इंद्रेश उपाध्याय जी का जन्म 7 अगस्त को 1997 में वृन्दावन, उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था। इंद्रेश उपाध्याय जी बहुत ही उज्जवल और प्रख्यात कथा वाचक है। उनका मधुर स्वर सुनके सभी भक्ति से सराबोर हो जाते है।
इंद्रेश उपाध्याय जी |
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जन्म |
7 अगस्त 1997 (आयु 20) वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत |
जीवन चरित्र
इंद्रेश उपाध्याय जी ने श्रीमद भागवत के दिव्य शास्त्र का अध्ययन किया है और मानवता के अनन्त लाभ के लिए इस पवित्र पाठ की महिमा का उच्चारण करते है।
इंद्रेश उपाध्याय का जन्म 7 अगस्त 1997 को भारत के श्री धाम वृंदावन में श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री ( ठाकुर जी) के घर में हुआ था। इन्होने अपनी प्रथम चरण की शिक्षा कान्हा माखन पब्लिक स्कूल से प्राप्त की है।
वह पवित्र संतों के दिव्य परिवार में पैदा हुए थे, उपाध्याय जी के इस परिवार में, असंख्य दिव्य आत्माएं पैदा हुई हैं जो संस्कृत भाषा और श्रीमद्भगवत पुराण में विशेष ज्ञान रखते हैं।
उनके जन्म के बाद बहुत सारे प्रसिद्ध संत और भक्त इस चमत्कारी लड़के की एक झलक पाने के लिए ठाकुर जी के घर आए। वे उनके अलौकिक लक्षणों से पूरी तरह मंत्रमुग्ध हो गए और एक भविष्यवाणी की, "वह निकट भविष्य में एक महान प्रबुद्ध व्यक्ति" के रूप में दुनिया भर के लोगों को आश्चर्यचकित करेगा "।
भागवत कथा का प्रचार
श्री इंद्रेश जी को महान आध्यात्मिक और साथ ही वैदिक ज्ञान प्राप्त है। जब वह सिर्फ 13 वर्ष के थे, तो उन्होंने अपने पिता के आशीर्वाद और मार्गदर्शन के साथ पूर्ण श्रीमद भागवत महापुराण को सीख लिया था। कुछ महीनों के भीतर उन्होंने पूरे श्रीमद भागवत महापुराण को याद किया और हर रोज इसे पूर्ण भक्ति के साथ समझा।
जब कोई उनकी कथा और भजन सुनता है, तो वो कथा को प्रेम करता है और अपने आसपास और भीतर आनंद महसूस करता है।
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हो सकता है जो उनके वर्णन से मंत्रमुग्ध नहीं होता , क्योंकि जो व्यक्ति उनको सुनता है वह जीवन के सभी कष्टो और निराशा से विमुक्त हो जाता है। जैसा कि सभी सुनने वाले बताते है कि वातावरण में निर्मित जादू को महसूस किया जा सकता है; ज्ञान, भक्ति, दिव्यता चारों ओर फैल जाती है और सबको परम आनंद की प्राप्ति होती है जो कि अनन्त सत्य है।
इंद्रेश जी अपने पिता श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी तथा माता वंदना गोस्वामी जी के साथ |
उनके कथा पाठ में सभी भक्त भक्ति में सराबोर हो जाते है। और उनका मधुर स्वर चारो ओर भक्तिमय वातावरण स्थापित कर देता है।
गऊ सेवा
इन्द्रेश जी दैनिक जीवन में गऊ सेवा और पूजन के साथ ही माता पिता के सेवा धर्म को भी बड़ी तत्परता से संपन्न करते है। वह हमेशा गऊ माता के विषय में उपदेश करते है और उनके सेवा कार्यो में अग्रसर रहते है।
इंद्रेश जी गऊ पूजन करते हुए |
उन्होंने अपने जीवन को पूर्ण रूप से समर्पित किया है। वह मिशन के साथ अपने श्रोताओं के दिल में एक "वृंदावन" बनाने और गौरवशाली गऊ माता का प्रसार करने के लिए तत्पर है।
उनके भजन सुनने वाले बताते हैं, उन्हें लगता है कि वे धन्य हैं श्री इंद्रेश जी की वाणी सुनकर जो हृदय, मन और आत्मा को ज्ञान और खुशी से भर देती है।
Amreesh Kumar Aarya (वार्ता) 09:31, 22 दिसम्बर 2017 (UTC)Amreesh Kumar Aarya