आचार्य संजय कृष्ण "सलिल" जी ने प्राचीन शास्त्रों में लिखी आध्यात्मिक शिक्षाओं को कथाओं और वक्तव्य के माध्यम से आम जन मानस तक पहुंचाया है। आचार्य सलिल जी बहुत विख्यात कथा वाचक हैं। इनका जन्म वृन्दावन के एक छोटे से गाँव में 1968 में एक महान परिवार में हुआ था।
संजय कृष्ण जी ने चैतन्य संप्रदाय से शिक्षा दीक्षा ली, और श्रीमद भागवत का अध्ययन किया। आचार्य जी को रामानुजाचार्य और श्रीमद्भागवत पर उनके गहन अध्ययन के लिए आगरा विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
वर्तमान में वह वैष्णव संस्कृति को सम्पूर्ण समर्पण के साथ लोगो के बीच प्रचारित करते हैं। वह श्रीमद भागवत और रामायण की कथाओं तथा शिक्षाओं का रसपान भक्तों को कराते हैं।
आचार्य जी तुलसी रामायण भागवत पीठ के संस्थापक भी हैं। यह संस्था जीवन की वास्तविकता के ज्ञान के लिए वैदिक शिक्षा और दर्शन का प्रोत्साहन करती है। जिसके अंतर्गत गरीब ब्राह्मण बच्चों को वैदिक शिक्षा मुफ्त में दी जाती है।
भारतीय संस्कृति और दर्शन में आचार्य जी की गहरी रूचि है। और उनके जीवन का लक्ष्य अंतिम क्षण तक इस संस्कृति की लोगो के बीच पहुंचना है।