श्री घनश्याम वशिष्ठ जी को लोग प्यार से कान्हा भइया जी कहकर पुकारते हैं। कान्हा भईया जी श्री निम्बार्क संप्रदाय से दीक्षित है, इनके गुरुदेव पूज्य श्री भी एक प्रसिद्ध भागवत वक्ता है। निम्बार्क संप्रदाय वैष्णव सम्प्रदायों में से एक ऐसा संप्रदाय है जिसमे युगलसरकार ठाकुर श्री राधामाधव जु की सेवा को विशेष माना गया है।
वैदिक आध्यात्मिक बाङमय गरिमामयी व्यास परम्परा विलक्षण वाग्धारा की उत्ताल उर्मि के रसमय वाहक पूज्य प. श्री घनश्याम वशिष्ठ(कान्हा भईया) जी का जन्म ब्रज मण्डल छेत्र के होडल ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ, जहाँ पर श्रीकृष्ण ने अनेक ऐश्वरमयी लीलाएं की ऐसी पुण्यमयी भूमि में "कान्हा भईया" जी का जन्म 16.11.1990 को हुआ। आपके पूज्य दादा स्वर्गीय श्री लखनलाल स्वामी जी भी परम भागवत भक्त व सरल सहज स्वभाव के धनि थे। उनका आदर गांव के प्रत्येक प्राणी में स्वाभाविक रूप से था। आपके पूज्य पिता जी श्री राजेश वशिष्ठ एवं माता श्री धर्मवती देवी जी अत्यंत धार्मिक व सदग्रहस्थ है, जिनकी पूर्ण कृपा सदैव कान्हा भईया जी पर बनी रहती है।
श्री घनश्याम वशिष्ट |
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जन्म |
16.11.1990, होडल ग्राम |
जीवन चरित्र
श्री निम्बार्क पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन जगतगुरु श्री श्यामशरण देवाचार्य श्री जी महाराज जु का आशिर्वाद स्नेह रूप में आपको प्राप्त हुआ है। महाराज जी के विचारो से ही कान्हा भईया जी को सदमार्ग मिलता रहता है। कान्हा भईया जी भी सदैव निम्बार्क पीठ की गरिमा को ध्यान में रखकर कार्य करते है आचार्य परम्परा का सदैव सम्मान करते हैं तथा निम्बार्क पीठ के आदेशो का कर्तव्य निष्ठा से निर्वाहन करते हैं।
कान्हा भईया जी की रुचि बाल्यावस्था से ही धार्मिक कार्य मे थी गांव की रामलीला मण्डल में उन्होंने भगवान के चरित्रों की भूमिका निभाई। 12 वी कक्षा तक पढ़ाई होडल ब्रजधाम में पूर्ण करने के बाद वे मथुरा अपने मामा श्री ताराचन्द जी की छत्र छाया में परम् पूज्य भजन सम्राट श्री बाबा रसिका पागल जु के चरणों मे तथा साधु संतों के सानिध्य में धर्म व संस्कृत भागवत विद्या का अध्यन वृन्दावन में करने लगे।
वृंदावन के ही साधु संत व इनके मामा मामी इन्हें प्रेम से कान्हा भईया कहकर बुलाने लगे तब से इन्हें सभी कान्हा भईया के नाम से जानने लगे। इन्होंने पूज्य बाबा रसिका पागल जी के विचारों का सम्मान कर वृन्दावन में बिहारी जी की सीढ़ियों पर बैठकर बिहारी जी की कथा सुन कर, यमुना मईया जी को ठाकुर जी की कथा सुनाया करते। आज उनकी कृपा से ही भारत देश के सभी प्रान्त व महानगरों में अपनी मधुर वाणी के द्वारा श्रीमद भागवत कथा, रामकथा व गौकथा का अमृतपान करा चुके हैं। आपकी कथा शैली इतनी सरस् एवं सरल है कि सभी श्रेणी के भागवत प्रेमी कथा का भरपूर आनंद लेते हैं।
आप श्रीमद भागवत कथा के अतिरिक्त श्री राम कथा, गौकथा व भजन संध्या बड़े अदभुत व सरल तरीक़े से करते हैं। ब्रज मण्डल में जन्मे कान्हा भईया जी अपने जीवन के सारे कार्य ठाकुर जी पर छोड़ देते हैं क्योंकि उनका मानना है कि एक वो ही है जो हम सबकी बिगड़ी बात संवारने वाले हैं।
सामाजिक कार्य
ठाकुर जी की कृपा से भारत देश और विदेशो में अपनी वाणी से भागवत प्रचार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्हें प्रथम बार नेपाल की भूमि में कथा सुनाने का सौभाग्य मिला।
कान्हा भैया जी धर्म प्रचार के साथ देश सेवा व समाज सेवा के कार्य भी बढ़ चढ़ करते है। कथाओ में भी जनता जनार्दन को देश सेवा के लिए जागरूक करते हैं देश के जवानों का सम्मान इस देश मे सबसे बढ़कर है।
कान्हा भईया जी गौ सेवा के लिए सदैव तैयार रहते है। रोड पर बेसहारा मृत पड़ी गौमाता की अंतिम क्रिया कराने के साथ-साथ बीमार,लाचार गौवंश का इलाज कराना, उनको गौशाला में ठीक ढंग से रखने की व्यवस्था करते हैं। निर्धन परिवार की बहन बेटियो के विवाह में आर्थिक सहयोग करना भी उनके कार्यों में शामिल है। अभी तक 30 से 35 परिवार की बेटियों के विवाह में सहयोग कर चुके हैं बिहारी जी की कृपा से।
बिहारी जी की कृपा से कान्हा भईया जी सब कार्य करते हैं उनका सपना यही है कि देश में सनातन धर्म, गौमाता व बहन बेटियों,माता पिता और देश के जवानों का सम्मान देश का हर प्राणी करे।
कान्हा भईया जी के सानिध्य में बिहारी जी की कृपा से गरीबो के लिए ऐंबुलेंस सेवा,गरीब बच्चो की पढ़ाई के लिए अनेक कार्य किये जा रहे हैं।