भारतवर्ष की परम्परा भागवत भक्तों की है | कहते है, लाखों व्यक्ति में से कोई एक वक्ता बनता है | जिनका वक्तव्य अनेक लोगों का चित्त शुद्ध करता है एवं सुनने वाले को ख़ुशी प्रदान करता है, उनके ह्रदय में जरुर गोविन्द विराजमान होते है | ऐसी ही एक प्रवक्ता हैं, जिनकी वाणी से लाभान्वित होकर प्रत्येक व्यक्ति ने अपने जीवन को सवारा है, - देवी वैभवीश्रीजी आलेकर
देवी वैभवीश्री जी आलेकर |
|
|
|
जन्म |
16 अक्तूबर,1991 अमरावती, महाराष्ट्र |
जीवन चरित्र
आपका जन्म 16 अक्तूबर 1991 को, देवी नवरात्रि की नवम तिथि के पावन दिन पर महाराष्ट्र के अमरावती शहर में हुआ |
बचपन में ही आपके मुखमंडल का तेज और आभा देखकर अनेक संतों ने कहा कि इस बालिका ने विशेष आध्यात्मिक कार्य करने हेतु जन्म लिया है |
आपको बाल्यावस्था में ही अनेक संत और महात्माओं के मार्गदर्शन के साथ-साथ अपने दादाजी और पिताजी का विशेष अनुग्रह प्राप्त हुआ |
आपने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ 8 साल की निविदा उम्र में ही कीर्तन एवं प्रवचन और 13 साल की उम्र में श्रीमद् भागवत और तुलसी रामायण पर कथन प्रारंभ किया |
जीवन तत्व और मार्गदर्शन :
आपका मानना यह है कि कथा केवल पुराणों में घटीं घटनाओं का क्रम नहीं है | कथा तो निरंतर चल रही है | प्रह्लाद, शबरी, उद्धव, अर्जुन, हनुमान, गोपियां ये केवल कोई व्यक्ति नहीं है, ये तो प्रवृत्ति है, भक्ति का लक्षण है |
इसलिए आप कथा का धार्मिक से ज्यादा आध्यात्मिक होने पर विश्वास रखती है |
2008 में जब पहली बार आपकी मुलाकात गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के साथ हुई, तब उन्होंने आपको कथा के साथ प्राणायाम, ध्यान एवं मंत्रोच्चार सिखाने के हेतु प्रोत्साहित किया और कहा, “ कथा प्रवक्ता तो बहुत है किन्तु आज लोगों को केवल शब्दों की नहीं, बल्कि अनुभव करवाने की जरुरत है | कथा के माध्यम से लोगों को सेवा के लिए प्रेरित कीजिये |”
![]() |
उनके यह अनमोल वचन आज आशीर्वाद के रूप में फलित हुए और 2003 से आज 14 साल पूर्ण होने तक आपने महाराष्ट के लगभग सभी शहरों और अनेको राज्यों में मराठी एवं हिंदी परंपरा से श्रीमद् भागवत, देवी भागवतम, तुलसी रामायण, शिव महापुराण, भगवद्गीता, श्री गुरु गीता आदि कथाओं से आध्यात्मिक प्रवचनों के द्वारा दिनोंदिन जीवन उन्नत बनाने के सूत्रों को बड़ी सरलता से बतलाया है |
लाखो लोगों ने आपकी सुमधुर वाणी और रसमय गान से लाभान्वित होकर अपने जीवन में आनंद, उल्लास और परम शांति की अनुभूति की है ।
सेवाकार्य :
संदर्भ :
Amreesh Kumar Aarya (वार्ता) 11:31, 29 दिसम्बर 2017 (UTC)Amreesh Kumar Aarya