"पूज्य शास्त्री जी के अथक परिश्रम और जनमानस के अपार सहयोग का परिणाम था कि मातृशक्ति सेवा संस्थान से जुड़कर लोग स्वयं को धन्य मानते हैं। वर्तमान में मातृशक्ति बाल संस्कार केंद्र भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से संचालित हो रहा है।जो कि निरंतर संपूर्ण भारतवर्ष में ज्ञान सत्संग और आध्यात्म के माध्यम से जनमानस में एकता का संचार कर रहा है।"
हमारा देश भारत जिसे आस्था और विश्वास की जननी कहा जाता है। जहां की सभ्यता और संस्कृति विश्व की प्राचिनतम संस्कृति में शुमार है। जिसका अनुसरण संपूर्ण विश्व करता है। तभी तो हम सब भारत को माता कहते हैं,भारत का कण-कण मातृभाव से ओत-प्रोत है। यही नहीं हमारी नदियों में बहने वाले जल को हमना जल नहीं मां माना और गंगा मैया,यमुनामैया कहकर संबोधित किया। यहां तक की पेड़ों को भी मातृभाव से देखा गया और तुलसी माता कहा गया। भारत की माटी को भी माता कहा गया,धरती माता कहा जाता है। गाय को हमने गऊ माता कहा ना की पशु।
हमारी सनातन संस्कृति ने हमें यही सिखाया कि भारत का कण-कण हमें कुछ दे रहा है और मातृत्व का दर्शन करा रहा है,इसलिए जो बिना कुछ कहे, बिना कुछ लिए सदैव देती है,सदैव लुटाती है वो मां है,भारत मां है। इसी मातृत्व का भाव लिए परम पूज्या हेमलता शास्त्री जी ने सन 2012 में मातृशक्ति सेवा संस्थान की शुरुआत की। जिसका मूल उद्धेश्य था कि हमारी संतति शिक्षा,संस्कृति और संस्कारों को समझ सके और इसी प्रयास में कदम आगे बढ़ाये।