रवि शंकर सामान्यतः श्री श्री रवि शंकर के रूप में जाने जाते हैं, (जन्म: 13 मई 1956) एक आध्यामिक गुरु एवं मानवतावादी धर्मगुरु हैं। आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन के संस्थापक हैं उनके फॉलोवर्स उन्हें श्री श्री से भी सम्बोधित किया करते है ।
श्री श्री रवि शंकर |
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जन्म |
13 मई, 1956 |
जन्म स्थान |
तमिलनाडु, भारत |
जीवन परिचय
रविशंकर का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में 13 मई 1956 को हुआ था। उनके पिता का नाम वेंकट रत्नम् था जो भाषाकोविद् थे। उनकी माता श्रीमती विशालाक्षी एक सुशील महिला थीं। रविवार के दिन पैदा होने के कारणवश उनका नाम 'रवि' उनका आध्यात्मिक जुड़ाव देख कर शंकर उनके नाम से जोड़ा गया जो आदिशंकर से प्रेरित भी बताया जाता है।
बचपन से ही श्री श्री का आध्यात्मिक झुकाव अधिक था मात्र ४ साल की उम्र से ही श्री श्री श्रीमद्भागवत गीता का पाठ कर लिया करते थे । बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। १७ वर्ष की आयु में ही उन्होंने फिजिक्स की आगामी डिग्री उत्तीर्ण कर ली थी ।
पिता द्वारा महेश योगी को सौंप दिए जाने के बाद रविशंकर उनके शिष्य बने, अपने अधिगम के कारण वे महेश योगी के प्रिय शिष्य बनकर उभरे । सितार वादक रविशंकर के उनकी सुप्रसिद्ध का लाभ उठाने का आरोप श्री श्री पे लगाया । इसी के कारण रविशंकर ने अपने नाम से पहले श्री श्री लगाना प्रारम्भ किया।
रविशंकर लोगों को सुदर्शन क्रिया स:शुल्क सिखाते हैं। इसके बारे में वो कहते हैं कि 1982 में दस दिवसीय मौन के दौरान कर्नाटक के भद्रा नदी के तीर पर लयबद्ध सांस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जेहन में उत्पन्न हुई। उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया।
1982 में श्री श्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन की स्थापना की। यह शिक्षा और मानवता के प्रचार प्रसार के लिए स:शुल्क कार्य करती है। 1997 में ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती है।
दर्शन
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श्री श्री जी |
श्री श्री विज्ञान और अध्यात्म को एक दूसरे का पूरक तत्व बताते है , ध्यान के अलावा दूसरे मनुष्य की सेवा करना भी मान को शांति पहुँचाता है। श्री श्री का मानना है की शरीर और मन के बीच की कड़ी का काम करती है स्वास। श्री श्री एक ऐसी दुनिया बनाए का पर्यटन कर रहे है जिस में एक दूसरे के प्रति सध्भाव हो क्रोध और हिंसा का स्थान न हो, सब तनाव मुक्त जीवन व्यतीत करें।
2001 के विश्व व्यापार संगठन आतंकवादियों हमले के बाद आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने पूरे न्यूयोर्क के लोगों के निःशुल्क तनाव को दूर करने का कोर्स करवाया। संस्था द्वारा कोसोवो में युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए सहायता कैम्प भी लगाया गया था। २००३ में इराक में भी संस्था ने युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए। इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रवि शंकर ने इराक का दौरा किया और वहां के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की। 2004 में पाकिस्तान के उन नेताओं से भी मिले जो विश्व शांति स्थापना के पक्षधर थे। संसार ने जब सुनामी का कहर झेला तो संस्था के लोग मदद के लिए वहां भी आगे आये। दुनिया भर के कैदियों के उत्थान के लिए भी संस्था निरंतर कार्य करती रहती है।
पहले संगठन की स्थापना
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श्री श्री जी माननीय मोदी जी के साथ |
एक अंतरराष्ट्रीय, गैर-लाभकारी, शैक्षणिक और मानवीय संगठन के रूप में आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना की गुरुदेव ने जिसका मूल मंत्र मनुष्य जाती की भलाई है । इसके शैक्षिक और आत्म-विकास के कार्यक्रम तनाव दूर करने और कल्याण की भावना को बढ़ाने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करते हैं। न केवल विशिष्ट आबादी के लिए अपितु यह प्रक्रिया विश्व स्तर पर और समाज के सभी स्तरों पर प्रभावी साबित हुई।
1997 में उन्होंने आर्ट ऑफ़ लिविंग के साथ इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यू (IAHV) की स्थापना की ताकि सतत विकास परियोजना, संघर्ष समाधान तथा मानवीय मूल्यों का समन्वय कर पाएं। भारत, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में दो संगठनों के स्वयंसेवक ग्रामीण समुदायों में सतत विकास का नेतृत्व कर रहे हैं और 40,212 गांवों तक पहुंच चुके हैं।
प्रेरणादायक सेवा और विश्वस्तरीय बुद्धि:-
गुरुदेव के कार्यक्रमों ने विभिन्न प्रकार की पृष्ठभूमि से लोगों को सहायता प्रदान की है - प्राकृतिक आपदाओं के शिकार, आतंकवादी हमलों और युद्ध में बचे लोग, अल्पसंख्यक समुदाय और आपसी संघर्ष के शिकार लोगों में।
श्री श्री जी माननीय योगी जी के साथ |
एक आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में, गुरुदेव ने योग और ध्यान की परंपराओं को फिर से जगाया है और उन्हें 21 वीं शताब्दी के लिए प्रासंगिक रूप में प्रस्तुत किया है आज के तनाव ग्रस्त जीवन से पीड़ित जन जाती के लिए किसी अमृत से कम नहीं है प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित करने से परे, गुरुदेव ने व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के लिए नई तकनीकें बनाई हैं। । केवल 35 वर्षों में, उनके कार्यक्रम और उनकी पहल ने 155 देशों में 3.70 करोड़ से अधिक लोगों के जीवन को छुआ है। इनमें सुदर्शन क्रिया शामिल है- जिसने लाखों लोगों को तनाव से राहत प्राप्त करने और दैनिक जीवन में ऊर्जा और शांति के आंतरिक जलाशयों को खोजने में मदद की है
'आर्ट ऑफ लिविंग' कोर्स का आधार है सुदर्शन- क्रिया। जो लोग सुदर्शन क्रिया सीखने की इच्छा जताते हैं उन्हें एक समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ता है कि वे सुदर्शन क्रिया को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताएंगे। सुदर्शन क्रिया के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर, मन और भावनाओं को ऊर्जा से भर देती है तथा उन्हें प्राकृतिक स्वरूप में ले आती है। इसे सिखाने के कोर्स की फीस हर देश में अलग-अलग है।अमेरिका में एक व्यक्ति से 375 डालर लिये जाते हैं। कालेज के विद्यार्थियों को कुछ छूट दी जाती है। इसके अलावा कुछ और संस्थाएं हैं जो श्री श्री रवि शंकर की देख-रेख में काम करती हैं ।
सम्मान एवं पुरस्कार
श्री श्री रविशंकर की सेवाओं को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। उनमें कुछ निम्नवत हैं-