बाबा रसिका पागल जी एक प्रसिद्ध गायक थे। यह बांके बिहारी जी और स्वामी हरिदास जी के भजन एवं गीत अपनी मधुर आवाज में सुनाया करते थे। बाबा रसिका जी के भजन भारत में ही नहीं विदेशों में भी सुने जाते है। बाबा रसिका पागल जी का असली नाम रसिक दास था।
बाबा रसिका पागल जी |
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जन्म एवं शिक्षा
बाबा रसिका पागल जी का जन्म 1 जनवरी, 1967 में वृंदावन, मथुरा में हुआ था। इनकी माता जी मंदिर में भजन गया करती थी और अपनी माता जी से बाबा रसिका जी को संगीत का अनुभव अपने जन्म से ही हुआ था। बाबा रसिका जी की दिलचस्पी संगीत की शिक्षा में ही रही थी। यह अपनी बातें भी माँ को गाकर बता थे। बाबा रसिका जी मंदिर में बांके बिहारी जी के भजन गाते और उनमे मग्न ही रहा करते। बाबा रसिका जी का निधन 55 वर्ष की आयु में 4 दिसंबर, 2021 को वृन्दावन में हो गया।
संगीत की शुरुआत:
बाबा रसिका पागल जी की शुरुआत रिक्शा चलाने से हुई थी। यह रिक्शा चलाते-चलाते बांके बिहारी जी के भजन गया करते थे। धीरे-धीरे बाबा रसिका जी ने रिक्शा चलाना छोड़कर भजन और गीत को अपने जीवन का आधार बना लिया। यह अपनी गायकी से ब्रज के प्रिसद्ध गायक भी बन गए थे। इन्होंने भजन संगीत को एक नई दिशा भी दी। बाबा रसिका जी के भजन इतने निराले होते थे कि लोगों के दिलों में समा जाते थे और वह उन्हें गुनगुनाने भी लगते थे।
बाबा रसिका पागल जी ने टी सीरीज म्यूजिक कंपनी के साथ काम भी किया है और उनके लिए बहुत से भजन गाये है। इनके द्वारा ही बाबा रसिका जी के भजन लोगों के सामने आए और देश-विदेश में सुने जाने लगे।
बाबा रसिका पागल ने भजन गायन की दुनिया में 1996 में कदम रखा। उन्होंने सबसे पहली एबम कान्हा रे कान्हा बनाई। इसके बाद बाबा ने हजारों भजन गाए। बाबा का भजन कजरारे तेरे मोटे मोटे नैन नजर तोहे लग न जाये बहुत प्रसिद्ध हुआ। बाबा रसिका जी स्वामी हरिदास जी और बांके बिहारी जी को ध्यान करते और उनके भजन गाना शुरू कर देते थे।
रसिका पागल नाम कैसे पड़ा:
रिक्शा चलाने वाले रसिक दास ने हरीदासिय परम्परा के आचार्य संत गोविंद शरण शास्त्री से दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद भजन गायन और गुरु भक्ति में लीन रहने वाले रसिक दास जब अचानक भजन गाने लग जाते तो उनके गुरु ने यह दृश्य देखकर उनका नाम रसिक दास से रसिका पागल कर दिया।
गुरु ने बताया कि रसिका पागल शब्द का मतलब होता है जो बिहारी के प्रेम रस में डूबा रहे और उनके रस को पा ले, वही पागल है। पागल का उल्टा अर्थ है 'लग पा', यानी भगवान की भक्ति में लग जायेगा तो भगवान को पा लेगा।
सामाजिक जीवन:
बाबा रसिका जी ने हरिनाम के प्रभाव में पांच आश्रमों की स्थापना की। लोगों के लिए पागल बाबा नाम से अस्पताल बनवाए। जहां हजारों रोगियों का रोजाना उपचार किया जाता है। मंदिर के खर्च पर दिल्ली ले जाकर ऑपरेशन भी कराये जाते हैं।
वृंदावन के दो आश्रमों की भांति असम के दो और बिहार के एक आश्रम में भी रोजाना हजारों लोगों की खिचड़ी सेवा की जाती है। इनके सभी आश्रम में अखंड हरनाम संकीर्तन होता है।
बाबा रसिका पागल जी के भजन:
बाबा रसिका जी के लोकप्रिय भजन निम्न हैं: