक्षित:”।
पूज्य शास्त्री जी कथा करते हुए |
संदर्भ
इन्हें भी देखे
Amreesh Kumar Aarya (वार्ता) 09:31, 14 दिसम्बर 2017 (UTC)Amreesh Kumar Aarya