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Lord Krishna

Join Date : 06-Oct-2017

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परिचय

कृष्ण
Sri Mariamman Temple Singapore 2 amk.jpg
श्री कृष्ण
संबंध विष्णु
निवासस्थान वृंदावन, द्वारका, गोकुल, वैकुंठ
अस्त्र सुदर्शन चक्र
जीवनसाथी रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, नग्नजित्ती, लक्षणा, कालिंदी, भद्रा
सवारी गरुड़गरुड़
शास्त्र भागवत पुराण, भगवद्गीता
 
 

कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे।

उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का दर्जा दिया गया है।

कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है।

कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतीत हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की।

महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है।

 

कृष्ण  भजन हिंदी में
  •  मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
  • मेरा मन पंछी ये बोले उर बृन्दाबन जाऊँ
  •  दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे
  • खाटूजी जाने को जी ललचाता है
  • कभी रुठ ना मुझसे तू श्याम सावरे
  •  बरी देर भाई नंदलाला
  • श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
कृष्ण स्त्रोतम 
  • मधुराष्टकं
  • आच्यता अष्टकोम

कृष्ण मंत्र 

  •  कृष्ण मंत्र
कृष्ण चालीसा 
  • श्री कृष्ण चालीसा
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  •  श्रीकृष्ण जी की आरती

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