भारतवर्ष की परम्परा भागवत भक्तों की है | कहते है, लाखों व्यक्ति में से कोई एक वक्ता बनता है | जिनका वक्तव्य अनेक लोगों का चित्त शुद्ध एवं ख़ुशी प्रदान करता है, उनके ह्रदय में जरुर गोविन्द विराजमान होते है | ऐसे ही एक प्रवक्ता जिनकी वाणी से लाभान्वित होकर हरेक व्यक्ति ने अपने जीवन को सवारा है – देवी वैभवीश्रीजी आलेकर
आपका जन्म १६ अक्तूबर १९९१ को, देवी नवरात्रि के नवम तिथि के पावन दिन पर महाराष्ट्र के अमरावती शहर में हुआ |
बचपन में ही आपके मुखमंडल का तेज और आभा देखकर अनेक संतों ने कहा कि यह बालिका ने एक विशेष आध्यात्मिक कार्य करने हेतु जन्म लिया है |
आपको बाल्यावस्था में ही अनेक संत और महात्माओं के मार्गदर्शन के साथ-साथ अपने दादाजी और पिताजी का विशेष अनुग्रह प्राप्त हुआ |
आपने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ उम्र के 8 साल में ही कीर्तन एवं प्रवचन और 13 साल की उम्र में श्रीमद् भागवत और तुलसी रामायण पर कथन प्रारंभ किया |