जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी का जन्म 14 जनवरी 1950 को जौनपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ| इनके पिता का नाम पं राजदेव मिश्र और इनकी माता का नाम शचीदेवी था जो एक धार्मिक महिला थी| बचपन से ही इन्हे धर्म की बाते सुनने को मिली और 4 वर्ष की ही अवस्था में यह कविताये करने लगे और 8 साल की उम्र से ही भागवत कथा और रामकथा करने लगे| रामभद्राचार्य जी बचपन से ही नेत्रहीन है | 3 साल की उम्र में ही इनकी आँखों को भगवान् ने ले लिया और तभी से आपके पुरे जीवन का जिम्मा आपकी बुआ ने ले लिया |
रामभद्राचार्य जी चित्रकूट में स्थित गोस्वामी तुलसीदास जी के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं| वे चित्रकूट स्थित जगतगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं| 26 जुलाई, 2001 को उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इसका उद्घाटन किया था|इस विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या लगभग 600 है जिसमें 80 के करीब छात्राएं भी हैं|बी.एड पाठ्यक्रम के कुछ विद्यार्थियों को छोड़कर सभी विद्यार्थी विकलांग है| फिलहाल इनमें से ढाई सौ बच्चों को छात्रावास सुविधा विश्वविद्यालय की ओर से मिली है|
जगद्गुरु के तुलसी-पीठ आश्रम में छात्राओं को छात्रावास सुविधा मिली हुई है|इसके अतिरिक्त आश्रम परिसर में ही प्रज्ञाचक्षु (नेत्रहीन), मूक-बधिर एवं अस्थि विकलांग बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशाला से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक विद्यालय भी चलता है और अध्ययनरत सभी बच्चों को आवास, भोजन, वस्त्र इत्यादि सुविधाएं भी नि:शुल्क प्राप्त हैं|